कविता : जीवन पल दो पल का खेला है

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

इक पल हक़ में हो होता है तेरे,
इक पल ख़िलाफ़ हो जाता है,
जीवन पल दो पल का खेला है,
दुनिया आते जाते का मेला है।

हक़ में हो तो ग़ुरूर मत करना,
ख़िलाफ़ हो तो बस सब्र करना,
जीवन सुख दुःख का इक रेला है,
लाद लिया इस गठरी का ठेला है।

दुनिया में एक आसान काम है,
आपस का विश्वास गवाँ देना,
पर कठिन काम है विश्वास पाना,
बड़ा कठिन है विश्वास बना रहना।

जब कभी अकेले हो जाना,
सोच शक्ति को स्थिर रखना,
जब कुछ लोगों का जमघट हो,
अपनी वाणी को संयत रखना।

गलती से कभी क्रोध आ जाये,
मस्तिष्क सदैव शान्त रखना,
लोगों के साथ सामूहिक रूप से,
खुद को व्यवहार कुशल रखना।

जब कभी मुसीबत सामने आ जाये,
भावनाओं को अपने वश में रखना,
ईश्वर की कृपा कभी जब बरसेगी,
खुद के अहंकार को वश में रखना।

यह सारी मर्यादाएँ जीवन की,
जीवन जीने की दिग्दर्शक हैं,
आदित्य ध्यान में जो रखता है,
उसका जीवन सुगम सरल है ।

 

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