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विविधता की शक्ति या एकता का माध्यम-हिंदी- अतुल मलिकराम राजनीतिक रणनीतिकार

लखनऊ। कुछ दिनों पहले अखबार में हिंदी को लेकर एक आर्टिकल पढ़ा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर देना चाहिए। अनायास ही मेरे मुँह से निकला- वाह! यदि ऐसा होना चाहिए, तो जिस भारत की परम्परा विविध सभ्यताओं और भाषाओं वाली है, उसका क्या? किसी विशेष क्षेत्र की भाषा, रीति-रिवाज को अन्य क्षेत्रों की भाषा […]

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