भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की भर्ती का मामला,अग्निपथ योजना से सहमत नहीं है नेपाल सरकार

उमेश तिवारी

काठमांडू /नेपाल । भारत में अग्निपथ योजना के लागू होने के बाद सेना के अंदर अपनी वीरता के लिए चर्चित नेपाली गोरखा सैनिकों की भर्ती रुक गई है। नेपाल सरकार और गोरखा सैनिक अग्निपथ योजना से सहमत नहीं हैं। वे भारतीय सेना में भर्ती की पुरानी व्‍यवस्‍था को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। गोरखा सैनिकों की भर्ती का मामला अब भारत और नेपाल के बीच रिश्‍तों में व‍िवाद का व‍िषय बनता जा रहा है। वह भी तब जब भारत और नेपाल के बीच कालापानी सीमा व‍िवाद पहले से ही गरमाया हुआ है। नेपाली नेताओं का कहना है कि भारत का यह फैसला हैरान करने वाला है और संधि का उल्‍लंघन है।

नेपाली अधिकारियों का कहना है कि भारत ने सेना की भर्ती में बदलाव करते समय न तो उनसे पूछा और न ही उनको इसकी सूचना दी। नेपाल के व‍िदेश मंत्री एनपी सौद बीबीसी से बातचीत में कहते हैं, ‘हमारी नीति रही है कि अगर भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच हुई संधि में कोई बदलाव किया जाता है तो इसे राजनीतिक सहमति से लागू किया जाएगा।’ उन्‍होंने कहा कि गोरखा सैनिकों की भर्ती को रोक दिया गया है। भारत में अग्निपथ स्‍कीम के शुरू होने का नेपाल के ज्‍यादातर राजनीतिक दलों ने कड़ा व‍िरोध किया है।

अग्निपथ पर फंसी नेपाल की प्रचंड सरकार

आलम यह है कि भारत समर्थक प्रचंड सरकार के लिए अब अग्निपथ पर आम सहमति बनाना और ज्‍यादा चुनौतिपूर्ण हो गया है। केपी ओली सरकार में व‍िदेश मंत्री रह चुके प्रदीप ज्ञवाली कहते हैं कि हम भारत के नए प्‍लान को स्‍वीकार नहीं करने जा रहे हैं। अगर भारत पुरानी गोरखा भर्ती प्रक्रिया को फिर से बहाल करता है तो इस भर्ती को फिर से शुरू किया जा सकता है। नेपाली सेना के एक इतिहासकार प्रेम सिंह बस्नेत कहते हैं कि इस बात का खतरा है कि अगर भारतीय सेना में 4 साल तक सेवा देने के बाद गोरखा सैनिकों को हटा दिया जाता है तो उन्‍हें नेपाल के अंदर किसी उग्रवादी गुट या व‍िदेशी प्राइवेट सेना में भर्ती क‍िया जा सकता है।

नेपाल को अग्निपथ स्‍कीम से सता रहा बड़ा डर

नेपाल लंबे समय से माओवादी हिंसा से प्रभावित रहा है। यही नहीं इससे पहले खबरें आई थीं कि नेपाल के गोरखा सैनिक भारत में भर्ती रुकने के बाद रूस और यूक्रेन की सेना में शामिल हो रहे हैं। कई नेपाली सैनिकों के वैगनर ग्रुप में शामिल होने की भी खबरें आई थीं। गोरखा सैनिक अपनी दिलेरी के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। इन सैनिकों को सबसे पहले भारत में साल 1815 में ब्रिटिश सेना में शामिल किया गया था। नेपाल में हर साल भारतीय सेना 1400 युवाओं को सेना में भर्ती करती थी। वर्तमान समय में नेपाली सेना में 35 हजार गोरखा सैनिक हैं। नेपाली व‍िशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने अगर अग्निपथ स्‍कीम को वापस नहीं लिया तो इससे भारत और नेपाल के बीच रिश्‍तों में खटास पैदा हो सकता है।

International

भारत-फ्रांस के बीच मेघालय में संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू

नई दिल्ली। भारत और फ्रांस ने मेघालय के उमरोई में संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘शक्ति’ के 7वें संस्करण की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना और भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ाना है। सोमवार से शुरु हुआ सैन्‍य अभ्यास 26 मई तक आयोजित होगा। संयुक्त अभ्यास के उद्घाटन समारोह में […]

Read More
International

भारत-ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर ऐतिहासिक समझौता

  नई दिल्ली। भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जो दोनों देशों के सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और ईरान के पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (PMO) के बीच हस्ताक्षरित समझौता आईपीजीएल को बंदरगाह उपकरणों में […]

Read More
International

अब श्रीलंका की प्रतिभा निखारना चाह रहा भारत, ऐसे कर रहा मदद

भारत कर रहा श्रीलंकाई स्टार्ट-अप के लिए क्षमता निर्माण  नई दिल्ली। इस सप्ताह की शुरुआत में, इन्वेस्ट इंडिया और इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) ने कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के साथ साझेदारी में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की, जिसमें श्रीलंका के सौर स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को एक साथ लाया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को सोलरएक्स […]

Read More