सावन में इन वस्तुओं का श्रृंगार और अर्पण देता है एक करोड़ कन्यादान का पुण्यफल

  • भगवान शिव को चढ़ाते हैं प्राकृतिक चीजें, जानें क्यों इसका महत्व और क्या है फल
  • भोलेनाथ हैं प्रकृत्ति के देवता, उनका श्रृंगार प्रकृति करती है इसलिए चढ़ाते हैं कई वस्तुएं

आचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा

सावन सोमवार से भगवान शिव का प्रिय महीना शुरू हो गया है। इस दौरान भक्त भगवान को कई प्राकृतिक चीजें चढ़ाते हैं और प्राकृतिक चीजों से भोलेनाथ का शिवालयों में श्रृंगार करते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि महादेव को प्राकृतिक चीजें ही क्यों चढ़ाते हैं और इसकी कथा क्या है…? भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष फलदायी माने जाने वाले सावन माह की सोमवार से शुरुआता हो गई है। वर्षों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि सावन माह की शुरुआत सोमवार से और समापन भी सोमवार को होगा। खास बात यह है कि सावन में पांच सोमवार का संयोग भी रहेगा। इससे इस महीने प्राकृतिक वस्तुओं से पूजा अर्चना से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव को क्यों प्राकृतिक चीजें चढ़ाते हैं।

इसका जवाब कई पंडित और विद्वान देते हैं। पंडितों का कहना है कि भगवान भोलेनाथ प्रकृति के देवता है, इसलिए भगवान का श्रृंगार प्राकृतिक वस्तुओं से होता है। सावन में बेल पत्र, धतुरा, फूल आदि अर्पित करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पूरे सावन माह में श्रद्धा भक्ति का नजारा दिखाई देगा। इस दौरान अनेक आयोजन होंगे। पहले सावन सोमवार पर भी शिवालयों में पूजा के साथ विशेष शृंगार किया जाएगा।

सावन विशेषः अपनी राशि के अनुसार करें भगवान शंकर की पूजा, होगी हर कामना पूर्ण, जानें

भगवान भोलेनाथ को यह अर्पित करें

बेल पत्र, धतूरा, दूधदही, शहद, मदार, गंगाजल, फलफूल, भांग, शमीपत्र और भस्म आदि।

बेलपत्र में किसका वास

मान्यता है कि बेलपत्र की पेड़ की जड़ में गिरिजा, तनों में माहेश्वरी, शाखाओं में दक्षिणायनी और पत्तियों में मां पार्वती के रूप का वास होता है। माता पार्वती का प्रतिबिंब होने की वजह से बेलपत्र को भगवान शिव पर चढ़ाते हैं। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। बेल पत्र और जल से भगवान शिव का मस्तिष्क शीतल रहता है।

शिवलिंग पर क्यों अर्पित करते हैं बेलपत्र

बेलपत्र का आध्यात्मिक, प्राकृतिक वैज्ञानिक महत्व है। बेलपत्र विटामिन से भरपूर होता है और इससे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। पौराणिक मान्यता है कि एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई। उससे बेल का पेड़ निकल आया। इसलिए इस पेड़ पर वे कई स्वरूपों में रहती हैं। मान्यता है कि समुद्र मंथन में हलाहल विष का पान भगवान शिव ने विश्वकल्याण के लिए किया है। विष के प्रभाव कम करने के लिए देवीदेवताओं ने उन्हें बेलपत्र, जल अर्पित किया था।

श्रावण माह विशेष : इस-इस दिन पड़ रहा है सोमवार और ऐसे करें सावन में पूजा

बेलपत्र का औषधीय महत्व

बेलपत्र के पेड़ की छाल, जड़, फल और पत्ते विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयुक्त होते हैं। बेलपत्र से मसूड़ों से खून आना, अस्थमा, पीलिया, पेचिश, एनीमिया आदि रोगों का उपचार होता है। बेल के फल में विटामिन ए, सी, बी1, बी6, बी12, कैल्शियम, पोटैशियम, राइबोलेविन और फाइबर मिलता है। इसमें एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं।

Religion

हथेली की इन रेखाओं से पता चलता है कि कितने साल जिएंगे आप

राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद हथेली में कलाई के पास मणिबंध रेखाएं होती हैं। ये रेखाएं आड़ी होती हैं। हस्त रेखा विशेषज्ञों की मानें तो हथेली में मणिबंध रेखाओं की संख्या 1 से 5 तक होती है। हर एक रेखा की औसत आयु 20 से लेकर 25 साल होती है। हस्त रेखा शास्त्र से व्यक्ति […]

Read More
Religion

गंगाजल भगवान विष्णु की चरणामृत,सम्मान दें- कृष्णा महाराज

पंक्ति में बैठे व्यक्ति से भेदभाव करना पूरी तरह से गलत देवी भागवत के छठवें दिन निकाली गई मां कालरात्रि की पालकी जगदलपुर। गंगाजल भगवान विष्णु की चरणामृत है। गंगाजी को सूर्य का प्रकाश दिखाकर रोज पीना चाहिए। इससे गंगाजल की शक्ति बढ़ जाती है। गंगाजी को कैद कर रखना नहीं चाहिए। गंगाजल को तांबे […]

Read More
Religion

वास्तु के आसान टिप्सः जानें घर में क्यों लगाते हैं बहते झरने, नदी और पानी की तस्वीर

जानें आपकी किस्मत पर क्या पड़ता है इसका असर आपको भी बदलनी हो तकदीर तो जरूर आजमाएं  आपने कई लोगों के घरों में देखा होगा कि बहते हुए झरने, नदियों और पानी की तस्वीर या शो-पीस रहते हैं। ऐसे में वास्तु की दृष्टि से बहुत कम लोग इसका महत्व जानते हैं, वास्तुशास्त्र के अनुसार माना […]

Read More