श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का विशेष संस्मरण

  • रामभक्तों पर पुलिसिया प्रताड़ना, मानस पटल पर अभी तक अंकित
  • यूपी_बिहार की सीमा पर सौ मीटर काट दिया गया था 28 राष्ट्रीय राजमार्ग
  • उत्तर प्रदेश की सीमा में आते ही आडवाणी को गिरफ्तार करने की थी तैयारी
  • अयोध्या की तरह ही (परिंदा पर नहीं मार सके) थी पुलिस प्रशासन की चौकसी
  • आसपास के गांवों से निकलने की थी मनाही, खेती कार्य करने पर रोक
डॉक्टर बच्चा पांडेय, नवीन
डॉक्टर बच्चा पांडेय, नवीन

श्रीअयोध्या जी में 22 जनवरी , सोमवार को प्रभु श्री रामलला अपने पवित्र जन्म भूमि पर बन रहे भव्य मंदिर में विराजेंगे। यह क्षण मेरे जैसे लाखों रामभक्तों के लिए सुखद और खुद को गौरवान्वित महसूस करने वाला है, जिन्होंने श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए 1990 और 1992 की कारसेवा में सक्रिय भूमिका निभाई। रामजन्म भूमि आंदोलन को धार देने की एवज में पुलिसिया प्रताड़ना के शिकार हुए। ऐसे रामभक्तों के साथ पुलिस की प्रताड़ना मानस पटल पर अभी तक अंकित है।
सबसे पहले बात को नवम्बर 1990 को सरयू नदी के तट पर प्रस्तावित कारसेवा की। तबके भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितम्बर 1990 को सोमनाथ (गुजरात) से चलकर बिहार की सीमा में प्रवेश कर चुकी थी। इस यात्रा को तो 28 राष्ट्रीय राजमार्ग से गोरखपुर होते हुए अयोध्या जानी थी।

लेकिन, तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार की पैनी नजर बिहार_उत्तर प्रदेश की सीमा सलेमगढ़ और तमकुहीराज (तब देवरिया, अब कुशीनगर जनपद) के इलाके पर थी। कारण, आडवाणी जी की रथ यात्रा राष्ट्रीय राजमार्ग 28 से इसी इलाके से होकर गुजरनी थी। चूंकि उत्तर प्रदेश की सीमा में रथ यात्रा के आते ही आडवाणी को गिरफ्तार करने की तैयारी थी, लिहाजा राष्ट्रीय राजमार्ग को पुलिस प्रशासन द्वारा करीब सौ मीटर काट दिया गया था। भारी वाहनों के आने जाने पर रोक थी। आवागमन का रास्ता बगल में स्थित गड्डे से होकर बनाई गई पगडड्डी थी। पुलिस की चौकसी तो पूछिए मत। दृश्य ऐसा जैसे आप भारत पाकिस्तान के बाघा बार्डर पर खड़े हों। पुलिस की चौकसी अयोध्या की तरह ही “परिंदा पर नहीं मार सके” थी।

राष्ट्रीय राजमार्ग के इर्दगिर्द के किसानों को खेती कार्य करने से भी मनाही थी। मेरे जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा से जुड़े लोग या तो पुलिस कस्टडी में थे, या फिर उन्हे घर से निकलने की मनाही थी। पुलिस का आतंक ऐसा था कि राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास के गांवों के लोग अपने साथ किसी अनहोनी से डरे सहमे हुए थे। इसी बीच एक सूचना अखबार में प्रकाशित हुई कि लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा तमकुहीराज से करीब दस किमी दक्षिण भागीपट्टी, समउर सड़क मार्ग से भी उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर सकती है। पुलिस प्रशासन ने बिना समय गंवाए बिहार से जुड़ी इस सीमा को भी सील कर दिया और आसपास के गांवों में गश्त बढ़ा दी गई। हालांकि 22 अक्टूबर 1990 को समस्तीपुर में आडवाणी जी की गिरफ्तारी के साथ ही इस इलाके में पुलिस का उत्पीड़न कम हो गया, लेकिन कारसेवा में जाने वालों की धरपकड जारी रही।

