झारखंड: CM सहित शिबू सोरेन का पूरा परिवार ज़मीन घोटाले में शामिल, यानि “सबै भूमि शिबू की”

रंजन कुमार सिंह


एक संत थे विनोबा भावे। गांधी के परम उपासक। शरीर से निशक्त पर भाव से प्रबल। उन्होंने दमदार भूदान आंदोलन चलाया। राजनीति चमकाने के लिए नहीं भूमिहीनों को जमीन दान करवाने के लिए. हजारों मील भूमि को पैदल नाप दिया। जहां पहुंचे, मंत्र जपा “सबै भूमि गोपाल की”। विनोबा के अपील के जादुई असर से सब पिघल गए। क्या धन्नासेठ क्या जमींदार सब ने जमीन हदबंदी कानून को हाथों हाथ लिया। लाखों हेक्टेयर जमीन दान दे दी। भाव प्रबल विनोबा ने समस्त भूमि भूमिहीनों के बीच बंटवा दी। झारखंड की राजनीति में भी एक संत हैं, नाम है शिबू सोरेन। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता। आजकल भूमिदोहन के लिए चर्चा में हैं। शिबू सोरेन विनोबा भावे से बड़ी दाढी रखते हैं। मुख्यमंत्री के पिता होने के नाते नई पीढी इनको भी बाबा ही कहती है।

झारखंड पृथक राज्य आंदोलन के सिरमौर रहे। गुरु जी कहे जाते हैं। पांच दशकों से निरंतर राजनीति में छाए हुए हैं। कानून के प्रति बेपरवाह रहते हैं। कानून के खिलाफ़ एक से बढकर एक कांड इनके नाम दर्ज है। आज नौबत यह है कि इनके सम्मान से ज्यादा इनके भ्रष्टाचार की कहानियां लोगों की जुबां पर है। भूमि घोटाले को लेकर बाइस साल पुराने राज्य झारखंड में कहा जा रहा है, “सबै भूमि शिबू परिवार की।” संत विनोबा भावे की तरह इनका खानदान गुमनाम नहीं बल्कि नामदार है। आंदोलन के पुराने साथी और पूर्व सांसद सूरज मंडल का खरा आरोप है कि गुरु जी ने झारखंड आंदोलन से मिले बेइंतहा प्यार और ईनामों को जमकर भुनाया और निजी परिवार की बखारी में समेटकर भर लिया। आज भी बुजुर्ग शिबू सोरेन राज्यसभा के सांसद हैं। पुत्र हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। पत्नी रूपा सोरेन लोकसभा सदस्य रहीं। अब दुनिया में नहीं रहे बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन विधायक थे। उनकी जगह बहू सीता मूर्मू तीन बार से विधायक हैं। सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन, जो अपना “Under Garments” दिल्ली से ख़रीद कर लाते हैं, पहली बार विधायक बने हैं।

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इन सबके नाम जमीन खरीद घोटाले में शामिल हैं। लोकायुक्त को मिली शिकायत पर जांच एजेंसियां सक्रिय हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर मामले की जांच को सीबीआई की आंच लग रही है। अमिट सबूत हैं कि झारखंड में महत्व की वैल्यूएबल सैकड़ों एकड़ जमीन सोरेन परिवार के नाम पर सरकारी कागजों पर चढवा ली गई हैं। कब्जे के लिए जमीन का बेनामी सौदा तक किया गया। राजधानी रांची, उपराजधानी दुमका, औद्योगिक सिटी बोकारो और कोयला नगरी धनबाद में झारखंड बनने के बाद जिस किसी की जमीन पर सोरेन परिवार ने नजर गड़ाई, लोग एतराज जताने के बजाय  जान बचाकर भाग गये।

सोरेन परिवार के जमीन घोटालों का सबूत सामने लाते हुए झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की मांग है कि भ्रष्टाचार के मामले में गुरु जी के परिवार का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया जाए। बाबूलाल का कहना है कि झारखंड बनने से पहले और बाद में सोरेन परिवार की नजर बस जमीन जायदाद हथियाने पर ही टिकी रही। आदिवासियों के नाम पर बने राज्य में सोरेन परिवार के शासन के दौरान अपने ख़ुद के एक आदिवासी परिवार के अलावा किसी का भला नहीं होने दिया। नब्बे की दशक में शिबू सोरेन का नाम सांसद खरीद घूस कांड से देशव्यापी चर्चा में आया था। केंद्र में नरसिंह राव की अल्पमत सरकार को बचाने के लिए सौदा हुआ था।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के तीन अन्य सांसदों के साथ गुरु जी सरेआम बिक गए। सीबीआई जांच हुई तो वोट के बदले नोट के पक्के सबूत मिल गए। बैंक में घूस की रकम जमा कराने की रसीद बरामद हुई। चिराग दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन में चार फ्लैट मिले जो झामुमो के चारों सांसदों ने घूस की रकम से तुरंत फुरंत में रजिस्टर्ड करवाया था। घूसकांड के बाद से ही गुरुजी के निजी सचिव शशिनाथ झा गायब हैं। कहां चले गये, आज तक किसी को पता नहीं है। शिबू सोरेन परिवार द्वारा झारखंड में बेशुमार जमीन खरीदने के सिलसिले का आगाज झारखंड गठन से पहले ही हो गया था।

