दो टूक: आजम अकेले नहीं, 58 विधायकों और सांसदों पर भी दर्ज हैं हेट स्पीच के मामले

राजेश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश में सपा के रामपुर से सांसद और पिछले एक अरसे से राजनीति में मुकदमों को लेकर खासे चर्चित आजम खां को हेट स्पीच में सजा मिलने से उनकी सांसदी जाने पर देश में एक बार फिर से हेट स्पीच पर बहस शुरू हो गई है। हालांकि यह बात दूसरी है कि हेट स्पीच के मामलों में देश में बवाल ज्यादा और एक्शन कम ही नजर आता है। पिछले 7 साल में हेट स्पीच के मामले 7 गुना बढ़ गए हैं, लेकिन सजा बहुत ही कम मामलों में ही हुई है। परंतु आजम खां को अदालत ने तीन साल की सजा सुनाकर उनकी राजनीतिक जमीन को ग्रहण लगा दिया है। अब इस बात की उम्मीद भी नहीं बची है कि आगे चलकर वह राजनीतिक रूप से कोई पारी खेल पायेंगे, क्योंकि सजा खत्म होने के बाद उनकी उम्र बेहद अधिक हो जायेगी।
सवाल ये है कि आजम खान के अलावा देश में हेट स्पीच देने वाले नेताओं की एक लंबी जमात है, जिसमें विधायक, सांसद से लेकर केंद्रीय मंत्री तक शामिल हैं, क्या उन्हें भी सजा मिलेगी? हेट स्पीच को लेकर देश का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट भी अपनी चिता जाहिर कर चुका है। कुछ दिन पहले ही हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। जस्टिस केएम जोसफ ने कहा कि यह 21वीं सदी है। हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं?

हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए, लेकिन आज घृणा का माहौल है। सामाजिक तानाबाना बिखरा जा रहा है। हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है। उसके नाम पर विवाद हो रहे हैं। एडीआर की रिपोर्ट (2०18) में देश के 58 विधायक और सांसदों ने खुलासा किया कि उनके ऊपर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले दर्ज हैं। इनमें बीजेपी नेताओं की संख्या सबसे अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा के 15 मौजूदा सदस्यों ने अपने खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर मामला दर्ज होने की बात स्वीकारी है। इनमें से 1० लोकसभा सांसद बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं, जबकि एक-एक सांसद एआईयूडीएफ, टीआरएस, पीएमके, एआईएमआईएम और शिवसेना से हैं। 2०18 की एडीआर रिपोर्ट में कहा गया था कि बीजेपी के 27, एआईएमआईएम और टीआरएस के 6-6, टीडीपी और शिवसेना के 3-3, टीएमसी, कांग्रेस और जेडीयू के 2-2, एआईयूडीएफ, बसपा, डीएमके, पीएमके और सपा के 1-1 सांसदों और विधायकों पर हेट स्पीच से जुड़े मामले दर्ज हैं । सिर्फ इन लोगों की गिनती को भी छोड़ दे तो भी बात अहम है क्योंकि आजम खां से ज्यादा हेट स्पीच तो अन्य नेताओं ने भी दिया है। दिल्ली में विश्व हिदू परिषद ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने भाषण दिया था और एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया था।

उन्होंने विशेष समुदाय के लोगों की दुकानों, रेहड़ी से सामान ना लेने और पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की थी। इस दौरान गाजियाबाद के लोनी विधानसभा से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने भी विवादित बयान दिया था। उन्होंने दादरी में मारे गए अखलाक को सुअर कहा और फिर कहा-हमें जेहादियों को मारना होगा। इस महीने की शुरुआत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेता संगीत सोम ने विवादित बयान दिया था। संगीत सोम ने कहा था कि ’’जिस तरह एक वर्ग की आबादी बढ़ती जा रही है, जिस तरह से आतंक फैलता जा रहा है, ऐसे में राजपूत समाज को फिर से शस्त्र उठाने पड़ेंगे। सोम साल 2०13 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के अभियुक्त भी हैं। तेलंगाना के बीजेपी विधायक राजा सिह ने पैगंबर मोहम्मद पर एक विवादित बयान दिया था। उनके बयान के खिलाफ हैदराबाद में धार्मिक भावनाएं आहत करने का केस दर्ज किया गया था। राजा सिह का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय ने राजा सिह की गिरफ्तारी की मांग की थी। राजा सिह को गिरफ्तार किया गया था। बीजेपी ने उन्हें निलंबित कर दिया था, लेकिन पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया। बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान दिया था। इनके साथ ही दिल्ली बीजेपी के मीडिया प्रमुख रहे नवीन जिदल ने भी मुसलिम समुदाय को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी की थी।

इसके बाद मुसलिम समुदाय ने जोरदार प्रदर्शन किए थे, और बीजेपी को नुपूर और नवीन को पार्टी से बाहर निकालना पड़ा था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की जनसभा में देश के गद्दारों को, ‘गोली….मा…सा…को’वाला नारा लगा था। इसकी जमकर आलोचना हुई थी। लेकिन कानून से सजा नहीं मिली। इसके अलावा सांसद परवेश वर्मा ने शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। परवेश वर्मा ने कहा था कि ये लोग आपके घरों में घुसेंगे, बहन-बेटियों से रेप करेंगे। शुरुआत कहीं से हो, अच्छी हुई है। लेकिन अगर यह आजम तक सीमित रहती है तो इसे सिर्फ सियासी ही ठहराया जायेगा, क्योंकि यह पहला मामला है कि जिसमें किसी की सांसदी गयी है। लेकिन अगर यह फैसला और भी लोगों पर आता है तो निश्चित ही इसे अनुकरणीय कहा जायेगा।

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