दो टूक : आज आने वाले पांच राज्यों के चुनाव परिणाम तय करेंगे यूपी की सियासी दशा

राजेश श्रीवास्तव

आज हिन्दी पट्टी के राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ के विधानसभा चुनाव की मतगणना के साथ ही यह तय हो जायेगा कि तीनों राज्यों के चुनाव नतीजे लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कैसी राजनीतिक दशा तय करेंगे। तीनों राज्यों में भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा ने मुकाबला किया है, लिहाजा चुनाव के नतीजे चारों ही प्रमुख दलों पर असर डालेंगे। यह तय है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारियों का बिगुल बज जाएगा। ज्यादातर एग्जिट पोल की मानें तो यदि भाजपा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने और मध्यप्रदेश में सरकार बचाने में सफल रही तो यूपी में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं का हौंसला बुलंद होगा। पार्टी को जनता के बीच विपक्षी दलों के खिलाफ माहौल बनाने में आसानी होगी।

वहीं यदि नतीजे भाजपा के पक्ष में नहीं आए तो कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर होगा। विपक्षी दल प्रभावी होने पर पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए माहौल तैयार करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। हालांकि लोगों का यह भी मानना है कि लोकसभा चुनाव में जनता पीएम मोदी के चेहरे और नेतृत्व पर मतदान करेगी। 2०18 के विस चुनाव में भी इन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी लेकिन 2०19 लोकसभा चुनाव में यूपी, राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में भाजपा को प्रचंड जीत मिली थी। तीनों राज्यों के चुनाव में यूपी भाजपा के नेताओं के राजनीतिक कौशल की भी परीक्षा होगी। उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिह, सहकारिता राज्यमंत्री जेपीएस राठौर, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्रा दयालु, राज्यसभा सदस्य लक्ष्मीकांत बाजपेयी, प्रदेश महामंत्री गोविद नारायण शुक्ला, एमएलसी महेंद्र सिह, प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी सहित अन्य नेता चुनाव प्रचार और प्रबंधन में जुटे थे। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में यदि लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में रहते हैं तो इससे मुख्यमंत्री योगी का राष्ट्रीय राजनीति में कद और बढ़ेगा। साथ ही उनकी लोकप्रियता भी पहले से ज्यादा होगी।

राजस्थान में 2०० में से 182 विधानसभा क्षेत्रों में योगी की सभा, रैली और रोड शो की मांग हुई थी। योगी ने सबसे अधिक समय भी राजस्थान में ही दिया है। प्रधानमंत्री ने तो कहा है कि मेरा नाम ही गारंटी है। चुनाव भले ही पार्टी का है, लेकिन शीर्ष पर नरेंद्र मोदी का नाम रहा है। भाजपा के केंद्र में एक नेता है, लेकिन राज्य में कई नेता होने चाहिए। भाजपा अब इसी फॉर्मूले पर है। यही वजह है कि सांसद और केंद्रीय मंत्रियों को भाजपा ने चुनाव में टिकट दिया है। केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज को हटाया नहीं है। राजस्थान में भी वसुंधरा की पूरी तरह से अनदेखी नहीं हुई है। अगर भाजपा को ठीक-ठाक बहुमत मिलेगा तो जीत मोदी की जरूर कहलाएगी, लेकिन योगदान सभी का माना जाएगा। विपक्ष की सभी चुनौतियों का सामना करते हुए मोदी, शाह और आरएसएस की विचारधारा को कौन-सा चेहरा आगे बढ़ा पाएगा, उसी पर फैसला होगा। वहीं राहुल गांधी या प्रियंका गांधी ने सत्ता का लालच नहीं दिखाया है। उन्होंने सत्ता से अपने आप को दूर रखते हुए नेहरू-इंदिरा की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश की है।

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