सावधानी बरतें : मानसून के समय बढ़ जाता है टाइफाइड का खतरा

बारिश का मौसम आ चुका है, ऐसे में वायरल, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया इत्यादि बीमारियां तेजी से फैलने लगी है। इसी के साथ टाइफाइड के भी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ जाती है, हालांकि यह सामान्य रोग है और डॉक्टर के देखरेख के बाद मरीज ठीक भी हो जाता है परंतु फिर भी लापरवाही बरतने के कारण गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।  डॉक्टर नवीन कुमार, सीनियर कंसलटेंट-मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के अनुसार टाइफाइड बैक्टीरिया और गंदगी की वजह से होता है, जो आमतौर पर दूषित खाने और पानी पीने के कारण फैलता है। इस बुखार का कारण ‘साल्मोनेला टाइफी’ नामक बैक्टीरिया का संक्रमण होता है। टाइफाइड में बहुत तेज बुखार आता है और यह बुखार कई दिनों तक बना रहता है। ‌ मानसून के समय टाइफाइड के बुखार में लापरवाही नहीं बरतना चाहिए और इससे बचने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

टाइफाइड के लक्षणों पर नजर रखें

मानसून के समय आपको टाइफाइड के लक्षण पर नजर रखना होगा। सबसे पहले आपको यह ध्यान रखना होगा कि टाइफाइड के लक्षण आखिर क्या है और यदि जैसे ही आपको इसके लक्षण दिखे तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें। टाइफाइड के रोगी में बैक्टीरिया के संपर्क में आने के लगभग एक-दो हफ्ते बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे- तेज बुखार, बार बार बुखार का आना और जाना, बुखार का नियमित बने रहना, सिरदर्द, कब्ज या डायरिया, भूख ना लगना, लिवर और स्प्लीन का बढ़ जाना, सीने पर लाल रंग के निशान, थकान, ठंड लगना, दर्द और कमजोरी महसूस होना, पेट में दर्द होने पर तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और उन्हीं के परामर्श के अनुसार दवाइयां लें।

टाइफाइड से कैसे बचा जा सकता हैं?

डॉक्टर पंकज वर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, इन्टर्नल मेडिसिन, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम के अनुसार
टाइफाइड से बचने के लिए आपको गंदगी से बचना पड़ेगा अपने आसपास साफ सफाई रखना पड़ेगा और खासकर भोजन व पानी स्वच्छ लें तभी आप कुछ हद तक टाइफाइड से बच सकते हैं।

मानसून के समय बाहर के खाने से बचें, क्योंकि बाहर संक्रमण फैलने का खतरा तेज रहता है। यदि बाहर खा पी रहे हैं तो किसी अच्छी जगह भोजन करें यहां साफ-सफाई बेहतर हो।

जिस व्यक्ति को पहले टाइफाइड हो चुका है या जो संक्रमित व्यक्ति है उसका झूठा पानी पीने और खाने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ‌

आजकल लगभग सभी घरों में आरओ लगे हैं, लेकिन मानसून के समय आपको पानी उबालकर पीना सुरक्षित रख सकता है क्योंकि उबले हुए पानी में बैक्टीरिया मर जाते हैं और इससे किसी भी प्रकार की बीमारी फैलने का खतरा नहीं रहता है।

फलों एवं सब्जियों को अच्छे से धो कर खाएं, क्योंकि इस मौसम में बारीक कीड़े फलों एवं सब्जियों में लग जाते हैं, जो आपके पेट में जाकर फूड प्वाइजनिंग का खतरा भी बढ़ा देते हैं इसलिए मानसून के समय फलों एवं सब्जियों को साफ कर कर ही खाएं।

बारिश के दिनों में डेरी प्रोडक्ट कम मात्रा में खाना चाहिए खासकर कच्चे दूध से बने पदार्थ, मिठाई, मिल्क शेक, कच्चे दूध का पनीर और पैकेट वाला दूध को तो हमेशा उबालकर ही पिएं।

शरीर को हमेशा हाइड्रेट रखें, दिन भर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं। यदि घर में किसी भी व्यक्ति को टाइफाइड के लक्षण दिख रहे हो तो उसे ओआरएस का घोल दें, साथ ही अधिक से अधिक साफ पानी पिलाएं और समय रहते डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें तथा डॉक्टर के निर्देशानुसार ही दवाइयां लें।

Health

व्रत करने के होते हैं क्या फायदे, सुनकर रह जाएंगे हैरान 

कुछ लोग ये सोचकर व्रत रखते हैं कि इसी बहाने उनका वजन कम हो जाएगा लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि व्रत करना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। आमतौर पर व्रत रखने का संबंध भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति से जोड़ा जाता है। इनका सिर्फ धार्मिक महत्त्व ही नहीं है बल्कि […]

Read More
Health Life Style

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: सफल बनाने में जुटे भारतीय उच्चायोग, विदेशों में आयोजित हो रहे ‘योगा प्री-इवेंट’

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2024 में अभी 50 दिनों से अधिक समय बचा है, मगर इस मेगा इवेंट से पहले विदेशों में स्थित भारत के विभिन्न दूतावासों की ओर से ‘योगा प्री-इवेंट’ शुरू कर दिए गए हैं। इस वर्ष दुनिया भर के देश 10वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएंगे। इसे सफल बनाने के लिए अमेरिका, […]

Read More
Health

हीमोफीलिया एक जन्मजात आनुवंशिक बीमारी-प्रो.मनोज कुमार

विशेष संवाददाता वाराणसी। हीमोफीलिया एक जन्मजात आनुवंशिक बीमारी है। जो मूलतः लड़कों में पाया जाने वाली लाइलाज बीमारी है। जनपद के हीमोफीलिया सेन्टर में लगभग 12 सौ मरीज़ पंजीकृत हैं। जिनका ईलाज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हीमेटोलाजी विभाग द्वारा किया जाता है। उक्त बातें विश्व हीमोफीलिया दिवस पर  हीमेटोलाजिस्ट प्रो.डॉ मनोज कुमार श्रीवास्तव ने पहड़िया […]

Read More