ठाकुर अपराधियों के खिलाफ ‘ठाकुर’ ने खोला मोर्चा

  • पूर्व आईपीएस ने यूपी के मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को लिखा पत्र
  • बृजेश सिंह पर लखनऊ में चल रहे मुकदमे में सही पैरवी की मांग
  • अतीक- मुख्तार की मौत के बाद यूपी में धनंजय और बृजेश के ख़िलाफ़ भी उठने लगी आवाज़
    प्रदेश को भयमुक्त कराने वाली योगी सरकार इन दो बाहुबलियों पर भी कर सकती है कार्रवाई
  • कुछ दिनों पूर्व ही एक केस में जेल की सलाख़ों के पीछे जा चुके हैं धनंजय

डी.पी. शुक्ल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश जिसे पहले उपद्रव प्रदेश कहा जाता था, आज वहां कानून का राज स्थापित हो चुका है। दंगा करने वाले दंगा करना भूल चुके हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि दंगा किया तो उलटा लटका दिये जाएंगे। हमने जाति, मत, मजहब, क्षेत्र और भाषा के आधार पर तुष्टिकरण नहीं, जनता की संतुष्टि के आधार पर काम किया है। जिसका आधार था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंत्र,- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’। यूपी में आप देख रहे हैं कि वहां किस प्रकार का माहौल है। वहां हर दूसरे दिन दंगे हुआ करते थे, महीनों तक कर्फ्यू लगा करते थे। आज वहां उत्सव और महोत्सव हो रहे हैं, कर्फ्यू की जगह कांवड़ यात्रा निकल रही है। महाराष्ट्र के भंडारा लोकसभा प्रत्याशी सुनील मेढ़े के प्रचार में पहुंचे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब मंच से गर्जना की तो कुछ देर तक वहाँ लाखों की संख्या में उपस्थित भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट ही गूंजती रही।

वहीं दूसरी ओर आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने यूपी के पुलिस महानिदेशक (DGP), अपर मुख्य सचिव गृह (ACS Home) तथा मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बृजेश सिंह तथा त्रिभुवन सिंह के खिलाफ लखनऊ के MP-MLA कोर्ट में चल रहे हत्या के मुकदमे में सही पैरवी करने का अनुरोध किया है। अपने पत्र में उन्होंने कहा कि इन दोनों पर वर्ष 2001 में थाना महमूदाबाद, सीतापुर में दर्ज हत्या के मुकदमे की सुनवाई एमपीएमएलए कोर्ट लखनऊ में हो रही है। उन्हें प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में सरकार की ओर से लचर पैरवी और पुलिस द्वारा गवाहों को धमकाने जैसी शिकायतें आ रही हैं।

अमिताभ ठाकुर

अमिताभ ठाकुर ने DGP से मुकदमे को व्यक्तिगत रूप से देखने और इसकी सही पैरवी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि यदि लचर पैरवी या गवाहों के पक्षद्रोही होने के कारण मुकदमा छूट जाता है तो इससे पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल उठेंगे। समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार इस समय क़ानून का मखौल उड़ा रही है। यही कारण है कि देश की सर्वोच्च अदालत को भी यूपी सरकार की कार्रवाई पर कमेंट करना पड़ा।योगी सरकार ने एक जाति के लोगों को हर तरह की छूट दे रखी है, वो चाहे किसी भी तरह का अत्याचार करें। चाहे जो करें, सब माफ़ है। बाक़ी अन्य जातियों पर वो टूट पड़ते हैं, अगर वह जाति, मत, मजहब, क्षेत्र और भाषा से ऊपर उठकर कार्य करते तो उन पर इस तरह का लांछन कभी नहीं लगता। यूपी के प्रमोटी अफ़सरों में कुल 23 ज़िलाधिकारी के रूप में तैनात हैं, जिसमें एक जाति विशेष से 16 अफ़सर बतौर डीएम तैनात हैं। कुछ इसी तरह की तैनाती इंस्पेक्टरों की भी है। एक जाति विशेष से थाना प्रभारियों की भरमार है।

पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र

 

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में तेरा और मेरे का खेल चल रहा है। ये खेल पिछले सात साल से चल रहा है। यूपी के सीएम बयानवीर मुख्यमंत्री होकर रह गए हैं। जेल में हत्याएं, दलित बेटी को ज़िंदा जला देना, ये उदाहरण है। ये कौन ज़िम्मेदार है? सरकार, मुख्यमंत्री या फिर अफ़सर! इसका जवाब सीएम को ही तलाशना पड़ेगा। बाहर के राज्य में जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन प्रदेश की हालात वह नहीं देख पाते। प्रदेश की जनता इसे बख़ूबी समझ चुकी है और उन्हें चुनाव में करारा जवाब मिलेगा।

अशोक सिंह

महाराष्ट्र में गरजे योगी, बोले- दंगा करने वालों को पता है यूपी में उलटा लटका दिये जाएंगे

 वहीं बिहार कैडर में 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास जो यूपी के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर के कट्टर समर्थक हैं, ने कहा कि किसी भी अपराधी को किसी भी प्रांत का मुख्यमंत्री अगर जातीय तराज़ू पर तौलता है तो यह उस राज्य के लिए और उस मुख्यमंत्री के लिए भविष्य में घातक हो सकता है, क्योंकि अपराधी का फन कभी भी अपने सजातीय सीएम या प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ जहर उगल सकता है… अपराधी सिर्फ़ बम, बंदूक और बुलेट की भाषा जानते हैं।

अमिताभ कुमार दास

 

धनंजय की माँग को हाईकोर्ट ने किया नामंज़ूर

जौनपुर के पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह की क्रिमिनल अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जेल में बंद पूर्व सांसद धनंजय सिंह के मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी। इस बीच हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का रिकॉर्ड तलब किया। वहीं धनंजय के वकील ने बिना ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड के इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुनवाई मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दिया। वहीं उच्च न्यायालय ने 22 अप्रैल तक राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है।
बताते चलें कि पिछले छह मार्च को जौनपुर MP-MLA के स्पेशल जज की कोर्ट धनंजय को सज़ा दी है। इस फैसले के खिलाफ बाहुबली ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका की है। इस याचिका में सात साल की सजा रद्द करने और जमानत पर रिहाई देने की माँग की है। इस आदेश में पूर्व सांसद और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सात-सात साल के कठोर कारावास की सज़ा मिली है। बताते चलें कि नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण, रंगदारी मांगने, धमकाने और आपराधिक साजिश के मामले में धनंजय सिंह को यह सजा MP-MLA कोर्ट ने दी है। 10 मई 2020 को जौनपुर के लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।

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