- पीड़िता को पुलिस ने टरकाया
- मेडिकल परीक्षण कराने के लिए भी पुलिस ने की आनाकानी
- पीड़िता का आरोप पुलिस नहीं सुनी फरियाद
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। डीजीपी और पुलिस कमिश्नर के तमाम दावों के बावजूद राजधानी लखनऊ में दुष्कर्म की घटनाएं थम नहीं रहीं हैं। बीते दिनों हुई घटनाओं के मामले में पुलिस किसी नतीजे पर पहुंच भी नहीं पाई थी कि मड़ियांव क्षेत्र के घैला चौकी क्षेत्र में एक मकान मालिक ने किराएदार की बेटी को अपनी हवस का शिकार बना डाला। इस मामले में पीड़िता ने घैला पुलिस चौकी पर प्रार्थना पत्र देकर रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस उसकी फरियाद सुनने के बजाए टरका दिया। घटना के तीन दिन बाद भी मेडिकल परीक्षण कराना तो दूर मुकदमा तक दर्ज नहीं किया। वहीं पुलिस के बड़े अधिकारी मातहतों को निर्देश देते हैं कि कोई भी महिला या लड़की उसकी फरियाद तत्काल प्रभाव से सुनी जाए। फिलहाल मड़ियांव पुलिस की कार्यशैली ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मूल रूप से सीतापुर निवासी एक परिवार मड़ियांव क्षेत्र स्थित फैजुल्लागंज निवासी प्रियांशु तिवारी के मकान में पांच महीने से किराए पर रह रहा है। किराएदार की बेटी ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि बीते 15 सितंबर को वह घर कूड़ा डालने बाहर निकली तभी बाहर खड़ा मकान मालिक प्रियांशु तिवारी ने उसे दबोच लिया और घसीटते हुए कमरे में ले जाकर उसकी इज्जत पर डाका डाला। आरोप है कि विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी। पीड़िता का कहना है कि घटना के उसके माता-पिता मरीज़ को देखने अस्पताल गए थे उनके आने पर पीड़िता ने मात-पिता को आपबीती सुनाई। यह सुनते ही घरवालों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पहुंच गया और आनन-फानन में वह रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए घैला पुलिस चौकी गए, लेकिन वाह री पुलिस पीड़ित परिवार की फरियाद सुनने के बजाए टरका दिया।
पीड़िता चौकी प्रभारी के सामने गिड़गिड़ाती रही, लेकिन चौकी प्रभारी तरह-तरह का पाठ पढ़ाते हुए वापस लौटा दिया। बेबस पीड़िता की आवाज जैसे ही बड़े अफसरों तक पहुंची तो पुलिस ने आरोपी को पकड़कर लाई, लेकिन हल्की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर मामले की छानबीन करने का दावा करने लगी। पुलिस ने न तो पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया और न ही रेप का मुकदमा दर्ज किया। यही है मड़ियांव पुलिस अफसरों का आदेश भी उनके लिए मायने नहीं रखता। नतीजतन पुलिस का रवैया भांप आरोपी आजाद बनकर घूम रहा है।
