लखनऊ। मां का दूध संतान के लिए वरदान माना जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मां का दूध शिशु के लिए क्यों जरूरी है और कब तक स्तनपान कराना जरूरी है।
ब्रेस्टफीडिंग के फायदे: बच्चे और मां के बीच का रिश्ता बाकी सभी रिश्तों से ऊपर होता है। बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद तक उन्हें केवल मां का ही दूध पिलाया जाता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि शुरूआती कुछ महीनों तक उन्हें और कुछ नहीं दिया जाना चाहिए। बच्चे के लिए मां का दूध किसी वरदान से कम नहीं होता है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मां का दूध बच्चों के लिए क्यों जरूरी है और स्तनपान न कराने पर यह बच्चे के विकास पर कितना असर डालता है। आइए जानते हैं इसके बारे में। स्तनपान के लाभ स्तनपान शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। मां के दूध में वे सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी होते हैं। इसके अलावा स्तनपान कराने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। गर्भ के अंदर का वातावरण शिशु के लिए काफी सुरक्षित होता है। लेकिन जन्म के बाद मां के दूध से उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे बच्चों बाहर के वातावरण में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया (bacteria) से लड़ सकता है।
सुरक्षा की भावना देता है गर्भ से बाहर आने के बाद बच्चा अपनी मां के साथ सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है। ऐसा होने में स्तनपान की अहम भूमिका होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मां की गोद में स्तनपान कराने के दौरान बच्चा सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है। स्तनपान मां और बच्चे के बीच भावनात्मक बंधन बनाता है। इसी वजह से मां का सबसे ज्यादा लगाव बच्चे के प्रति होता है। कब तक स्तनपान कराएं बच्चों को कम से कम छह महीने तक स्तनपान कराना चाहिए। डॉक्टर भी कम से कम छह महीने तक बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाने की सलाह देते हैं। (BNE)