नवरात्रि के दिन खुद भी ऐसे कर सकते हैं हवन, जानें पूरी विधि

डा सुधा नन्द झा ज्यौतिषी जमशेदपुर


हमारे यहां पूजा दो प्रकार से की जाती है,

पहला पूरे विधि-विधान से और दूसरा अपने सुविधा और ज्ञान के अनुसार भाव से नवरात्रि में हवन भी इसी प्रकार से कीजिए। यदि आपको समयानुसार पंडित जी उपलब्ध नहीं हो सकें। तो अपने से कीजिए हवन और गलती सही के लिए माता दुर्गा जी से क्षमा मांग लीजिए।

हवन स्थल पर स्नान आदि करके आइये आसन लगा लीजिए।

आप गायत्री परिवार या पतंजलि योगपीठ के दूकान से रेडिमेड हवन सामग्री ले आइये। यदि नहीं मिला तो आप अपने से हवन सामग्री तैयार कीजिए जैसे- जितना तिल लिए हैं उसके आधा अरवा चावल,अरवा चावल के आधा जौ,जौ के आधा शक्कर या मिश्री मिला लें फिर उसमें प्रर्याप्त घी मिला लें। बालू मिट्टी के वेदी या रेडिमेड हवन कुंड में आम की सूखी लकड़ी डालिए और उसमें जिस अग्निदेव का ध्यान करके आग जला लीजिए। अब माला या हाथ के माला से जितना हवन करना है कीजिए। जैसे दुर्गा महारानी का हवन करना है तो इस मंत्र से हवन कीजिए।

“”ऊं ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै श्री दुर्गे दुर्गे रक्षिणी स्वाहा””

श्री विष्णु भगवान का हवन करना है तो- इस मंत्र से हवन कीजिए–

ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः स्वाहा”

जितना हवन किया है आपने उसका दसवां भाग तर्पण कीजिए। तर्पण में आम के पत्ते से जल लीजिए और ऊं ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै श्री दुर्गे दुर्गे रक्षिणी स्वाहा बोलकर जल उसी वर्तन में गिरा दीजिए अब जितना तर्पण किया है आपने उसके दसवें भाग मार्जन करें अर्थात् कुश से जल को अपने माथे पर छींटिये जैसे यदि आपने एक सौ आठ बार हवन किया है तो ग्यारह बार तर्पण और दो बार मार्जन जिस मंत्र से आपने हवन किया है उसी मंत्र से तर्पण और मार्जन भी

जैसे- ऊं ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै श्री दुर्गे दुर्गे रक्षिणी तर्पयामि

ऊं ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै श्री दुर्गे दुर्गे रक्षिणी मार्जयामि

आब हाथ धो लीजिए और पान के पत्ते में गोटा सुपारी सिक्का फूल और घी रखकर खड़े हो जाइए और इस मंत्र से पूर्णाहुति कीजिए-

ऊं पूर्ण मिद:पूर्ण मिदं पूर्णात् पूर्ण मुदच्यते

पूर्णस्य पूर्ण मादाय पूर्ण मेवावशिष्यते

पूर्णाहुति के बाद बैठ जाइए और हवन का भभूत अपने माथे, गला,दखहिने बांह के कंधे पर छाती में अब पूरा हो गया आपका हवन कुछ दक्षिणा कर लीजिए

बोलिए श्री दुर्गा महारानी जी की जय,

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