दसवीं सदी की बातें करना बेमानी!

के. विक्रम राव


ऐसी जनवादी और प्रगतिशील समान संहिता से भारतीय मुसलमान आज तक वंचित रह गए जबकि कई इस्लामी देशों में विवाह और तलाक के कानून सही हैं जैसे मोरक्को, ट्यूनीशिया, तुर्कीया, मिस्र, जॉर्डन, पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्लादेश। यूं तो संसद में समान संहिता पर बिल विचाराधीन रहा है। (9 फरवरी 2020) में राज्यसभा में भाजपा सदस्य करोड़ीलाल मीणा ने अपना विधायक पेश किया था जो बहुमत से स्वीकार कर लिया गया था। तब इन मुस्लिम वोटार्थी दलों का सदन में कैसा रुख, क्या बयान था ? कांग्रेस, सपा, राजद, डीएमके और तमाम विपक्षी दलों ने विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की। विधेयक पेश करने का विरोध करने पर जब बहस गरमाई तो नेता सदन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पूछा कि इसे क्यों पेश नहीं किया जा सकता ? उन्होंने बिल पेश करने के विरोध पर एतराज जताया और कहा कि बिल पेश करना सदस्य का अधिकार है। बिल पेश करने का विरोध करते हुए सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि सभी धर्मों की परंपरा अलग-अलग है। मुसलमान अपनी चचेरी बहन से शादी करना सबसे सही मानते हैं, क्या हिंदू ऐसा कर सकते हैं। इसीलिए सभी धर्मों की अलग-अलग परंपरा है।

आप इक्कीस्वी सदी में दसवीं सदी की बातें करना भी विफल है। अर्थहीन है। महा सुन्नी चिंतक और पुणे की मुस्लिम सत्यशोधक और भारतीय सेक्युलर सोसायटी मंडल के संस्थापक हमीद दलवाई की बात याद आती है। तब मुंबई में “टाइम्स ऑफ इंडिया” के रिपोर्टर के नाते मैं एक सभा में गया था। वहां डॉ. राममनोहर लोहिया के साथ हमीद दलवाई थे। उन्हें इस मुस्लिम विचार की राय बड़ी स्पष्ट थी यदि भारत में रहना है तो मुसलमानों को गणतंत्रीय संविधान की धाराओं का पालन करना होगा। यदि वे आजादी के इतने वर्षों बाद भी ऐसा नहीं करते हैं। अगर वह अभी भी चार बीवी, तीन तलाक, हिलाला चाहते हैं तो दारुल इस्लाम में जा कर रहें। सेक्युलर भारत छोड़ दें। लीबिया, ईरान, पाकिस्तान, सऊदी अरब के सुझाए थे। हमीद दलवाई ने तभी सुझाया था कि हिंदुस्तानी मुसलमानों को राम, शिव और कृष्ण की भूमियों (अयोध्या, काशी, मथुरा) को मूल वासियों को लौटा देना चाहिए।

उलेमाओं, दानीश्वरों, शायरों, जमातियों, अकीदतमादों, आलिमों, दानिशमंदों, मुल्लाओं, नमाजियों, फाजिल, मौलाना और मौलवियों को यहां तमिलनाडु की महिला सांसद बेगम नूरजहां रजाक की राज्यसभा में (13 अगस्त 1982) में दिए गए भाषण की चंद पंक्तियों का उल्लेख हो। इस अन्नाद्रमुक (जयललिता के नेतृत्व वाली) की नेता ने कहा था : “वक्त आ गया है जब मुस्लिम निजी कानून का सहारा हो। बहु विवाह की प्रथा खत्म हो। सभी धर्मों के अनुयायियों को कानूनन दूसरी बीवी रखने की मनाही हो। बेगम नूरजहां की मांग थी कि इंदिरा गांधी सरकार को मुस्लिम नारियों का शोषण बंद करना चाहिए। खासकर शादी, तलाक। ऐसा कानून सभी धर्मों पर लागू हो।”

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