ए अहमद सौदागर
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में अवैध पटाखा फैक्ट्री का कारोबार शहरी क्षेत्र ही नहीं बाहरी इलाकों में मानो लघु उद्योग के रूप में फैल चुका है।
कई क्षेत्रों में अवैध पटाखा बनाने की फैक्ट्रियां धड़ल्ले से चल रहीं हैं। संबंधित विभाग सिर्फ कागजों पर घोड़े दौड़ा कर इस अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के दावे कर रहा है। नतीजतन कोई साल अछूता नहीं है कि जब कहीं न कहीं पटाखा कारखाने में विस्फोट न हो। इस दौरान बहुत लोगों की जानें भी गईं। रविवार को गुडंबा क्षेत्र के कुर्सी रोड पर स्थित बेहटा कस्बे में रहने वाले 50 वर्षीय आलम में विस्फोट हुआ और इस हादसे में आलम व उनकी पत्नी मुन्नी की मौत हो। तेज धमाके से मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। इस धमाके की चपेट आकर आधा दर्जन लोग बुरी तरह से जख्मी भी हो गए। आलम के घर में भी अवैध रूप से पटाखा फैक्ट्री सालों से चल रही थी। इस मामले में पुलिस के आलाधिकारी बेहटा चौकी प्रभारी संतोष पटेल और सिपाही धर्मेश चाहर निलंबित कर स्टेशन अफसर की नाकामी पर पर्दा डाल कर दिया।
व्यवस्था पर भारी, अवैध पटाखा कारोबारी
ताबड़तोड़ छापे, कार्रवाई भी खूब, इसके बावजूद आंकड़े और हो रही घटनाएं जिले भर में अवैध पटाखा फैक्ट्री की जो तस्वीर दर्शा रहे हैं वह काफी भयावह है। अवैध पटाखा फैक्ट्रियों में भले ही लोगों की जिंदगियां सुलग रही हों, लेकिन जयराम की इस आंच को ठंडा कर पाने में प्रशासनिक मशीनरी नाकाम साबित दिख रही है। बीते कुछ सालों से लेकर अबतक के आंकड़े बताने के लिए काफी है कि इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए अभियान तो बहुत चले, लेकिन हर साल यह अवैध धंधा कम होने के बजाए बढ़ता गया।
