meaning

Litreture

चार आश्रम व चार पुरुषार्थ

जीवन के तीन प्रहर बीते, बस एक प्रहर ही बाकी है, तीन आश्रम बीत चुके, अब सन्यासी जीवन बाक़ी है। बृह्मचर्य, गृहस्थ रहकर ही, वानप्रस्थ भी भोग चुके, यूँ तो पुरुषार्थ किये होंगे, पर मोक्ष तो मिलना बाक़ी है । धर्म, अर्थ, काम में फँसकर, कैसे जीवन निकल गया, माया- मोह की चका-चौंध में, जीवन […]

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Analysis

अब समय के साथ बदल रहा है आजादी का मतलब

कैसा विक्षोभ, वितृष्णा, विरूप, विकृति, विषाद की अनुभूति होती है आज (23 मार्च 2023) ! शहीदे आजम का बलिदान दिवस है। समाजवाद के सूरज लोहिया की जयंती है। मगर अतीव ग्लानि होती है यह बोध होने पर कि बमुश्किल शून्य दशमलव एक प्रतिशत (केवल तीस हजार) भारतीय ही ब्रिटिश साम्राज्य से लड़े थे। तब (1930 […]

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