डुमरियागंज के लोगों को चाहिए कांग्रेस से ब्राह्मण उम्मीदवार

मोहम्मद

सिद्धार्थनगर। जिले की एक मात्र डुमरियागंज संसदीय सीट इंडिया एलायंस में कांग्रेस के लिए काफी मुफीद है। भाजपा ने अपने तीन बार के सांसद जगदंबिका पाल पर चौथी बार दांव लगाकर इसे और आसान बना दिया है। यहां एमवाईबी का फार्मूला काम कर जाता यदि कांग्रेस किसी ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाती। फिलहाल यह सीट सपा के हिस्से में है जबकि कायदे से इसे कांग्रेस को देनी चाहिए थी। इस सीट के कांग्रेस के हिस्से में जाने की संभावना के बीच सपा के ही कई नेताओं ने कबूला है कि कांग्रेस से कोई ब्राह्मण चेहरा मैदान में होता न केवल मुकाबला कांटे का होता, गठबंधन उम्मीदवार के जीत की भी संभावना थी।

इसके पीछे तर्क यह है कि लगातार तीन बार से जगदंबिका पाल के सांसद होने से उनके खिलाफ इनकंबैसी का माहौल है। बतौर सांसद पाल ने जनहित का काम करने के बजाय केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं को अपना बताकर केवल ढिंढोरा पीटा है। उनके एक वर्ग से जुड़ने के नाते यहां का मुस्लिम वर्ग बुरी तरह नाराज है। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्होंने उसका उपयोग नितांत एक पक्षीय किया। भाजपा का एक बड़ा कार्यकर्ता वर्ग भी नाराज़ हैं। संसदीय क्षेत्र के दो विधानसभा क्षेत्र में इन्हें लेकर लोगों में भारी नाराज़गी है। मुमकिन है यहां के दोनों पूर्व विधायक भी इस बार इनसे दूरी बनाए रखें।

यह क्षेत्र मुस्लिम और ब्राह्मण बाहुल्य है। यहां जब कभी मनपसंद मुस्लिम उम्मीदवार हुआ है तो उसे ब्राह्मण वोटरों का पूरा समर्थन हासिल हुआ है और जब ब्राम्हण उम्मीदवार हुआ तो उसे मुस्लिम वोटरों का भी भरपूर सहयोग मिला है। सीट सपा के खाते में है लेकिन उसके पास जनता की पसंद का ब्राम्हण चेहरा नहीं है। ले दकर एक माता प्रसाद पाण्डेय हैं जो वेशक कई बार के विधायक, मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं लेकिन अब उनकी उम्र इस लायक नहीं रही कि वे लोकसभा चुनाव लड़ सकें। और जो दो एक लोग हैं तो सपा में उनकी शिनाख्त खुद अतिथि सफाई की है।

जातीय अंकगणित पर गौर करें तो एलांयस में तीन जातियों का बड़ा वर्ग भाजपा के खिलाफ वोट करने को तैयार है। इसमें मुस्लिम,यादव और ब्राम्हण! दलित वोटर भी यह मानने लगा है कि बसपा केवल उनके वोटों का सौदा करती है। ब्राम्हण समाज के साथ लगातार हो रही उत्पीड़न की घटनाओं ने उन्हें खुद के बारे में सोचने को मजबूर किया है। उस समाज में यह चर्चा होने लगी है कि कम से कम कांग्रेस में तो ऐसा नहीं था। सपा से गठबंधन के नाते यादव बिरादरी भी भाजपा के खिलाफ है। मुस्लिम वोटर इस बार कांग्रेस के पक्ष में पूरी तरह मन बना चुका है। बस उन्हें भाजपा के खिलाफ लड़ने वाला जुझारू उम्मीदवार चाहिए। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने एक ब्राह्मण को चुनाव लड़वाया था लेकिन उनकी भाजपाई छवि होने के नाते मुस्लिम वोटर उधर नहीं मुखातिब हो सके। इस बार इस सीट के जो समीकरण दिख रहे हैं उस हिसाब से कांग्रेस ने यदि पार्टी के परंपरागत उम्मीदवार पर दांव लगाया तो परिणाम चौंकाने वाले हैं सकते हैं।

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