रंजन कुमार सिंह
आज दो बातें इसकी पुष्टि करती हैं। अडानी मामले में जो कमेटी बनाई उसमें पांच में से तीन वो हैं जो इनके हैं। दो इंफोसिस से हैं जो कांग्रेस समर्थक कंपनी है। एक वकील वो है जिसे केंद्र ने जज बनने से रोका था, क्योंकि उसका सरकार के खिलाफ पक्षपाती रवैया रहा है। इसी तरह चुनाव आयोग का चीफ और इलेक्शन कमिश्नर ऑफ इंडिया का चुनाव करने में सुप्रीम कोर्ट कूद गया है। तीन लोग (प्रधानमंत्री, कांग्रेस और चीफ जस्टिस) मिलकर नया चुनाव आयोग कमिश्नर चुनेंगे।
अभी 2024 आने में बहुत समय है। तब तक इसी तरह के बहुत से हथकंडे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से होंगे। इस समय जो चीज जस्टिस बैठे हैं, वो और सिंघवी क्लासमेट रह चुके हैं। ऐसे ही तुरन्त पवन को सारी अदालतें लांघ सीधे चंद्रचूड़ ने नही सुना और उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। और इसी तरह सिंघवी फिर सिसोदिया की गिरफ्तारी रोकने को भी गए थे। लेकिन सबूत इतने स्ट्रांग थे कि चंद्रचूड़ को मजबूरन उसे हाईकोर्ट में भेजना पड़ा, जहां भी अभी रास्ता खुला है कि यदि हाईकोर्ट जमानत नही देता है।
तो ये लोग तो बैठे ही हैं। बस अभी इन मिलोर्डों से जवाबदेही पूछ लो तो इनकी सुलग जाती है कि हमारे चयन में क्यों दखल दे रहे हो? हम संविधान से भी ऊपर हैं। हम खुद से अपने वालों को जज बनाना जारी रखेंगे। अब सही वक्त है इनसे खुलकर युद्ध छेड़ने का वरना कल को कह देंगे कि जनता कौन होती है सांसद/विधायक चुनने वाली। हम बैठकर बताएंगे कि कौन प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री बनेगा। फिर ये धमकी देते हैं कि इनके खिलाफ कुछ भी कहा तो कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट लगा देंगे। वो अलग बात है कि वो अगर इनका सगा कोई प्रशांत भूषण टाइप हो तो उसे एक रुपए का फाइन लगा ये बरी कर देते हैं।