- खुलकर बात करने की इजाजत भी देता है समाज, लेकिन अब सभी चुप
- खजुराहो औ वात्स्यायन के कामसूत्र से मिलता है पुख्ता सबूत
नया लुक रिसर्च टीम
लखनऊ। प्रकृति ने दुनिया चलाने के लिए दो जातियां बनाई। एक स्त्री और दूसरा पुरुष। हालांकि बाद में हम अलग-अलग जातियों में बंट गए। लेकिन प्रकृति की ये दो जातियां एक दूसरे की परस्पर पूरक बनाया है। बिना एक दूसरे के न तो संतान उत्पत्ति हो सकती है और न ही जीवन जीने में पूरा मजा आ सकता है। अब बदलते समाज ने देश में भी ‘लिव इन रिलेशन’ से लेकर खुलकर सेक्स करने को अपनी आजादी मान ली है। कॉलेज जा रही लड़की आसानी से अपने माता-पिता को कह देती है मां आज मैं अपने ब्वॉय फ्रेंड के साथ कहीं जा रही हूं। फ्रेंड और ब्वॉय फ्रेंड में यही बारीक सा अंतर है। फ्रेंड है तो उसे केवल किस और हग करने की आजादी है और ब्वॉय फ्रेंड है तो वो खुलकर सेक्स कर सकता है। यानी वो अपने मां-बाप को बताकर सेक्स को मौज की तरह ले रही है।

इसके पहले महिलाएं सेक्स के मामले में शर्म और सामाजिक बंदिशों का शिकार रहती थीं और वो अक्सर मौन रहती हैं। हालांकि प्राचीन भारत की ओर नजर दौड़ाएं तो यहां समाज शारीरिक संबंधों को लेकर काफ़ी खुला नजरिया पहले था। जिसकी मिसाल हमें खजुराहो के मंदिरों से लेकर वात्स्यायन के विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ कामसूत्र तक में देखने को मिलती है। लेकिन जैसे-जैसे समाज आगे बढ़ा मर्द-औरत के यौन संबंध से जुड़ी बातों में परदेदारी और पहरेदारी हो गई। वहीं नई पीढ़ी का मानना है कि सेक्शुएलिटी समाज की बंदिशों में नहीं बंधी होनी चाहिए। इस पर खुल के बात होनी चाहिए।
आखिर सेक्स है क्या…
दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां सेक्स को सिर्फ़ बच्चे पैदा करने की ज़रूरत समझा। अगर ‘सेक्स क्यों’? के जुमले से सवालिया निशान हटा लिया जाए तो शायद लोग इसका बेहतर मतलब समझ पाएंगे। सेक्स की ख़्वाहिश क़ुदरती प्रक्रिया है। एक लड़की जैसे-जैसे बड़ी होती है, उसके अंदर हार्मोन नए तरीके के बनते हैं, जो उसके शरीर को अलग तरह का संकेत देते हैं। यहीं संकेत उसे विपरीत लिंग के दोस्त की ओर आकर्षित करता है, जिसे बाद में वो ब्वॉय फ्रेंड का नाम देकर सेक्स के लिए प्रयोग करने लगती है। चिकित्सकों के रिसर्च के अनुसार स्वस्थ सेक्स करने से व्यक्ति की उम्र और तेज दोनों बढ़ता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले 40 साल के बाद के लोग बूढे माने जाते थे, अब 40 के बाद बहुत से पुरुषों ने शादी की। कई महिलाएं 50 के बाद मां बनीं। यानी अब उम्र करीब 20 साल आगे बढ़ चुकी है।

क़ुदरत अपने मुताबिक़ इंसान को बदलती रही है और बदलती रहेगी। अब बदलाव हमें अपनी सोच में करने की ज़रूरत है। सेक्स और सेक्शुअल पसंद को लेकर हमें अपने विचार बदलने की ज़रूरत है। वो दिन दूर नहीं जब सारी दुनिया सेक्स को ख़ुशी और मनोरंजन का माध्यम यानी सिर्फ़ सेक्स ही मानेगी। न कि बच्चे पैदा करने का माध्यम।
बदलते समय के साथ आज न सिर्फ़ इंसानी रिश्ते बदल रहे हैं। बल्कि यौन संबंध को लेकर लोगों का बर्ताव भी बदल रहा है। साल 2015 में अमरीका की मशहूर सैन डियागो यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर जीन एम ट्वींग ने एक रिसर्च किया और अपने प्रकाशित पेपर में उन्होंने साफ कहा था कि साल 1970 से वर्ष 2010 तक अमरीका में बहुत हद तक लोगों ने बिना शादी के सेक्शुअल रिलेशनशिप को स्वीकार करना शुरू कर दिया था। ट्वींग के मुताबिक़ सेक्स समय का पाबंद नहीं है। उसमें बदलाव होते रहे हैं। अब ये बदलाव इतनी तेज़ी से हो रहे हैं कि हम ये बदलाव स्वीकार करने के लिए तैयार भी नहीं हैं।

