सुशासन जनता के जीवन में बदलाव लाने का माध्यम : डॉ दिनेश शर्मा

  • डिजिटल इंडिया ने   सुशासन की अवधारणा को दिया नया आयाम
  • व्यक्तित्व को निखारता है उत्तरदायित्व का बोध
  • विधि के अनुसार कार्यों का सम्पादन सुशासन का महत्वपूर्ण अंग

लखनऊ। राज्यसभा सांसद व पूर्व  उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि  सुशासन जनता के जीवन में बदलाव लाने का माध्यम है। डिजिटल इंडिया ने सुशासन की अवधारणा को नया आयाम दिया  है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल  के चलते पिछले नौ साल में देश बदल गया है। सुशासन के  बदले स्वरूप ने पत्र भेजने से लेकर पढने लिखने, व्यापार करने और भुगतान करने, खेती करने तक के तरीके बदल दिए हैं। आज गांव गांव में इंटरनेट पहुच चुका है। कोरोना जैसे समय में भी ज्ञान का प्रवाह थमा नहीं था। डी.पी.ए. सभागार, लोकप्रशासन विभाग, लखनऊ विश्विद्यालय में काउंसलिंग एंड गाइडेंस सेल एवं हैप्पी थिंकिंग लेबोरेट्री के तृतीय स्थापना वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री की घर घर शौचालय योजना, उज्जवला योजना, आवास योजना, जनधन खाता योजना, हर घर बिजली योजना ने लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया है। स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाए भी सुशासन का बदला  स्वरूप है जो आर्थिक परिदृश्य को बदल रही हैं। शिक्षा जगत भी सुशासन के नए तौर तरीको का अपनाकर आगे बढ रहा है।

सर्वसम्मति, भागीदारी, पारदर्शिता, जवाबदेही, प्रभावशीलता और कार्यकुशलता को सुशासन के आयाम बताते हुए उन्होंने कहा कि जनता और शासक के बीच में  सम्पर्क रहना भी आवश्यक है क्योंकि जनता और शासक एक दूसरे के पूरक होते हैं। शासक की सोंच हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए तथा प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए। शासक को  अच्छे और बुरे दोनो का उत्तरदायित्व लेना चाहिए। उत्तरदायित्व का बोध व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है। पारदर्शिता सुशासन का सबसे अहम पहलू है और यह भेदभाव की संभावनाओं को समाप्त करती है। सुशासन को परिभाषित करते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि अच्छा शासन ही सुशासन है। इसका धर्मग्रन्थों और कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि चाणक्य से एक बार पूछा गया था कि राजा में कौन सा गुण होना चाहिए। इसके जवाब में चाणक्य ने कहा कि उसमे श्वान का गुण होना चाहिए कि वह सोते समय में भी सतर्क रहे और आक्रमण होने पर श्वान की तरह ही जवाब दे सके। राजा को श्वान की तरह ही जनता के प्रति वफादार भी होना चाहिए। आज के समय का शासन जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा  परिभाषित किया जाता है। पहले के समय में राजा का शासन होता था और उस समय सुशासन को रामराज्य भी कहा गया। रामराज्य में भी समानता सर्वोपरि थी और एक साधारण व्यक्ति की बात को भी प्रभु राम ने सुना था।उन्होंने भेदभाव रहित शासन देने के साथ ही  सभी की भागीदारी भी सुनिश्चित की थी। सभी निर्णय भी सर्वसहमति से किए जाते थे।

उन्होंने कहा कि एक कुशल प्रशासक में त्वरित निर्णय लेकर उसे लागू करने की क्षमता होनी चाहिए  साथ ही उसे  हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। यह गुण व्यक्ति को सबल बनाने के साथ ही सुव्यवस्थित होकर कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। विधि के अनुसार कार्यों का सम्पादन सुशासन का महत्वपूर्ण आयाम है। प्रधानमंत्री के स्वच्छता  अभियान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कार्य का तय समय सीमा में कुशलता के साथ होना भी इसका अंग है। पहले भी स्वच्छता को लेकर कार्य हुए पर परिणाम वर्तमान समय जैसे नहीं रहे थे। सांसद ने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर हैप्पी थिंकिंग प्रयोगशाला  का निर्माण हुआ है। खुशी एक ऐसा भाव है जो अन्दर से प्रकट होता है। बाहरी प्रयोगों से अगर ये आती है तो अच्छा प्रयोग है। कभी कभी अच्छा काम करने के बावजूद खुशी नहीं होती है। चिन्ता खुश होने की राह की सबसे बडी बाधा है। इस अवसर पर प्रो. अरविंद अवस्थी, प्रो. मैत्री, प्रो. रवि पांडे, प्रो. रश्मि पांडे, प्रो. तौफीक, डॉ. अनुपम, डॉ. वैशाली, डॉ. फाजिल, डॉ. ओपी शुक्ला एवं अंचल श्रीवास्तव जी उपस्थित रहे।

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