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रांची के लोग मोराबादी और अरगोड़ा के महत्व को जानते हैं। झारखंड आंदोलन के नायक शिबू सोरेन ने 1992 में ही मोराबादी की जमीन खाता नं.80/2 के प्लांट संख्या 1732 की 40 डिसमिल भूखंड अपने नाम और साथ लगे प्लाट संख्या 1540ए की ग्यारह कट्ठा और प्लॉट संख्या 1547 की दो कट्ठा जमीन पुत्र हेमंत सोरेन व भाईयों के नाम करवाया था। रिकार्ड बताते है कि मोराबादी के प्लॉट संख्या 1540 के 12 हजार 600 वर्गफीट की जमीन को बाद में यानी 2009 में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मूर्मू के नाम चढवाया गया। सोरेन संथाल आदिवासी हैं। संथालों में कुल गोत्रों की परंपरा है। लिहाजा, सोरेन गोत्र में गैर सोरेन गोत्र की कल्पना मूर्मू ब्याह कर ओडिशा के मयूरभंज से लाई गई।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने हड़बड़ी में स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए जिस 1932 के खतियान को लागू किया है, उसके व्यवहार में आते ही झारखंड से बाहर की निवासी कल्पना मूर्मू के नाम दर्ज सभी जमीनों पर से उनका मालिकाना हक खत्म हो जाएगा। इसी तरह जमीन खरीद औऱ नाम चढवाने के खेल में गुरुजी के लोगों ने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संताल परगना भूमि टेंनेसी एक्ट का जमकर उल्लंघन किया है। इन अधिनियम में आदिवासी की जमीन किसी बाहरी आदिवासी के हाथों खरीद बिक्री होना गैरकानूनी है। इन विसंगतियों के बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मूर्मू के नाम 2009 में ही अरगोड़ा की खाता नं 233 प्लाट संख्या 1975 की 23 डिसमिल जमीन करवाई गई।

अरगोड़ा में ही क्रिकेट के नायक महेन्द्र सिंह धोनी का बेशकीमती बंगला है। झारखंड बनने के बाद से हरमू हाउसिंग कॉलोनी और अशोक नगर से लगा यह इलाका बेहद पॉश बन गया है। इसी तरह शिबू सोरेन की बड़ी बहू और जामा की विधायक सीता मूर्मू के नाम बोकारो सिटी से लगे चास की खाता संख्या पंद्रह प्लॉट्स की कुल 436 और 430.75 डिसमिल जमीन 2008 और 2009 में चढवा ली गई। 2010 में ही खाता संख्या 84 की प्लॉट संख्या 7134,7135 और 7206 विधायक पुत्र बसंत सोरेन के नाम करवाया गया। अंगुलियों पर गिनी जाने वाली दस बीस नहीं बल्कि लोकायुक्त के पास ऐसे 108 जमीन खातों का ब्यौरा मौजूद है जिसकी खरीददारी सोरेन परिवार ने वैध अवैध तरीके से की है।

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इस मामले में दिल्ली हाइकोर्ट की सुनवाई में शिबू सोरेन परिवार के महंगे वकीलों का प्रतिवाद है कि कई जमीन सोरेन परिवार ने पुश्तैनी जमीन पर खेती से हुई आमदनी से खरीदा है। सोरेन परिवार की पुश्तैनी जमीनों को शिकायतकर्ता ने अवैध तरीके से खरीदा गया बताकर छवि धूमिल करने की कोशिश की है। बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का कहना है कि बीते चार दशक से सोरेन परिवार के नाम खरीदी गई जमीनों की कीमत ढाई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा है। उनका कहना है कि सोरेन परिवार का जमीन खरीदने का कारोबार झारखंड के बाहर बिहार, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों तक में भी है। ऐसा नहीं है कि शिबू सोरेन परिवार द्वारा अकूत संपदा को सफ़ेद और वैधानिक बनाने की कोशिश नहीं हो रही है।

इस कोशिश के क्रम में ही 2014 में बरहेट विधानसभा चुनाव के हलफनामे में हेमंत सोरेन ने अपने पास कुल एक करोड़ 72 लाख रुपए की और पत्नी कल्पना मूर्मू के पास कुल एक करोड़ 77 लाख रुपए की संपति बताई थी। वह पांच साल बाद 2019 के विधानसभा चुनाव के हलफनामे में हेमंत सोरेन के पास बढकर आठ करोड़ 51 लाख रुपए की हो गई। खुद के पास 25 लाख रुपए नकद और पत्नी कल्पना मूर्मू के बैंक अकाउंट में मिलाकर 51 लाख 77 हजार रुपए जमाधन बताए गए। लेकिन भ्रष्टाचार की रकम से खरीदी गयी जमीनों की कीमत इनसे बहुत ज्यादा है। इतने से सोरेन परिवार जांच की आंच से बच जाएगा, यह आसान नहीं होगा।

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