कविता : बन्द मुट्ठी सवा लाख की

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

बन्द मुट्ठी सवा लाख की,
खुल गयी तो ख़ाक की,
कहावत कितनी प्रसिद्ध है,
अपने आप से यह सिद्ध है।

बन्द मुट्ठी में जो कुछ भी होता है,
इंसान तभी तक गुप्त रख पाता है,
जब तक वह मुट्ठी नहीं खोलता है,
खुलने से सत्य पता चल जाता है।

बंद मुट्ठी पारिवारिक,सामाजिक
एकता की भी द्योतक होती है,
जब तक हम एक जुट रहते हैं,
सारी बाधाएँ पार कर लेते हैं।

एकता जैसे ख़त्म हो जाती है,
विरोधी शक्ति प्रबल हो जाती है,
पारिवारिक रिश्ते भी टूट जाते हैं,
सामाजिक ताने बाने बिखर जाते हैं।

छोटी छोटी बातों को तूल न दें,
आपस का सौहार्द बनाये रखें,
घर, परिवार, समाज और देश,
के सामने निहित स्वार्थ गौड़ रखें।

आदित्य एकता में जो ताक़त है,
अलग अलग होने में नहीं होती है,
एकल परिवार स्वार्थ आधारित हैं,
संयुक्त परिवार में सबका हित है।

 

Litreture

लघु-कथाकार नोबेल विजेताः एलिस का चला जाना !

के. विक्रम राव साहित्य के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार की विजेता एलिस मुनरो का कल (15 मई 2024) कनाडाई नगर ओंतारियों में निधन हो गया। वे 92 वर्ष की थीं। मतिभ्रम से पीड़ित थीं। लघु-कथा लेखिका के रूप में मशहूर एलिस की समता भारतीय लघुकथाकार मुल्कराज आनंद और आरके नारायण से की जाती है। रूसी कथाकार […]

Read More
Litreture

नार्वे के भारतीय लेखक के दो लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी प्रेम प्रस्ताव(लघुकथा) कथाकार-सुरेश चंद्र शुक्ल’ शरद आलोक’ समीक्षक- डॉ ऋषि कमार मणि त्रिपाठी लेखक ने ओस्लो के एक चर्च मे मारिया के पति के अंतिम संस्कार के एक दृश्य का वर्णन किया है। किस प्रकार लोग शामिल हुए,फूलों के गुलदस्तों मे संदेश और श्रद्धांजलि देने वालो के नाम लिखे […]

Read More
Litreture

चार लघु कथाओं की समीक्षा

समीक्षक: डॉ ऋषिकुमार मणि त्रिपाठी लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ लघु कथा एक झलक लेखक सुरेश शुक्ल ‘शरद आलोक’ साग्न स्टूडेंट टाउन से मशहूर क्लब सेवेन शहर ओस्लो के मध्य रात ग्यारह बजे आगए। डिस्कोथेक के जीवंन्त संगीत आर्केस्ट्रा सभी नि:शुल्क प्रवेश  मदिरा पीकर अनजान लड़कियो के बांहो मे बाहें डाले रात भर नाचते। मै […]

Read More