अनहोनीः सुरक्षा के जिम्मेदार भी खुद असुरक्षित, रेप का प्रयास और जान से मारने का मुकदमा दर्ज

  • 11 व 12 नवंबर की रात एक से ढाई बजे हुई यह घटना
  • डरी-सहमी तीन दिनों तक सरकारी आवास में बंद रही नायब तहसीलदार

विजय पांडेय

बस्ती। वो खुद प्रशासनिक अफसर है। लोगों को राजस्व मामले में सजा और न्याय मुकर्रर करती है। लेकिन बीते 11 व 12 नवम्बर की दरम्यानी रात वो एक अबला की तरह अपने सरकारी आवास में बंद रही। पुलिस को दिए आवेदन की माने तो उसके बैच का एक साथी उसकी इज्जत लूटना चाहता था। हालांकि बस्ती कोतवाली ने मुकदमा दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी तक सच्चाई बाहर नहीं आ सकी है।

घटना बस्ती जिले के सदर तहसील की है। कोतवाली में मुक़दमा दर्ज कराने वाली महिला बस्ती सदर में बतौर नायब तहसीलदार यानी जूनियर मजिस्ट्रेट तैनात है। उसने अपने ही बैच के नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल पर बलात्कार की कोशिश और हत्या का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज कराया है। घटना 11 व 12 नवंबर रात एक बजे से लेकर ढाई बजे के बीच की है। शुक्रवार को पीड़िता ने महिला पुलिस अधिकारी के समक्ष 161 का बयान दर्ज कराया। शाम तक न्यायालय में धारा-164 का बयान भी हो गया।

पुलिस को मिली तहरीर के मुताबिक घटना की रात तकरीबन एक बजे आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ल पीड़िता के सरकारी आवास के पीछे का दरवाजा तोड़कर अंदर घुस गए। वहां वो उसके साथ मारपीट, गाली-गलौच करते हुए दुष्कर्म का प्रयास करने लगे। पीड़िता द्वारा विरोध करने पर घनश्याम ने गला दबाकर मारने का भी प्रयास किया। वह किसी तरह खुद को बचाकर घर के अंदर छिप गई। तहरीर के मुताबिक आरोपी रात ढाई बजे तक पीड़िता के सरकारी आवास के आस-पास मंडराता रहा। घटना के बाद डरी-सहमी महिला नायब तहसीलदार तीन दिनों तक आवास में छिपी रही। चौथे दिन परिवार के लोगों को घटना की जानकारी देने के साथ गुरुवार को पुलिस को तहरीर दी। अगले दिन यानी शुक्रवार को पीड़िता की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने धारा 452, 323, 504, 254, 307, 376, 511 IPC के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया।

पुलिस अधीक्षक बस्ती गोपाल कृष्ण चौधरी के मुताबिक मामले में गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है। साक्ष्य संकलन की कार्रवाई तेजी से की जा रही है। पुलिस अधिकारी हर पहलुओं की बारीकी से जांच कर रहे हैं। विवेचना इंस्पेक्टर अनिल यादव को सौंपी गई है। जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी। वहीं एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि जघन्यतम घटना को अंजाम देने वाले नायब तहसीलदार को जल्द से जल्द सजा दिलाई जाएगी। वह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाएंगे कि ऐसे अफसर को वो सेवा से बर्खास्त कर दें।

कुछ दिन पहले डीएम ने लगाई थी फटकार

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच कुछ न कुछ खिचड़ी जरूर पक रही थी, जिसकी भनक डीएम आंद्रा वामसी को थी। उन्होंने किसी मुद्दे पर दोनों को जमकर फटकार लगाई थी और हिदायत दी थी कि एक-दूसरे से दूर रहें। उसके एक हफ्ते बाद ही इस तरह की घटना सामने आने पर लोगों के बीच काना-फूसी तेज है।

…अफसर होकर कैसे अबला

अभी कुछ दिनों पहले की बात है। नायब तहसीलदार से प्रमोशन पाकर नरेंद्र सिंह और उमाकांत त्रिपाठी आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) के अफसर बन गए। राजधानी के प्रशानसिक गलियारों में चर्चा है कि किसी न किसी छोटे जिले में उन्हें जिलाधिकारी भी बनाया जा सकता है। अब यहां सवाल खड़ा होता है कि उसी नायब तहसीलदार के पद पर कार्य करने वाली महिला अबला कैसे हो सकती है?

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कहीं राजनीति की शिकार तो नहीं

बस्ती के स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह पीड़िता के एक सजातीय एमएलसी इस मुद्दे को तूल पकड़ा रहे हैं, उससे कहीं न कहीं राजनीति की बू आ रही है। या तो आरोपी घनश्याम शुक्ल ने कहीं उनके आदेश की नाफरमानी की है या फिर सजातीय लड़की से किसी अन्य की नजदीकियां उन्हें खल गई होगी। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि आरोपी तो शादी-शुदा है और दो बच्चों का पिता है, जबकि पीड़िता अभी अविवाहित है। किसी खास-म-खास से शादी कराने के लिए यह षडयंत्र तो नहीं रचा गया।

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