धोखा दे रहा दिल: युवाओं में पैर पसार रही दिल की बीमारी

राजधानी लखनऊ में पिछले साल के दिसम्बर महीने में 21 साल की एक युवती की शादी के पहले वरमाला के दौरान स्टेज पर ही दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई। वहीं आंध्र प्रदेश के काकीनाडा जिले में अवतार-2 देख रहे एक फैन की सिनेमाघर में हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई। पता चला है कि वह फिल्म देखते समय काफी उत्साहित था। मशहूर हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव कसरत करते समय इस घातक बीमारी के शिकार हो गए। आखिर क्यों धोखा दे रहा है हृदय? क्या कारण है युवाओं को भी नहीं छोड़ रही है यह ख़तरनाक मर्ज़। हार्ट अटैक क्यों बन गया साइलेंट किलर… इस पर रोशनी डालती ‘नया लुक’ की रिपोर्ट…

लखनऊ।  आमतौर पर पहले दिल का दौरा पडऩे के मामले 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखे जाते थे, लेकिन अब 18 साल से कम उम्र के लोग भी कार्डियक अरेस्ट की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं। बीते एक साल के दौरान बॉलीवुड से जुड़ी कई हस्तियों की कम उम्र में ही दिल की बीमारी के चलते अचानक मौत हो चुकी है। इनमें से कइयों की मौत तो जिम में कसरत के समय ही दिल का दौरा पडऩे से हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया भर में खासकर युवा तबके में दिल से संबंधित बीमारियों से होने वाली 1.79 करोड़ मौतों में से 20 फीसदी भारत में ही हो रही है। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक भारत में दिल के दौरे से मरने वालों में 10 में से चार की उम्र 45 साल से कम है। 10 साल में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75 फीसदी तक बढ़ गई है। भारतीय महिलाओं में भी दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों की दर अपेक्षाकृत अधिक है। इस मामले की गंभीरता आँकड़ों से समझी जा सकती है। मुंबई में बीते साल छह महीनों में कोरोना के मुकाबले दिल के दौरे से ज्यादा मौतें हुईं। सूचना के अधिकार (RTI) से मिली जानकारी के अनुसार मुम्बई में पिछले साल जनवरी से जून के बीच कोरोना से 10 हजार 289 मौतें हुई थीं, जबकि इसी दौरान हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 17 हजार 880 रही। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स ने हाल में एक अध्ययन रिपोर्ट की मानें तो भारत में दिल की बीमारियों के कारण मृत्यु दर 272 प्रति लाख है जबकि वैश्विक औसत 235 का है।

लॉरी कार्डियोलॉजी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. वीएस नारायण का कहना है कि 40 साल से कम उम्र के 25 फीसदी और 50 साल से कम उम्र के 50 फीसदी लोगों को हार्ट अटैक का खतरा है। इसका मुख्य क़ारण हमारी आधुनिकता है। हमने अपनी पुरातन संस्कृति त्याग दी। जल्दी सोना, जल्दी उठना छोड़ दिया। आयुर्वेद से कोसों दूर हो गए। जंक फूड खाने लगे और फिज़क़िल ऐक्टिविटी से दूर हो गए। जब तक शाम सात बजे के बाद खाना नहीं छोड़ेंगे, यह बीमारी साथ नहीं छोड़ेगी। शाम सात बजे के बाद लीवर सो जाता है और हम खूब सारा खाना ठूँस लेते हैं। यही कारण है कि दिल तेज़ी से धोखा देने लगा है।

वहीं राजधानी लखनऊ के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकुल मिश्र कहते हैं कि अनियंत्रित जीवन शैली और खान-पान से लोग ख़ुद-ब-खुद इस साइलेंट किलर को अपने पास बुलाते हैं। प्रदूषण भी इसमें ख़ास रोल निभा रहा है, लेकिन हम उसे दूर नहीं कर सकते। स्वयं में सुधार के बाद ही यह बीमारी दूर हो सकती है।

