देश में ऐसी पहली घटना की तुलना अमेरिका के मास किलिंग से,
रंजन कुमार सिंह
बिहार के बेगूसराय जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-28 पर मंगलवार शाम बाइक पर सवार दो हमलावरों ने ताबड़तोड़ रैंडम सीरियल फायरिंग कर 11 लोगों को घायल कर दिया। इनमें से एक पंचायत समिति सदस्य अमित कुमार की मौत हो गई। तीन घायलों की हालत नाजुक बताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 30 से ज्यादा किलोमीटर तक 40 मिनट की अवधि में बेमतलब इतने लोगों को गोली मारी गई। बेगूसराय की गोलीबारी में मल्हीपुर में दो, बरौनी थर्मल चौक पर तीन, बरौनी में दो, तेघड़ा में दो और बछवाड़ा में दो लोगों को गोली मारी गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर BJP का निशाना
गोलीबारी की घटना के विरोध में BJP ने बुधवार को बेगूसराय बंद बुलाया। इसके साथ ही राजनीति भी तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ने बिहार में जंगलराज की बात कहते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग कर दी। राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि बिहार और हिंदुस्तान के इतिहास में यह ऐसी पहली घटना है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी है, तब से अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है। बिहार के लोग दहशत में जी रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
बिहार में बाहर से आने वाले क्या सोचेंगे?
प्रदेश के पूर्व मंत्री और BJP नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि आज हर जगह गोली चल रही है। ऐसा लग रहा है जैसे गोली की बरसात हो रही है। ऐसे हालात में बाहर से हमारे बिहार में आने वाले लोग क्या सोचेंगे। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने भी बेगूसराय पहुंचकर सरकार पर निशाना साधा है। हमलावरों ने जितनी दूरी में गोलीबारी की उस दायरे में पुलिस के तीन थाने और सात आउट पोस्ट होने को लेकर भी चर्चा तेज है।
लापरवाही में सात पुलिसकर्मी निलंबित
ADG मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने बेगूसराय गोलीबारी मामले में बताया कि जिले की पुलिस टीम लगातार काम कर रही है। अपराधियों की पहचान और उनकी गिरफ्तारी के लिए CCTV फुटेज की मदद ली जा रही है। अपराधियों के पटना की तरफ भागने की सूचना मिलते ही पटना पुलिस को अलर्ट किया गया है। वहीं, बेगूसराय के SP योगेंद्र कुमार ने इस गंभीर मामले में पुलिस की लापरवाही मानी और गश्ती की ड्यूटी कर रहे सात पुलिकर्मियों को निलंबित कर दिया है। पुलिस ने दस लोगों को गोली मारे जाने की बात कही है।
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समस्तीपुर में दो संदिग्धों को पकड़ने का दावा
एसपी कुमार ने कहा कि सीरियल फायरिंग के बाद जिले की सीमा को सील कर आसपास के सात जिलों में अलर्ट जारी किया है। जिले के सभी थाने अलर्ट पर हैं। बेगूसराय और पटना के अलावा समस्तीपुर, खगड़िया, नालंदा, लखीसराय और मुंगेर जिले की सीमाओं पर नाकाबंदी की गई है। इन जिलों की पुलिस लगातार जगह-जगह छापेमारी कर रही है। पड़ोसी जिले समस्तीपुर में बाइक सवार अपराधियों की तलाश में जुटी पुलिस का दावा है कि बीती देर रात दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। उजियारपुर में NH-28 पर बहिरा चौक के पास वाहन चेकिंग के दौरान एक बाइक पर सवार करीब 25-26 साल के दो बदमाशों को पिस्टल और भारी मात्रा में कारतूस के साथ पकड़ा गया है। दोनों बदमाश बेगूसराय के रहने वाले बताए जा रहे हैं। पुलिस को शक है कि बेगूसराय में इन दोनों ने सीरियल फायरिंग की थी। पूछताछ में दोनों ने इस घटना में शामिल होने से इनकार किया है। जल्द ही उन्हें बेगूसराय पुलिस को सौंपा जाएगा।
अमेरिका की मास फायरिंग से तुलना क्यों
दूसरी ओर बेगूसराय की गोलीबारी की घटना को अमेरिका की मास फायरिंग से तुलना की जा रही है। इसे भारत का पहला ऐसा मामला भी बताया जा रहा है। हालांकि, अमेरिका की मास फायरिंग से बिहार के बेगूसराय में गोलीबारी की घटना कई मायने में काफी अलग है। इनमें बड़ा अंतर है। अमेरिका में इस साल अकेले अगस्त महीने में वाशिंगटन डीसी, बाल्टीमोर, वेस्ट केंटुकी और इंडियाना में फायरिंग की घटना हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल अमेरिका में फायरिंग की लगभग 300 से ज्यादा घटनाएं सामने आईं हैं।
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अमेरिका में ऐसे होती हैं फौरन कार्रवाइयां
अमेरिका गन कंट्रोल कानून बनने के बाद भी गोलीबारी की घटनाओं में कमी की जगह तेजी दर्ज होने लगी है। हालांकि, अमेरिका में फायरिंग की घटना किसी एक स्थान पर होती है। CCTV की मदद से हमलावरों की पहचान और गिरफ्तारी काफी जल्दी होती है। कई बार यह महज कुछ मिनटों में हो जाती है। घटना को लेकर राजनीति नहीं होती। पुलिस और प्रशासन की सख्ती के साथ ही तमाम एजेंसियां जांच में जुटती हैं। कॉज और मोटिव जल्दी सामने आते हैं। इसके अलावा ज्युडिशल सिस्टम भी ऐसे कोशिशों को जल्दी नतीजे पर पहुंचाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनती है।
कैसे और कितना अलग है बेगूसराय में शूटआउट
वहीं, बेगूसराय में गोलीबारी की घटना लंबी दूरी और देरी तक चली। CCTV का इकलौता फुटेज सामने आया। अभी तक कोई ठोस सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा। घटना को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है। दहशत में घिरे लोग घटना के पीछे शराब माफिया तक की बात करने लगे हैं। राजनीति तेज हो गई है और राज्य का नेतृत्व लगभग चुप है। जंगलराज और जनता का राज जैसे आरोपों-जवाबों का दौर शुरू हो गया है। प्रशासन इसे स्थानीय अपराध की घटना की तरह ट्रीट कर रही है।