
रविवार को पूर्णाहुति के अवसर पर 1100 कन्याओं को पांव पूजन कर भोजन ग्रहण कराया जाएगा,
महराजगंज के घुघली थाना क्षेत्र के मेदनीपुर ग्रामसभा में सम्मै माता मंदिर पर चल रहे शतचण्डी महायज्ञ के सातवें दिन श्रद्धालुओं को कथा सुनाते हुए कथा वाचक आचार्य वीरेन्द्र तिवारी ने गुरुचरणों व सत्संग की महिमा का गुणगान करते हुए अपने प्रवचन के माध्यम से रसपान कराते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास का वो पावन शब्द जो लगभग हमें हर धार्मिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम में सुनने को मिलता है कि “सुत धारा और लक्ष्मी तो पापी के भी होए। संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोए” अर्थात मानव जीवन में संताें-महात्माओं की संगत एवं उनके कल्याणकारी वचनों का विशेष महत्व है। क्योंकि शेष सभी भौतिक वस्तुएं, सुख-सुविधाएं जो आम आदमी को भी सहज में ही मिलती चली जाती हैं।
किसी को पैतृक तौर पर मिल जाती हैं और कई सज्जन स्वंय अपनी लगन- मेहनत से कमा करके प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन यदि कोई किसी की प्रेरणा या संयोग से साधू संगत में आकर संत-महात्माओं के अनमोल वचनों को सुन लेता है और फिर उन वचनों को अपने हृदय में बसाना शुरू कर देता है। परिणामस्वरूप उसको गुरू शिष्य का दर्जा मिल जाता है। जिसके लिए युगदृष्टा गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है कि गुरु के दर पर आने वाला गुरूशिष्य जब बन जाता है उस समय उसकी जो मर्यादा है वह उसे दिल से उसे निभाता है। जिसकी वजह से उस मनुष्य के जीवन में एक अनूठा परिवर्तन होता है और उसका जीवन भक्ति भाव से भर जाता है। ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि उसको साधु – संतो वाली वो बात समझ में आ जाती है।
कथा वाचक आचार्य वीरेंद्र तिवारी ने आगे कहा कि जैसे मनुष्य गुरु के वचनों को मानता चला जाता है वैसे-वैसे उसका जीवन पूज्यनीय बनता चला जाता है और वह इस धरती के लिए एक मिसाल बन जाता है। इसलिए हमें संताें-महात्मा की बात मानकर, इस निराकार-प्रभु-परमात्मा को जान कर मानव मात्र का सत्कार करते हुए निःस्वार्थ भाव से इसकी भक्ति करनी चाहिए ताकि हमारा ये जन्म भी सुखदाई हो। इस अवसर पर संरक्षक अनिल श्रीवास्तव, व्यवस्थापक वीरेन्द्र चौधरी ने बताया कि रविवार को पूर्णाहुति के दिन 1100 कन्याओं को पांव पूज्य कर भोजन ग्रहण कराया जाएगा। इस अवसर पर विजय चौधरी, मोहनलाल कोटेदार, करूणेश्वर त्रिपाठी, नरेंद्र नाथ त्रिपाठी, गोरखनाथ पाण्डेय, दया निषाद, मकसूद आलम, राजबहादुर सिंह, रामध्यान मल्ल, रमाकर कृष्ण त्रिपाठी, अनिल कृष्ण त्रिपाठी, जंगी यादव और राम प्यारे आदि श्रद्धालुओं का विशेष सहयोग रहा।