बलरामपुर गार्डन में 19वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला : आठवां दिन

बहुत बढ़ा है हिन्दी में अनूदित साहित्य

जारी रहा आयोजनों में सम्मान, काव्य समारोहों, संगोष्ठी का दौर

लखनऊ। बलरामपुर गार्डन अशोक मार्ग में चल रहे उन्नीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में प्रचुर मात्रा में अनूदित हिन्दी साहित्य विविध विषयों पर उपलब्ध है। समापन की ओर बढ़ चले मेले में अब पुस्तक प्रेमियों की बड़ी तादाद दिख रही है। प्रतिदिन प्रातः 11 से रात नौ बजे तक चलने वाले और गांधी जयंती पर समाप्त होने वाले मेले का आज आठवां दिन था। मेले में पहुंची अवन्या कहती हैं सहेलियों से अंग्रेजी बेस्टसेलर किताबों के बारे में स्कूल टाइम से सुनती आ रहीं हूं। अब सभी किताबें मुझे मदर लैंग्वेज हिंदी में कम से कम मेले में जरूर मिल जाती हैं। आज मनाए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस की दृष्टि से देखें तो हिंदी भाषा में प्रकाशन ने नई रफ्तार पकड़ी है। अब विश्वस्तर पर चर्चित अंग्रेजी किताबें कुछ ही समय में हिंदी में उपलब्ध हो जाती हैं। पुस्तक व्यवसाय से ताल्लुक रखने वाले अभिनव छाबड़ा का कहना है कि पहले चर्चित अंग्रेजी किताबों के हिन्दी अनुवाद के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है।

फ्रेंच और अन्य विदेशी भाषाओं की किताबें अंग्रेजी में ही देश में आती हैं और कुछ ही दिनों में ऐसी पापुलर किताबें हिन्दी में आ जाती है। मार्क मैंसन की द सटल आर्ट ऑफ नॉट गिविंग….. का हिंदी अनुवाद एक अच्छा जीवन जीने का असामान्य नजरिया, जेम्स क्लियर की एटॉमिक हैबिट्स का अनुवाद छोटे बदलाव असाधारण परिणाम, मोर्गन हाउजल की अनुवादित किताब धन संपत्ति का मनोविज्ञान, युवाल नोआ हरारी की सोपियंस का मदन सोनी द्वारा किया हिंदी अनुवाद मानव जाति का संक्षिप्त इतिहास और बेंजामिन ग्राहम की द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर का हिन्दी संस्करण बहुत जल्द ही बाजार में आ गया था। हिंदी के प्रकाशक अब कीमत को लेकर ज्यादा समझौता नहीं करते, अंग्रेजी संस्करण के बराबर ही मूल्य रखते हैं। भारतीय भाषाओं में देखें तो जैसे मराठी में शिवाजी सावंत की मृत्युंजय बहुत जल्दी हिन्दी में आई और हाथोंहाथ ली गयी। राजपाल एण्ड संस के अशोक शुक्ल बताते हैं कि कोरोना के बाद प्रकाशन की गति तेज हुई है।

अनुवाद पैट्रिक मोदियानो की फ्रेंच किताब का हिंदी अनुवाद कहीं तुम भटक न जाओ, अल्बर्ट आल्ट की अनुवादित पुस्तक एक सिरफिरा खिलौना बहुत पसंद की जा रही है। मेले के संयोजक मनोज चंदेल बताते हैं कि पिछले 20 वर्षों में हमने पुस्तकों के संसार में हिंदी अनुवाद की पुस्तकों को बढ़ते देखा है भारतीय भाषाओं की के साथ की अंग्रेजी फ्रेंच, तथा अन्य विदेशी भाषाओं की किताबों का तर्जुमा काफी हुआ है। मेले में आए एक अन्य प्रतिनिधि बताते हैं कि 30 से 40प्रतिशत किताबें आज हिंदी की ट्रांसलेटेड होती हैं। तकनीकी पाठ्यक्रमों की किताबें भी अनूदित हो ही रही हैं, हिंदी में लिखी भी जा रही हैं। विश्व साहित्य की बच्चों की किताबें हिंदी में आ रही हैं तो हिंदी साहित्य की किताबें भी विदेशी भाषाओं में अनुवादित होने लगी हैं। मेले में आज सेतु प्रकाशन के स्टाल पर अनौपचारिक रूप से वरिष्ठ साहित्यकारों की चर्चा चली।

यहां उपस्थित रचनाकारों में शिवमूर्ति, विजय राय, अखिलेश, शैलेंद्र सागर, राकेश, कौशलकिशोर, भगवानस्वरूप कटियार, वीरेन्द्र यादव और प्रकाशक अमिताभ राय इत्यादि शामिल थे। वसुन्धरा फाउण्डेशन के आज पद्मश्री डा.विद्या बिन्दु सिंह को सम्मानित किया गया। साथ ही राकेश श्रीवास्तव के संयोजन, राम किशोर की अध्यक्षता व बिंदु जैन के संचालन मे वर्तमान वैश्विक परिपेक्ष्य में बापू की अपरिहार्यता विषय पर विचार विमर्श में इण्डियन बैंक के अधिकारी पंकज त्रिपाठी, आनन्दवर्धन सिंह, अशोक कुमार श्रीवास्तव, अवधेश कुमार शुक्ला, आलोक सिन्हा, रमाकान्त श्रीवास्तव, राज बहादुर चौधरी, ब्रजेश कुमार शुक्ला, निगम कुमार और उमेश कुमार सिंह आदि ने विचार व्यक्त किये। इससे अलावा साहित्यिक मंच पर अगीत परिषद, कादम्बिनी क्लब कानपुर, राजकमल प्रकाशन और भुशुण्डि साहित्य संस्थान का सम्मान समारोह आयोजित हुआ।

एक अक्टूबर के कार्यक्रम

सुबह 11 बजे राजकमल प्रकाशन की ओर से कार्यक्रम

दोपहर एक बजे भारतीय साहित्य परिषद की संगोष्ठी

शाम चार बजे मेला समिति की ओर से प्रदेश गौरव सम्मान समारोह

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