गोरखपुर के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आसिफ़ शकील कहते हैं कि कोविड दो तरह से दिल पर असर डालता है। पहले तरीके में सीधे दिल की मांसपेशियों में इंफेक्शन होता है, इससे दिल कमजोर हो जाता है और खतरा बढ़ जाता है। दूसरा, कोविड के बाद संकमण का हल्का रूप कई महीने तक शरीर में बरकरार रहता है, इससे धमनियों में सूजन बनी रहती है और दिल के भीतर खून का थक्का बनने लगता है। इसकी वजह से दिल का दौरा पड़ सकता है और अन्य दिक्कतें भी हो सकती हैं। बीते दिनों दिल्ली में एक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यकम में सर गंगाराम हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी मेहता का कहना था कि भारत में हर साल करीब 20 लाख दिल के दौरे के मामले सामने आते हैं और इनमें से ज्यादातर युवा ही इसके शिकार होते हैं। शहर में रहने वाले पुरुषों को गांव में रहने वालों के मुकाबले दिल के दौरे की संभावना तीन गुना ज्यादा होती है।

क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?

युवाओं में दिल का दौरा पडऩे की घटनाएं आखिर क्यों बढ़ रही हैं? डॉ. वीएस नारायण इसके लिए बदलती जीवनशैली, शराब, धूम्रपान और गुटखे की बढ़ती लत को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि पिछले 20 साल के दौरान भारत में दिल का दौरा पडऩे के मामले दोगुने हो चुके हैं और अब ज्यादा युवा लोग इसके शिकार हो रहे हैं। दिल के दौरे के मामलों में 25 फीसदी लोग 40 साल से कम उम्र के हैं। बक़ौल डॉ. नारायण, निचले तबके के लोग ज़्यादा गुटखा और तम्बाकू खाने लगे हैं इसके कारण उन्हें दिल की बीमारी लग जाती है। वहीं संभ्रांत परिवार के लोग स्वीगी, जोमैटो जैसे प्लेटफ़ॉर्म से ऑनलाइन जंक फ़ूड मंगाते हैं और खाकर बीमार पड़ जाते हैं।

क्या है दिल का दौरा व कार्डियक अरेस्ट

राजधानी के मशहूर फि़जिशियन डॉ. पीके पांडेय के मुताबिक हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को लेकर भी अक्सर लोगों में गलतफहमी देखने को मिलती है। कुछ लोग कार्डियक अरेस्ट का मतलब दिल का दौरा समझ लेते हैं। दिल का दौरा तब होता है जब हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी होती है। इससे यह अचानक तेजी से धडक़ने लगता है या फिर अचानक धडक़ना बंद कर देता है। हार्ट अटैक की तुलना में कार्डियक अरेस्ट ज़्यादा जानलेवा होता है। इस स्थिति में रक्त के मस्तिष्क, फेफड़े और अन्य अंगों में संचार न होने के कारण व्यक्ति हांफने लगता है। सांस लेना बंद कर देता है और कुछ ही देर में उसकी मौत हो जाती है।

 

खूब चलिये स्वस्थ रहिये

अपोलो अस्पताल कोलकाता के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके तिवारी कहते हैं कि दिल का दौरा पडऩे के मामलों में आनुवांशिक प्रवृत्तियां भी अहम भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी लाइफस्टाइल संबंधित दिक्कतें भी जिम्मेदार होती हैं। धूम्रपान,शराब, मोटापा, तनाव, व्यायाम की कमी और प्रदूषण इसकी मुख्य वजहें हैं।

कोविड कितना डालता है असर?

डॉक्टरों से मिले आंकड़ों के मुताबिक कोविड महामारी के बाद दिल का दौरा पडऩे और कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं। डॉ. मुकुल मिश्र के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद कोरोना से संक्रमित लोगों में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामलों में 25-30 फीसदी का इजाफा हुआ है। कोरोना की वजह से जो मरीज अस्पताल में भर्ती थे या जिनको वेंटिलेटर पर रखा गया, अब वे दिल से बीमारियों से जूझ रहे हैं। कोविड अब भारत में निपट चुका है, उसके कारण कोई परमानेंट दिल की बीमारी नहीं हो सकती। वो कहते हैं कि पर्यावरण पर हमारा नियंत्रण नहीं है, लेकिन ख़ुद को जब तक सँभालेंगे नहीं इससे बच पाना मुश्किल है।

खामोशी से जान लेता है अटैक

राजधानी लखनऊ के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव रंजन कहते हैं कि दिल के दौरे का मुख्य कारण LDL-C (लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल) है। इसके अलावा धूम्रपान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आनुवांशिक इतिहास, जीवनशैली, कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन और शारीरिक व्यायाम की कमी से भी दिल का दौरा हो सकता है।

