निधि वन में स्वामी हरिदास की गोद मे खेले प्रिया -प्रीतम

  • मार्गशीर्ष पंचमी को हुआ बांके बिहारी का प्राकट्य
  • स्वामी हरिदास के जीवन का अनमोल दिन -हुए आराध्य के दर्शन
  • भक्त के प्रेम में राधा कृष्ण हुए एक प्राण- एक विग्रह
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को स्वामी हरिदास जी के जीवन का अनमोल दिन था,वे रोज की तरह प्रात:भक्ति गीत गाने मे तन्मय थे इसी बीच उनकी गोद मे प्रिया प्रीतम.. युगल स्वरूप राधा-कृष्ण बाल रूप मे प्रकट होकर खेलने लगे। निधिवन के वृक्ष सिहर उठे। स्वामी हरिदास के नेत्रों से अविरल अश्रुधारा निरंतर बहने लगी,वे पहचान गए। ये तो लाड़ले श्रीकृष्ण और लाड़ली जू वृषभान किशोरी जी है। अब तो स्वामी जी को और रोना आगया। अरे नटखट.,!.. इस युगल स्वरूप के वस्त्र आभूषण कहां से लाउंगा? मैं ठहरा अकिंचन। लंगोटी भी बड़ी मुश्किल से मिलती है। तेरे लिए भोग कहां से लाउंगा? कैसे सेवा करुंगा। हे भगवान ! दो दो विग्रह?? बस चमत्कार हुआ।

भगवान के युगल रूप एक होगए अब तो युगल छवि और निराली होगई.. नाम पड़ा ‘बांके बिहारी’। स्वामी हरिदास गा उठे “माई जी सहज जोरी प्रगट भई,” वे ही बांके बिहारी आज बिहारी जी के रूप मे वृंदावन मे प्रसिद्ध हैं। जहां नित्य दर्शन के लिए समूचा वृंदावन…ब्रजगांव ही नहीं …समूचा विश्व उमड़ने लगा है‌। यह अवतार तो कलियुग मे हुआ। लोगों मे बांके बिहारी के प्रति खासा आकर्षण है ही .. वे आज भी लीलाधारी हैं.. कभी भी किसी के घर पहुंच जाते हैं। किसी को कहीं भी दर्शन दे जाते हैं। प्रेम से कोई भर निगाह देख ले ..उसके पीछे पीछे भागने लगते हैं।

निधिवन तो उनकी लीला विहार स्थली है। नित्य रात मे आजाते हें‌ पल़ंग पर पौढ़ते हैं,पान कूंचते हैं। निधिनन मे रात मे रासलीला व सुबह दातौन करते हैं और नहा धोकर फिर कहां सरक जातै हैं। किसी को पता ही नहीं। रात मे पशु-पक्षी कोई भी निधिवन मे नही रहता। जिसने कोशिश की वह पागल होगया। बांके बिहारी जी स्वयं मंदिर छोड़ कर भूख लगी तो किसी की दुकान पर पहुंच जाते हैं‌। मिठाई जलेबी खाई और वाफस मंदिर मे आकर सो गए। इसलिए सब कुछ रख कर उन्हें सुलाया जाता है‌। शिशु रूप है इसलिए भोर मे मंगला आरती नहीं होती। स्वामी हरिदास जी के भजन उन्हें प्रिय है‌। रसिक जन राग रागिनियों मे पद गाते हैं और भक्त भाव विभोर होकर उनके लिए रोते रहते हैं।

Analysis

राजनीति और बौद्ध धर्मः विश्लेषण जो अंतःकरण को करेगा शांत

कामेश आज धर्म का राजनीतिकरण इस प्रकार हो रहा है कि लोग उन महान विभूतियों के नाम को भी अपने साथ धूमिल करने पर तुले हुए हैं जिन्होंने धर्म के लिए अपना राज्य त्याग दिया और सन्यास धारण कर लिया। उसी में एक नाम है सिद्धार्थ अर्थात भगवान बुद्ध का। सब जानते हैं कि भगवान […]

Read More
Analysis

मां के लिए एक दिन बस! अरे वो हर क्षण मेरी आत्मा में बसती है…

आत्मा को झंझोड़ देने के लिए काफी है साल में एक दिन ‘मदर्स डे’ मंजु शुक्ला मां यानी सृष्टि। मां यानी अस्तित्व। मां यानी व्यक्तित्व। मां के लिए कोई दो शब्द नहीं लिख सकता। एक वही है जो बच्चे को नौ माह तक कोख में रखती है। तीन साल तक अपने गोद में और 16 […]

Read More
Analysis

तेजी से न्याय प्रक्रिया नहीं बदली तो ओवरलोड हो जाएगी देश भर की जेल

अतुल मलिकराम अपराधियों के लिए जेल को सुधार गृह के नाम से जाना जाता है। लेकिन शायद ये सुधार गृह समय के साथ आरामगृह में तब्दील हो गए हैं, जहाँ दोषियों से अधिक ऐसे कैदी बंद हैं। जिनका दोष अभी साबित ही नहीं हुआ है, जिन्हें आसान भाषा में विचाराधीन कैदी कहा जाता है। ये […]

Read More