पुलिस ने गिरफ्तार किया पर विवेकानंद का छात्रावासी होने के नाते छोड़ा

विहिप के बैनर तले रामजन्म भूमि आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए मैं गोरखपुर में पढ़ाई के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने लगा। फिर समय आया 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में सरयू के तट पर प्रस्तावित कारसेवा की। संगठन की ओर से मुझे भी कारसेवा में जाने की सूचना थी। विश्वविद्यालय नगर (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इकाई) के कार्यकर्ताओं के साथ कारसेवा के लिए अयोध्या जाने की मेरी तैयारी थी। इसी बीच सूचना मिली कि अयोध्या में अन्य राज्यों से कार सेवकों की बहुत बड़ी संख्या अयोध्या पहुंच चुकी है। ऐसे में अयोध्या जाने से जरूरी कारसेवकों के लिए भोजन की व्यवस्था करना है। संगठन की मंशा के अनुसार संघ के स्वयंसेवक परिवारों से भोजन का पैकेट इकट्ठा करने और अयोध्या भेजवाने में लगे रहे। 6 दिसंबर को दोपहर बाद पता चला कि कारसेवकों ने विवादित ढांचा को ध्वस्त कर दिया है। फिर तो अयोध्या न जाने का मलाल खुशियों में तब्दील हो गया।

तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के इस्तीफे के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। इसके उपरांत एक बार फिर रामजन्म भूमि आंदोलन में भागीदार रहे लोगों के यहां गिरफ्तारी की दबिश पड़ने लगी। संगठन की ओर से सभी को अपने को सुरक्षित रखने की सलाह मिली। लिहाजा मैं भी अपने गांव पुरैना कटेया (तमकुहीराज) चला गया। दो दिन बाद तमकुहीराज मंडल के भाजपा अध्यक्ष ध्रुव नारायण मिश्र ने घर आकर जानकारी दी कि पटहेरवा थाने की पुलिस जिन 33 लोगों को खोज रही है, उसमें एक आप भी हैं। यह बात सही निकली और दूसरे दिन सुबह ही पुलिस घर पर आ धमकी। मुझे थाने पर चलने को कहा गया।

मैने भी दृढ़ता से थाने पर ले जाने का कारण पूछा। एक सिपाही का सवाल था, अयोध्या में बाबरी मस्ज़िद गिराए हैं, यहां भी गिराना है क्या? करीब दस मिनट के बहस के बाद पुलिस टीम के नेतृत्व कर रहे सब इंस्पेक्टर (दारोगा) को बताया कि मैं गोरखपुर विश्वविद्यालय का शोध छात्र हूं और विवेकानंद छात्रावास में रहता हूं। विवेकानंद छात्रावास का नाम लेते ही दारोगा ने मेरे बात पर यकीन कर लिया और थाने पर कभी चाय पीने आने का आग्रह कर पुलिस वापस लौट गई। इन घटनाओं ने जीवन की दिशा ही बदल दी। विवेकानंद छात्रावास में रहकर विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी का ध्येय बदल गया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना के अनुसार कार्य करने का निर्णय ले लिया।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं तथा क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी, भाजपा गोरखपुर क्षेत्र के पद पर है।)

Raj Dharm UP

चार जून की प्रतीक्षा, माफिया की उसके बाद नहीं होगी रक्षा

सीएम योगी का बड़ा ऐलान, कहा- चार जून के बाद माफिया मुक्त राज्य घोषित होगा उत्तर प्रदेश अब मटियामेट करने की कसम खा ली है यूपी के सीएम ने, जो कहते हैं वो कर दिखाते हैं योगी ए. अहमद सौदागर लखनऊ। योगी आदित्यनाथ पर विपक्षी दल लगातार आरोप लगाते रहे कि उन्होंने अपने सजातीय अपराधियों […]

Read More
Raj Dharm UP

बड़ी घटना से पसरी सनसनी: पिता ने मां पत्नी सहित पांच लोगों को उतारा मौत के घाट

घटना को अंजाम देने के बाद खुद को गोली मारकर दी जान सीतापुर जिले के मथुरा थाना क्षेत्र के पाल्हापुर गांव में हुई यह घटना ए. अहमद सौदागर लखनऊ। सूबे में अपनों के हाथों अपनों का खून करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। राजधानी लखनऊ, देवरिया और बाराबंकी जिले में हुई कई घटनाओं को […]

Read More
Raj Dharm UP

दावे फेल जारी है हैवानियत: तमाम कोशिशों के बावजूद थम नहीं रहीं दुष्कर्म की घटनाएं

हिफाजत बनी चुनौती: राजधानी लखनऊ नाबालिग को बंधक बनाकर गैंगरेप पीड़ित परिवार की तहरीर पर नामजद रिपोर्ट दर्ज ए अहमद सौदागर लखनऊ। यूपी में महिलाओं व लड़कियों की हिफाजत चुनौती बनती जा रही है। बीते दिनों हुई कई घटनाओं के मामले शांत भी नहीं पड़े कि राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची […]

Read More