गौरतलब है कि जिस्मानी रिश्ते केवल स्त्री और पुरुष के बीच नहीं बनते। बल्कि लेस्बियन और गे रिलेशन भी कई देशों में मान्य हो गया है। उनके अनुसार ये कोई मानसिक या शारीरिक विकृति नहीं है। हालांकि धार्मिक और सामाजिक रूप से इसे अनैतिक माना जाता है। धर्म तो कहता है कि समान लिंग वाले जानवर तक आपस में संबंध नहीं बनाते। वहीं साइंस के अनुसार जापानी मकाक, फल मक्खियां, फ़्लोर फ़्लाइज़, अल्बाट्रॉस पक्षी और बोटल नोज़ डॉल्फ़िन समेत ऐसी क़रीब 500 प्रजातियां हैं, जिनके बीच होमोसेक्शुएलिटी होती है। लेकिन हम इन्हें, लेस्बियन, गे या हेट्रोसेक्सुअल जैसे नाम नहीं देते।

जैसे-जैसे यौन सबंध के प्रति लोगों की सोच बदल रही है, वैसे-वैसे लोगों ने गे और लेस्बियन रिश्तों को भी स्वीकार करना शुरू कर दिया है। हाल ही में 141 देशों में की गई रिसर्च ये बताती है कि साल 1981 से वर्ष 2014 तक क़रीब 57 फ़ीसद इज़ाफ़ा हुआ है। इसमें मीडिया, मेडिकल सपोर्ट और मनोवैज्ञानिक संस्थाओं के सकारात्मक साथ ने बहुत अहम रोल निभाया है। साल 1960 से 2017 तक इंसान की औसत उम्र क़रीब 20 साल बढ़ चुकी है। एक अन्य रिसर्च के मुताबिक़ साल 2040 आते-आते इसमे चार साल का और इज़ाफ़ा हो जाएगा। अमरीकी जीव वैज्ञानिक और भविष्यवादी स्टीवेन ऑस्टाड के मुताबिक़ आने वाले समय में हो सकता है कि इंसान 150 बरस तक जिए। वहीं कई वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इतनी लंबी ज़िंदगी में सिर्फ़ एक ही सेक्स पार्टनर के साथ गुज़ारा मुश्किल होगा। इसका उदाहरण आपको इतिहास में मिलेगा। पहले 60 साल के बादशाह की शादी 16 साल की लड़की से होती थी। आप इससे सहज समझ सकते हैं कि सेक्स के लिए एक उम्र के बाद नए पार्टनर की जरूरत भी होती है।

लिहाज़ा वो समय-समय पर अपना यौन संबंध का साथी बदलता रहेगा। और इसकी शुरुआत हो चुकी है। बड़े शहरों में इसकी मिसालें ख़ूब देखने को मिलती हैं। तलाक़ के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। साल 2013 के सर्वे के मुताबिक़ अमरीका में हर 10 में से चौथे जोड़े की दूसरी या तीसरी शादी होती है। आने वाले समय में कमिटमेंट और शादीशुदा ज़िंदगी को लेकर भी कई नए आइडिया सामने आ सकते हैं। अब भारत में भी कोई ऐसा घर नहीं है, जिनके परिवारों में तलाक के एक-आध मामले न आ रहे हों।
पोर्न देखने से बढ़ती है नपुंसकता
सोशल मीडिया पर तेजी से पसर रही पोर्न और उत्तेजक वीडियो देखकर आज की युवा पीढ़ी नपुंसकता का शिकार हो रही है। अमेरिकी वैज्ञानिक स्टीव होम्स के अनुसार पोर्न देखने से मानसिक उचश्रृंखला बड़ी तेजी से बढ़ती है। जिसके कारण युवा पीढ़ी अब परेशानी की ओर जा रही है। आज पोर्न देखने का चलन जितना बढ़ चुका है, उससे साफ़ ज़ाहिर है कि लोगों में सेक्स की भूख कितनी ज़्यादा है। पोर्न देखने से कुछ मिले न मिले, लेकिन सेक्स की ख़्वाहिश बहुत हद तक शांत हो जाती है।