द्वादशी श्राद्ध किन पितरों के लिए किया जाता है

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


इस बार पितृ पक्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो गए हैं। पितृ पक्ष का समापन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को होगा।

जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) द्वादशी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

द्वादशी तिथि को उन लोगों का श्राद्ध भी किया जाता है जिन्होंने स्वर्गवास के पहले संन्यास ले लिया था। उनका देहांत किसी भी तिथि को हुआ हो परंतु श्राद्ध पक्ष की द्वादशी तिथि को उनका श्राद्ध जरूर करना चाहिए। इस तिथि को ‘संन्यासी श्राद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है।

एकादशी और द्वादशी में वैष्णव संन्यासी का श्राद्ध करते हैं। अर्थात् इस तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किए जाने का विधान है, जिन्होंने संन्यास लिया हो।

खास बातें…

इस दिन पितरगणों के अलावा साधुओं और देवताओं का भी आह्‍वान किया जाता है।

इस दिन संन्यासियों को भोजन कराया जाता है या भंडारा रखा जाता है।

इस तिथि में सात ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है।

इस श्राद्ध में तर्पण और पिंडदान के बाद पंचबलि कर्म भी करना चाहिए।


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