स्‍नैपचैट की रिसर्च से सामने आए भारत के टॉप निकनेम्‍स (उपनाम), दो अनूठे ऑग्‍मेन्‍टेड रिएलिटी (AR) लैंस पेश किए

लखनऊ। दोस्‍तों और परिवारों के लिए विजुअल मैसेजिंग ऐप स्‍नैपचैट ने YouGov के सहयोग से कराए अपने नए अध्‍ययन के नतीजे आज जारी किए। भारत में निकनेम (उपनाम) रखने की अपनी एक खास संस्‍कृति है और इस अध्‍ययन से देश में उपनामों को लेकर दीवानगी काखुलासा हुआ है। इस अध्‍ययन से यह भी पता चला है कि देश में सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय उपनामों में सोनू, बाबू, माचा, शोना और पिंकी हैं, इसके अलावा उपनामों को रखने की परंपरा से जुड़े कुछ रोचक तथ्‍य भी सामने आए हैा। यहां तक कि इस अध्‍ययन ने स्‍नैपचैट पर दो नए निकनेम-थीम आधारित ऑग्‍मेंटेड रिएलिटी (एआर) लैंस को भी प्रेरित किया है, ये हैं – ‘इंडियाज़ टॉपनिकनेम्स’ और ‘माय निकनेम’।

हले इंटरेक्टिव एआर लैंस के तहत ‘इंडियाज़ टॉप निक्‍नेम्‍स’ में पांच अनूठे डिजाइनों को पेश किया गया है जिनमेंभारत के पसंदीदा निकनेम्स शामिल हैं। इतना ही नहीं, पहली बार भारतीय अपने नए उपनाम गढ़ने के लिए ‘माय निकनेम’ लैंस की मदद ले सकते हैं। यानि, अब गुड्डू, सनी और टिंकू से लेकर एंजेल और बेबी तक, नए कस्‍टम एआर अनुभव को स्‍नैपचैट ने खास उद्देश्‍य से तैयार किया है, ताकि यूज़र्स अपन निकनेम्स  को लेकर गर्व से भर सकें और अपने प्रियजनों के साथ उन्‍हें शेयर कर उपनामों का जश्‍न मना सकें। इस सर्वे से खुलासा हुआ है कि ज्‍यादातर भारतीय Gen Zs और युवा मिलेनियल्‍स अपने उपनामों का ऑनलाइन इस्‍तेमाल करना पसंद करते हैं। इसके पीछे कारण हैं खुद को कूल दिखाना, अपनी प्राइवेसी सुरक्षित रखना और एक कारण यह है कि इन उपनामों  को याद रखना भी आसान होता है। इसलिए इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि 96% भारतीय ऐसे हैं जिन्‍होंने अपने जीवन में कभी न कभी निक्‍नेम का इस्‍तेमाल जरूर किया होता ह

 

निकनेम्सभारतीय पहचान का अहम हिस्‍सा

भारत में, निकनेम्स रखने की परंपरा सिर्फ नाम रखने तक ही सीमित नहीं है।  यह व्‍यक्तिगत पहचान को परिभाषित करने में अहम् भूमिका निभाती है। ये घर का नाम या डाक नाम रखने का चलन हमारे सांस्‍कृतिक ताने-बाने में गुंथा हुआ है।

इस सर्वे से यह खुलासा हुआ है कि पांच सबसे ज्‍यादा प्रचलित उपनाम सोनू, बाबू, छोटू, अन्‍नू और चिंटू हैं। लेकिन अन्‍य क्षेत्रों में कुछ अन्‍य उपनामों को रखने का ज्‍यादा चलन है। उत्‍तर भारत में, गोलू और सनी का जलवा है, जबकि अम्‍मू और माचा जैसे उपनाम दक्षिण के राज्‍यों में ज्‍यादा रखे जाते हैं। पूर्वी भारत में शोना और मिष्‍टी लोकप्रिय हैं तो पश्चिम को पिंकी और दादा ज्‍यादा पसंद हैं।

लोकप्रियता को छोड़ दें तो भी यह जानना दिलचस्‍प है कि प्‍यार-दुलार से रखे गए ये उपनाम भारतीयों को अपने बारे में एक अलग अहसास से भरते हैं और साथ ही, यह भी कि वे दूसरों के साथ कैसे इंटरेक्‍ट करते हैं। पचास फीसदी से अधिक प्रतिभागियों ने बताया कि उनके जीवन में दो से तीन उपनाम तक रह चुके हैं। भले ही आपको यह बात पता हो या नहीं, मगर सच यह है कि ये उपनाम गर्व का भी विषय होते हैं, क्‍योंकि सिर्फ 15% ने ही कहा कि वे सार्वजनिक रूप से अपने उपनामों को।

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