नयी दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2011 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी कांकीपति राजेश और कथित तौर पर उसकी ओर से रिश्वत लेने वाले एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद रफीक मेमन के विरुद्ध धन शोधन निवारक अधिनियम (PMLA ) की धाराओं के तहत अहमदाबाद की विशेष अदालत में मामला दर्ज किया है। ED की शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि अदालत में अभियोजन परिवाद चार अक्टूबर को जारी किया गया है विशेष अदालत के न्यायाधीश ने उसका उसी दिन संज्ञा लिया।
ED ने दिल्ली में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर उसमें धन शोधन के पहलू की जांच शुरू की थी। CBI, ईओ-तृतीय, नयी दिल्ली में कांकीपति राजेश और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं, आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 43, 66 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा सात के तहत मामला दर्ज किया था।
ED के अनुसार जांच में पाया गया कि राजेश सरकारी काम करने के लिए लोगों से अवैध रूप से धन की मांगा करता था और धन लेता भी था। उसने इस अपराध की कमाई से अचल संपत्तियां भी खरीदीं। जांच के दौरान इस अधिकारी को ED ने PMLA के प्रावधानों के तहत गत छह अगस्त को गिरफ्तार कर उसे अहमदाबाद की विशेष PMLA अदालत में पेश किया था। अदालत ने कांकीपति राजेश को पहले 12 अगस्त तक ED को रिमांड पर दियाथा। इस समय वह न्यायिक हिरासत में है।बयान के मुताबिक ED ने तीन अक्टूबर को उसकी करोड़ों रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली। इनमें सूरत में 1.55 करोड़ रुपये की दो अचल संपत्तियां, बैंक जमा और आरोपियों की सावधि जमा की रशीदें शामिल है। एजेंसी इस मामले में अभी और जांच कर रही है।
उल्लेखनीय है कि CBI ने राजेश को सुरेंद्रनगर में 2021 में जिलाधिकारी के पद पर काम करते हुए हथियारों के लाइसेंस देने, सरकारी भूमि के आवंटन और अतिक्रमण की गई सरकारी भूमि को अलग न किए जा सकने वाले लाभार्थी के नाम पर नियमितीकरण से संबंधित मामलों में रिश्वत लेने के आरोप में 14 जुलाई को पकड़ा था। CBI ने 22 जुलाई को अहमदाबाद में विशेष CBI अदालत में राजेश और एक निजी फर्म के मालिक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। आरोप है कि सूरत की निजीफर्म मेसर्स जीन्स कॉर्नर का मालिक रफीक मेमन राजेश की ओर से रिश्वत की राशि प्राप्त करता था। (वार्ता)