जीवनशैली में बदलाव

रांची के कार्डियक सर्जन डॉ. सहाय के अनुसार बीते कुछ बरसों के दौरान वर्क कल्चर तेजी से बदला है। अब युवाओं को दफ्तर में काफी तनाव लेना पड़ता है। इसी चक्कर में बाहर का खाना खाते हैं। साथ ही सिगरेट और शराब का सेवन भी खूब करते हैं। ऐसे में उनके दिल की बीमारियों की चपेट में आने का अंदेशा तेजी से बढ़ता है।

कैसे हो बचाव

तेजी से पांव पसारते इस साइलेंट किलर से कैसे बचा जा सकता है? डॉ. पीके पांडेय का कहना है कि स्वास्थ्यवर्धक भोजन, ताजे फलों और सब्जियों का इस्तेमाल, रोजाना कसरत और तनाव रहित जीवन से हृदय रोग को रोका जा सकता है। वहीं डॉ. वीएस नारायण कहते हैं जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव घटाकर, नियमित चेकअप (खासकर लिपिड प्रोफाइल) और दवाइयों का प्रयोग बेहद महत्वपूर्ण है। दिल से संबंधित किसी भी बीमारी से बचने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सप्ताह में दो दिन न हो सके तो कम से कम एक दिन ज़रूर उपवास रखें। डॉ. शकील के मुताबिक़ नियमित रूप से व्यायाम, स्वस्थ भोजन, धूम्रपान से परहेज, तनाव पर काबू पाना और शराब का सेवन कम से कम कर इस बीमारी से बचा जा सकता है।

बॉलीवुड भी चपेट में…

युवाओं में बढ़ती दिल की बीमारी से बॉलीवुड भी अछूता नहीं है। बीते एक साल के दौरान कम से कम दस लोगों की इस बीमारी के कारण मौत हो चुकी है। इनमें राजू श्रीवास्तव, सिंगर केके, सिद्धार्थ शुक्ला. वीर सूर्यवंशी,कन्नड अभिनेता पुनीत राजकुमार, राज कौशल और अमित मिस्त्री जैसी हस्तियां शामिल हैं।

केस-1  :  संतकबीर नगर का एक गाँव नाथनगर। बेटे के जन्मदिन पर गाँव भर को बाटी-चोखा और खीर की पार्टी। सबको विदा करके पहलवान और रिटायर्ड सब-इंसपेक्टर द्वारिका नाथ शुक्ल सोए और फिर कभी नहीं उठे। उन्हें न तो शुगर की बीमारी थी और न ही किसी प्रकार की कोई मर्ज़। इस साइलेंट किलर ने ऐसा दबोचा कि घर के किसी भी शख्स से एक गिलास पानी भी नहीं माँग पाए।

केस-2 :  शादी की ख़ुशियाँ। संगीत का कार्यक्रम। एक शादी वाले घर में हल्दी-संगीत का कार्यक्रम था। सभी खुशी से झूम रहे थे। मौक़ा मिलने पर ज़बरदस्त परफार्मेंस भी दे रहे थे। लेकिन तभी एक व्यक्ति डांस करते-करते गिरा और फिर कभी नहीं उठा। मामला देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी का है। चेतगंज थाना क्षेत्र में एक विवाह समारोह की खुशियां उस समय मातम में बदल गई। जब डांस करते समय एक व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गई।

केस-3 : मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में एक संगीत कार्यक्रम में चार महिलाएं स्टेज पर डांस कर रही थीं। अचानक एक महिला गिरी और हमेशा-हमेशा के लिए सो गई। महिला को हार्ट अटैक आया था। परिजन जिला अस्पताल सिवनी लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर ने महिला को मृत घोषित कर दिया और कहा कि महिला की मौत हार्ट अटैक से हुई है। इसी के साथ हर्ष व खुशी का माहौल गमगीन हो गया।

केस-4 : झारखंड की राजधानी रांची में बीते दिनों एक विवाह समारोह में डांस फ्लोर पर डांस करते समय एक 19 वर्षीय युवक की हृदयाघात से मौके पर ही मौत हो गई। एकाएक हंसी-खुशी का यह ग़म में बदल गया और सब कुछ बेरंग हो गया। झारखंड राज्य की यह पहली घटना नहीं है। इस तरह रांची में दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सूबे में कई घटनाएं इस तरह की घट चुकी हैं।

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