अनदेखी या लापरवाही: फिर शुरू हो गया अवैध खनन का धंधा

गुडंबा क्षेत्र में जेसीबी से किसान की हुई मौत के बाद सच आया सामने

ए अहमद सौदागर

लखनऊ। ऊंची रसूख रखने वाले खनन माफिया के आगे सभी नियम – कानून बेमानी साबित हो रहें। जिलाधिकारी के निर्देशन पर कुछ महीनों खनन पर रोक लगी, लेकिन एक बार फिर राजधानी लखनऊ के अलग अलग थानाक्षेत्रों में खनन शुरू हो गया है। इसका सच गुरुवार की रात उस समय चला जब गुडंबा क्षेत्र में अवैध खनन में लगी जेसीबी ने बेलहा कपासी गांव निवासी किसान छत्रपाल रावत को कुचल डाला। संबंधित विभाग या फिर स्थानीय पुलिस धड़ल्ले से हो रहे खनन पर रोक लगाने के भले ही दावे पर दावे ठोक रहे हों लेकिन कड़वा सच यही है कि खनन का गोरखधंधा अभी भी चरम पर है।

संबंधित विभाग मूकदर्शक, खनन माफियाओं का बोलबाला

राजधानी लखनऊ के कुछ ऐसे इलाके हैं जहां नियम और कानून को दरकिनार करते हुए रात के समय जेसीबी मशीनों की लाइटें बुझाकर धड़ल्ले से खनन का गोरखधंधा चल रहा है और संबंधित या फिर स्थानीय पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। किसान छत्रपाल रावत खेत की रखवाली कर रहे थे कि संबंधित विभाग के किसी अफसर के आने की सुगबुगाहट सुन जेसीबी से जमीन को खोखला कर रहा चालक रंजीत कुमार जेसीबी लेकर किसान छत्रपाल को कुचलते हुए भाग निकला। सवाल है कि सिर्फ गुडंबा क्षेत्र ही नहीं राजधानी लखनऊ में कई ऐसे इलाके हैं जहां खनन माफियाओं से अछूता नहीं है। बीकेटी, इटौंजा, माल, मलिहाबाद, गोसाईगंज, बीबीडी, निगोहां, मोहनलालगंज, सरोजनीनगर, काकोरी के अलावा भी कई ऐसे इलाके हैं जहां खनन माफियाओं का बोलबाला है। हालांकि जिला प्रशासन ने कई बार अभियान चलाकर बेखौफ खनन माफियाओं पर लगाम कसने की कवायद शुरू की, लेकिन ये कार्रवाई खनन माफियाओं के आगे घुटने टेक कर रह गई।

प्रशासन की शह पर अंधाधुंध खनन

जानकारों की मानें तो राजधानी लखनऊ में गोसाईगंज, गुडंबा, बीकेटी, बीबीडी के अलावा कई ब्लॉक की ग्राम सभाओं में अभी भी बेखौफ होकर धरती को खोखला किया जा रहा है। कहीं पर 40 फीट से अधिक गहरी खाई नज़र आएंगी तो कहीं पर बराबर खेत तालाब की शक्ल में दिखाई दे रहे हैं। कुछ ऐसे इलाके हैं जहां किसी समय खेत थे और जमीन समतल हुआ करती थी। फिर विकास के नाम पर यहां मिट्टी खनन शुरू हुआ तो पुलिस प्रशासन के संरक्षण में दबंग ठेकेदार 40 से 50 फीट गहराई तक जेसीबी व पुकलैंड से इस कदर खुदाई की कि आज धरती समतल के बजाए तालाब की शक्ल में दिखाई दे रही हैं। वैसे तो जिला प्रशासन के आलाधिकारी अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए लगातार दावे कर रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरफ़ भी उनकी नजर जाएगी जहां खनन माफिया ज़मीन को खोखला करने में जुटे हैं ॽ फिलहाल बुजुर्ग किसान छत्रपाल रावत की हुई मौत के बाद भले ही एक जिम्मेदार अफसर पर गाज गिरी हो, लेकिन कड़वा सच यही है कि कहीं न कहीं संबंधित विभाग और स्थानीय पुलिस की घोर लापरवाही सामने आई।

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