PFI का पॉलिटिकल कनेक्शन, अहमद बेग देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार, लड़ चुका है चुनाव,

रंजन कुमार सिंह


लखनऊ।  उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और मदेयगंज पुलिस की संयुक्त टीम ने लखनऊ के खदरा स्थित मक्का गंज मस्जिद के पीछे छपा मार कर PFI के पॉलिटिकल विंग SDPI (Social Democratic Party of India) के नेता मोहम्मद अहमद बेग को गिरफ्तार किया है। अहमद अपने नुमाइंदों और पार्टी के लोगों के जरिए देश में विद्रोह फैलाने की साजिश रच रहा था। उसके पास से लैपटॉप, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में तमाम तरह के राष्ट्र विरोधी दस्तावेज मिले हैं। खास बता यह है कि, राष्ट्र विरोधी अपनी गतिविधियों को निर्बाध ज़ारी रखने की मंशा से, अहमद बेग ने साल 2022 विधानसभा चुनाव में कैसरगंज विधानसभा से निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था।

एक पत्नी को तलाक दे चुका  अहमद दूसरी पत्नी के साथ रह रहा है। एसीपी आईपी सिंह ने बताया कि अहमद बेग को मक्कागंज से गिरफ्तार किया गया है। वह मस्जिद के पीछे रहता था। अहमद बेग प्रथम दृष्टया हिंसक और आपराधिक गतिविधियों में शामिल था। उसने एनआरसी-सीएए के प्रदर्शन के दौरान भी जमकर हिंसा कराई थी। इसके अलावा वह लव जिहाद, जबरन मतांतरण, मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ बनाने और मनी लांड्रिंग के साथ ही प्रतिबंधित समूहों से संपर्क में रहता था। इतना ही नहीं वह राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, वेस्ट बंगाल, कर्नाटक, केरल और ओमान तक इस्लामिक तकरीर करने जाता था। वह धार्मिक कट्टरता की पाठशाला चलाता था।

यूपी से पकड़े गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्यों में कोई मौलवी तो कोई लॉ का छात्र और कोई टेलर का काम करता है। एक बढ़ई का कारीगर है। सालों से इन सभी के तार सिमी (Student Islamic Movement of India) आतंकवादी संगठन के बैन के बाद से ‘बी’ पार्टी बनकर उभरे PFI से मजबूती से जुड़े हैं। अब PFI भी रूप बदल रहा है। एजेंसियों से बचने के लिए PFI ने अपने कई विंग तैयार किए हैं। नए-नए नामों से PFI की नई शाखाएं तैयार की गई है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय महिला मोर्चा, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय राम परिषद, अखिल भारतीय कानूनी परिषद, हरिहर इंडिया फाउंडेशन नेशनल, कानपुर स्टेशन ऑफ ह्यूमन राइट आर्गेनाईजेशन, ऐसी कई संस्थाएं बनाई गई हैं। सभी PFI का हिस्सा हैं।

इसमें कई ऐसे लोग जुड़े हैं, जो कि कई तरह का काम करते हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) द्वारा पकड़ा गया वसीम उर्फ बबलू PFI का उत्तर प्रदेश  का स्टेट अध्यक्ष है। उसने लखनऊ के साथ ही बाराबंकी, बहराइच, गोरखपुर, वाराणसी, कानपुर, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा में संगठन के नाम पर कई मीटिंग की। इसमें जुड़ने वालों को कट्टरता का पाठ पढ़ाने के साथ इस्लाम के नाम पर देश का माहौल खराब करने के लिए उकसाया। वसीम ने ARCIS के विरोध में भी जमकर हिस्सा लिया था। जिसके बाद वसीम सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आया।

PFI की नई विंग के किरदारों में कोई लॉ स्टूडेंट कोई मौलाना कोई बढ़ई तो कोई कारपेंटर:

