एक देश एक चुनाव

शाश्वत तिवारी

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा, राज्यों की विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है। मिली जानकारी के मुताबिक यह रिपोर्ट कुल 18,626 पेजों की है। 2 सितंबर 2023 गठित कमेटी ने 191 दिनों तक इससे जुड़े हुए तमाम एक्सपर्ट और हितधारकों के साथ चर्चा करके राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट सौंपी हैं। प्रस्तावित रिपोर्ट में लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए एक एकल मतदाता सूची का प्रस्ताव दिया गया है।

पैनल ने देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के आखिरी पांच अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश की है। प्रस्तावित रिपोर्ट में संसद के सदनों के कार्यकाल से संबंधित अनुच्छेद 83, लोकसभा के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य विधानमंडलों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172, राज्य विधानमंडलों के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174, और राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने अनुच्छेद 356 में संशोधन की सिफारिश की गई है।

अपनी एक सिफ़ारिश में समिति ने कहा कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। उसके बाद दूसरे चरण के रूप में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में शेष पांच साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।
ऐसा समझा जाता है कि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली समिति एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए एक ठोस मॉडल की सिफारिश कर सकती है, जो कि विभिन्न चुनाव चक्रों को सिंक्रनाइज़ करने के लिए विकल्प सुझाने के विपरीत है। बताया जाता है कि समिति ने एक साथ चुनाव की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कई विकल्पों पर विचार-विमर्श किया है।

कोविंद की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

बीते साल केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठन किया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति बनाई गई थी। इस कमेटी में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कमेटी के चेयरमैन बनाया गया था। वहीं इस कमेटी में बतौर सदस्य गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, वरिष्ठ संविधानविद सुभाष सिंह कश्यप और देश के जाने माने वकील हरीश साल्वे और पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी को शामिल किया गया था। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी समिति का सदस्य बनाया गया था लेकिन उन्होंने हिस्सा बनने से मना कर दिया था।

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