शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए करें पूजा

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष संपूर्ण धन-धान्य, समस्त दुखों से छुटकारा देने वाला होता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे शुभ और मंगलकारी दिन माना जाता है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने की परंपरा है। इस बार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत शनिवार के दिन है। ऐसे में व्रती को शिव और शनि देव दोनों की कृपा प्राप्त होगी। शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष संपूर्ण धन-धान्य, समस्त दुखों से छुटकारा देने वाला होता है।

आषाढ़ शनि प्रदोष व्रत की तिथि

आषाढ़ माह का शनि प्रदोष व्रत एक जुलाई 2023 को है। शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए भी किया जाता है। प्रदोष व्रत करने से चंद्रमा के अशुभ असर और दोषों से छुटकारा मिलता है।

आषाढ़ शनि प्रदोष व्रत का मुहूर्त

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि एक जुलाई दिन शनिवार को रात एक बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इसका समापन एक जुलाई को रात 11 बजकर 07 मिनट पर होगा।

शिव पूजा समय – शाम 07 बजकर 23 –  रात 09 बजकर 24

शनि प्रदोष व्रत का महत्व

शनिदेव के गुरू भगवान शिव हैं। इसलिए शनि संबंधी दोष दूर करने और शनिदेव की शांति के लिए शनि प्रदोष का व्रत किया जाता है। संध्या का वह समय जब सूर्य अस्त होता है और रात्रि का आगमन होता हो उस समय को प्रदोष काल कहा जाता है ऐसा माना जाता है की प्रदोष काल में शिव जी साक्षात् शिवलिंग में प्रकट होते हैं और इसीलिए इस समय शिव का स्मरण करके उनका पूजन किया जाए तो उत्तम फल मिलता है। इस दिन दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करने शनि की महादशा से राहत मिलती है।

शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है लेकिन सुबह शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लेकर शिव मंदिर में पूजा करें फिर सूर्यास्त से एक घंटे पहले, भक्त स्नान के बाद गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। भोलेनाथ को बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें। फिर विधिपूर्वक पूजन और आरती करें।

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