बहराइच से गिरफ्तार किया गया करीमुद्दीन पेशे से यह कारपेंटर है और फर्नीचर का काम करता है। इसको PFI से जुड़े पांच साल से ऊपर हो चुके हैं। बाराबंकी से पकड़ा गया लॉ स्टूडंट नदीम वकालत की पढ़ाई कर रहा है। कई सालों से यह भी PFI से जुड़ा हुआ है। कई बार पुलिस इसके घर पर छापा मार चुकी है। सीएए विरोधी दंगों में विमुख आरोपियों के नाम के आने के बाद गिरफ्तार हो चुका है। शामली से गिरफ्तार किया गया साजिद पेशे से मौलाना है, जोकि PFI के लिए फंड इकट्ठा करने का काम करता है। ब्रेनवाश का भी काम इसी को सौंपा गया है। मौलाना साजिद 2019 में भी गिरफ्तार हो चुका है, इसके ऊपर राष्ट्र विरोधी दंगों में आपत्तिजनक पोस्टर बांटने का आरोप था।

PFI के खातों से 100 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन

सूत्रों के मुताबिक PFI के बैंकों में करीब 100 करोड़ से ज्यादा की रकम का लेनदेन हुआ है।  देने वालों के बारे में कोई जानकारी संगठन मुहैया नहीं करा पाया। यह रकम संगठन को हवाला और इस्लाम के नाम पर दी गई है। NIA और एटीएस की जांच में सामने आया है कि फंड PFI टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल कर रहा है, इसके लिए प्रदेश के कई जिलों में सभा कर के युवाओं का ब्रेनवाश किया जा रहा है। PFI की स्थापना आज से 16 साल पहले केरल में हुई थी। साल 1992 में अयोध्या कांड के बाद इसकी सक्रियता बढ़ी। साल 2001 में 9/11 हमले के बाद भारत की सीमा पर बैन लगने के बाद नवंबर 2006 में इसका आधिकारिक संगठन तैयार हो गया।

यूपी में 2020 में हाथरस में एक युवती से रेप के बाद धार्मिक हिंसा भड़काने में सिद्दीकी कप्पन जरवल वगैरा और जीके मसूद अहमद की गिरफ्तारी हुई। इससे पहले PFI का प्रदेश अध्यक्ष वसीम ने सीएए के विरोध के नाम पर अपने साथियों के साथ पूरे प्रदेश में दंगा फैलाने की कोशिश की थी, जिसमें प्रदेश में 108 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। जिनका PFI से कनेक्शन सामने आया है। कई अहम दस्तावेज भी NIA द्वारा बरामद किया गया है। PFI के नेताओं और कार्यकर्ताओं समेत कुल 106 मेंबरों की गिरफ्तारियां हुई है। इनमें से NIA ने 4पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, उसमें केरल में 19, तमिलनाडु में 11, कर्नाटक में सात, आंध्र प्रदेश में चार, राजस्थान में दो और यूपी और तेलंगाना में एक-एक गिरफ्तारी की है। बाकी और राज्यों की पुलिस ने 61 लोगों को गिरफ्तार किया है। NIA ने जो पांच एफआईआर दर्ज की है, उसमें UAPA लगाया गया है। छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज, नकदी, धारदार हथियार और बड़ी संख्या में डिटेल उपकरण जब किए गए हैं।

छह अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में विशेष न्यायाधीश अनुरोध मिश्रा की कोर्ट ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए PFI और SDPI के तीन सदस्यों को न्यायिक हिरासत में छह अक्टूबर तक के लिए जेल भेज दिया गया। STF ने शुक्रवार को PFI के पूर्व सदस्य मो। अहमद बेग, बाराबंकी से गिरफ़्तार मोहम्मद नदीम अंसारी व कमरुद्दीन उर्फ बबलू को कोर्ट में पेश किया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक STF को काफी समय से सूचना मिल रही थी कि PFI तथा कुछ अन्य संगठनों द्वारा देश विरोधी गतिविधियां संचालित कर भारत को खंडितकर 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कोशिश की जा रही है। राज्य में जगह-जगह विध्वंसक कार्रवाई की योजना के तहत समुदाय विशेष के बीच साहित्य बांटा जा रहा है। STF के इंस्पेक्टर शिवनेत्र सिंह ने बाराबंकी के कुर्सी थाने और इन्स्पेक्टर हेमंत भूषण ने लखनऊ के मदेयगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

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