सामान्य जनजीवन से निकले- श्रीकृष्ण व बलराम

  • भादौ खेती किसानी का महत्वपूर्ण महीना
  • लोक के प्रतिनिधि किसान-गोपालक
  • हल -मूसल बलराम के,
  • तो वंशी और लकुटिया- श्रीकृष्ण के हाथ मे
  • भगवान का पीड़ित परिवार मे अवतार

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

श्रीहरि का श्रीकृष्णावतार और शेष का बलराम के रूपमे एक पीडित परिवार मे अवतार लेना अद्भुत है। यदुवंशी बसुदेव और देवकी को महाराजा कंस ने बंदी बनाकर कारागार मे बंद कर दिया। जब आकाशवाणी से मिले संदेश मे मृत्यु के भय होने लगा तो उनकी होने वाली संतानों का वध करने लगा। इसके पहले राजसत्ता के लिए इतना आतुर था कि  कंस ने अपने ही पिता को बंदी बनाकर राज सत्ता हथिया ली थी। उसके राज में दूध दही बेचने वाले को भी कर देना पड़ता था। आसुरी वृत्ति के लोग इसके परम मित्र थे। मगध के शासक जरासंध ने अपनी दो पुत्रियों का विवाह कंस से किया था। कंस का अत्याचार दिनों दिन बढ़ता ही जारहा था।

यद्यपि शिशुपाल और दंतवक्र के लिए श्रीकृष्ण और बलराम ने अवतार लिये थे। पर कंस तो उनसे भी बड़ा अपराधी शासक बन बैठा। इसलिए श्रीकृष्ण- बलराम को उनसे पहले इसे मारना पड़ा। अपनी संभावित मृत्यु के भय से कंस पागल होचुका था। उसने सबसे बड़ा पातक, बालहत्यायें करानी शुरुकर दी थीं। वैसे वह  अपनी बहन से बहुत प्रेम करता था। पर संबंध हार गए, जब इसे अपने मृत्यु का भय सताने लगा। कंस ने बहन और बहनोई को जेल में बंद कर उनपर अत्याचार शुरु कर दिये।

हलधर #बलराम के अवतरण के साथ.. कृषकों का बढ़ा मान

उत्तम खेती मध्यम बान निषिध चाकरी भीख निदान।” यह सुनते आए हैं.. लोकोक्ति में‌। पर ऐसे ही गोपालकों के घर हलधर बलराम और श्रीकृष्ण दोनों ने बचपन बिताया। जानकर आश्चर्य होता है। बसुदेव जी के सातवें सुपुत्र बलराम जी ने उन्ही की पत्नी रोहिणी के गर्भ से जन्म लिया। देवकी के गर्भस्थ शिशु का रोहिणी के गर्भ से जन्म लेना अद्भुत और  द्वापर के अंतिम चरण में विज्ञान के अति विकसित होने का प्रमाण दे रहा है‌। पौराणिक आख्यान बताते हैं कि कारागार मे बंद बसुदेव देवकी से उनके  मित्र गोकुल के नंद जी बहुधा मिलने जाया करते थे। वहीं से बसुदेव -देवकी को श्रीकृष्ण- बलराम के जन्म लेने की खबर मिली‌। ईश्वर की माया के कारण वे भूले हुए थे कि वास्तव मे नंद यशोदा के घर पल रही संताने उन्हीं की हैं। यह सत्य खुला तो सुरक्षा के लिए लोगों ने प्रकट नहीं होने दिया। फिर भी कंस तो पीछे पड़ा ही रहा। नंद सुत का जन्म उसी रात मे हुआ,यह जानकर उनको मारने के लिए कंस  लगातार षड़यंत्र करता रहा। बलराम ने अपने आयुध हल- मूसल रखे,वे कृषक रूप मे रहे । जब की श्रीकृष्ण लकुटिया लेकर नित्य गोचारण करते रहे। वंशी बजाना,माखन चुराना शहर मे बिकने जारहे दूध दही घी को खाकर ब्रजवासी बालक ताकत वर बने इस उद्देश्य मे लगे रहे और दुष्ट शासन तंत्र से मुकाबला कर सके श्रीकृष्ण ने ऐसा यत्न किया‌। श्रीकृष्ण का गुप चुप संगठन बनता रहा। जिसके द्वारा इंद्र से भी उन्होंने अदावत मोल लेली। इंद्र के बजाय गोबर्द्धन पूजा करा दी।

हलषष्ठी के व्रत से छिपाया बलराम का जन्म

मुझे लगता है, जिस तरह श्रीकृष्ण के जन्म को छिपाया गया। उसी तरह बलराम जी के जन्म को भी गोपनीय रखा गया। क्योंकि रोहिणी जी तो बसुदेव की ही पत्नी थी। यह बात सभी लोग जानते थे‌। कृषि यंत्रो की पूजा और छट्ठी माता की पूजा कर उनका जन्मोत्सव लोगो ने मना लिया।

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