विविधता की शक्ति या एकता का माध्यम-हिंदी- अतुल मलिकराम राजनीतिक रणनीतिकार

लखनऊ। कुछ दिनों पहले अखबार में हिंदी को लेकर एक आर्टिकल पढ़ा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर देना चाहिए। अनायास ही मेरे मुँह से निकला- वाह! यदि ऐसा होना चाहिए, तो जिस भारत की परम्परा विविध सभ्यताओं और भाषाओं वाली है, उसका क्या? किसी विशेष क्षेत्र की भाषा, रीति-रिवाज को अन्य क्षेत्रों की भाषा या रीति-रिवाजों से केंद्र द्वारा अधिक महत्व देना, देश की एकता पर आघात करने जैसा है। भारत अनेकताओं में एकता वाला देश है। हमारे संविधान में कहीं भी राष्ट्रभाषा का जिक्र तक नहीं है। अक्सर लोग ऐसे विचार भावनात्मक या फिर राजनैतिक आधार पर रखते हैं। पर उसके परिणाम के विषय में तनिक भी नहीं सोचते।

राष्ट्रभाषा बनाने से अधिक महत्वपूर्ण है हिंदी भाषियों द्वारा हिंदी का प्रयोग। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि किसी भी हिंदी भाषी से आप पूछेंगे कि क्रिकेट को हिंदी में क्या बोलते हैं? तो वह ‘गोलगट्टम लकड़ पट्टम दे दनादन प्रतियोगिता’ नहीं बता पाएगा। इतनी हिंदी, हिंदी भाषी को पता होगी? और मोटरसाइकिल को हिंदी में क्या कहेंगे? ‘यंत्र चालक द्वीपथ गामिनी’ और पंप को वायु ठूसक यंत्र, अलमारी, रेल इत्यादि। ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएँगे, जो शब्द हिंदी नहीं हैं, लेकिन हम इन्हें आम बोलचाल में उपयोग करते आ रहे हैं।

ऐसी परिस्थिति में जब हिंदी भाषियों ने हिंदी पढ़ना या लिखना बंद कर दिया है, और इसके बाद आता है समझना, तो समझ तो हम इतने अच्छे से रहे हैं कि बेकार में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की माँग करके देश को तोड़ने का कार्य भी बड़ी कुशलता से कर रहे हैं। हम स्वयं तो हिंदी पढ़ेंगे या लिखेंगे नहीं, लेकिन दूसरों को अवश्य पढ़वाएँगे। हिंदी प्रदेशों में कोर्ट कचहरी, बैंक, मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई, अखबार, सरकारी अनुबंध इत्यादि के काम अंग्रेजी में हो रहे हैं। नौकरी अंग्रेजी से मिल रही है। तो हमारा संघर्ष अंग्रेजी से होना चाहिए भारतीय भाषाओं से नहीं। मराठी, दक्षिणी भाषी या बंगाली को हिंदी का राष्ट्रभाषा बनना कतई स्वीकार्य नहीं होगा और इसकी आवश्यकता भी क्यों है? मेरे हिसाब से तो यह फालतू के मुद्दें हैं, जिन्हें उठाना ही नहीं चाहिए।

#2030 के भारत के रूप में अगर हम हिंदी को बढ़ते हुए देखना चाहते हैं, तो हमें हिंदी विशेषज्ञों को बैठाकर आसान और उच्च स्तर के शब्द ईजाद करने होंगे। जब तक हम आसान शब्दकोश नहीं लाएँगे, तब तक हिंदी को विस्तृत नहीं कर पाएँगे। हिंदी को कई भाषाओं के शब्दों को आत्मसात करना होगा और सबसे महत्वपूर्ण बात कि पहले हिंदी राज्यों में ठीक से हिंदी का प्रयोग हो। हमारे अपने जीवन में हिन्दी का प्रयोग हो, फिर राष्ट्रभाषा क्या, विश्वभाषा की सोचिए।

Education

CBSE बोर्ड_2024: श्रीपर्णा तिवारी ने प्राप्त किये 91% मार्क्स

  लखनऊ/ श्रीपर्णा तिवारी ने CBSE बोर्ड 2024 बारहवीं की परीक्षा में 91% मार्क्स प्राप्त किये। श्रीपर्णा को इन महत्वपूर्ण 3 विषय (इकोनॉमिक में 94, इंग्लिश में 93 और बिजनेस स्टडीज में 90) मार्क्स मिले। यूपी के वरिष्ठ पत्रकार शाश्वत तिवारी की होनहार पुत्री श्रीपर्णा तिवारी ए.एम.सी. सेंटर, लखनऊ कैंट, के.वी. की मेघावी छात्रा है। […]

Read More
Uttar Pradesh

निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का ध्यान रखे अभियंता: डीजी जेल

जेलों की सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करें अधिकारी नवनियुक्त डीजी जेल ने किए बरेली जनपद की सभी जेलों का निरीक्षण लखनऊ। प्रदेश के नवनियुक्त महानिदेशक कारागार पीवी रामशास्त्री ने शनिवार को बरेली जनपद की समस्त जेलों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को जेलों को व्यवस्थाओं को सुद्रण करने के निर्देश दिए। निर्माणाधीन जिला जेल […]

Read More
Uttar Pradesh

सशस्त्र प्रहरी बल ने 17 वे स्थापना दिवस को बड़ी धूमधाम से मनाया

भैरहवा – सशस्त्र प्रहरी बल, नेपाल नं. 5 बिंध्यवासिनी वाहिनी मुख्यालय, रूपनदेही, सशस्त्र प्रहरी बल के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) अभिकुमार खत्री ने कहा कि नागरिकों को साथ लेकर प्रदर्शन में सुधार किया जाएगा। उन्होंने सशस्त्र बलों की हर गतिविधि में आम लोगों का समर्थन और सहयोग की अपील किया है । सशस्त्र प्रहरी बल, नेपाल […]

Read More