जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। आषाढ़ मास की कालाष्टमी 10 जून 2023, शनिवार को है। कालाष्टमी व्रत के दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन शिवालयों और मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान शिव के रूप में काल भैरव का आह्वान किया जाता है। मान्यता है कि बाबा काल भैरव की पूजा-आराधना करने से सभी तरह के दोष, पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। इनकी आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोना, भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता है। साथ ही मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है।
कालाष्टमी की तिथि
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 जून को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट पर हो रही। इस तिथि का समापन अगले दिन 11 जून को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट पर होगा। कालाष्टमी व्रत के दिन बाबा काल भैरव की पूजा रात्रि के समय की जाती है, इसलिए इस माह की कालाष्टमी 10 जून 2023, शनिवार को मनाई जाएगी।
कालाष्टमी की पूजा विधि
कालाष्टमी व्रत वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
फिर बाबा काल भैरव के मंदिर या घर में उनके चित्र को चौकी पर स्थापित करें।
इस दिन भगवान भोलनाथ, माता पार्वती, भगवान गणेश का चित्र भी स्थापित करें।
इसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा करें।
पूजा के दौरान घर के मंदिर में दीपक जलाएं, आरती करें और भगवान को भोग लगाएं।
बाबा काल भैरव का ध्यान करते हुए हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें।
काल भैरव को दूध, दही धूप, दीप, फल, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करें।
पूजा में उड़द दाल और सरसों का तेल काल भैरव पर जरूर अर्पित करें।
बाबा काल भैरव के मंत्र
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
बाबा काल भैरव शिव जी के रौद्र माने जाते हैं। भैरव का अर्थ होता है भय को हरा कर जगत की रक्षा करने वाला। कहा जाता है कि कालाष्टमी के दिन व्रत रखकर बाबा काल भैरव की पूजा करने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही बाबा भैरव भगवान की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा भी मिल जाता है।