बरेली जेल अधीक्षक को बचाने में जुटा शासन!

  • शासन करवाई में अपना रहा दोहरा मापदंड!
  • शासन में बैठे जेल विभाग के आला अफसरों का कारनामा

राकेश यादव


लखनऊ। कारागार विभाग में शासन दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने में भी पक्षपात कर रहा है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लेकिन सच है। अनाधिकृत मुलाकात को लेकर शासन व जेल मुख्यालय के अफसरों ने दोषियों को दंडित करने में दोहरा मापदंड अपनाया। चित्रकूट और बरेली जेल में मामला एक जैसा होने के बाद भी अलग-अलग तरह से कार्रवाई का मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि ऊंची पहुंच और जुगाड़ वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में शासन का भी लचीला रवैया है। यही वजह है कि जेल के जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हकीकत यह है कि शासन इस अधिकारी को बचाने की फिराख में हैं।

बीती 10 फरवरी को चित्रकूट की रगौली जेल में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी की पत्नी निखत से जेल के अंदर अनाधिकृत तरीके से मुलाकात कराई जा रही है। डीएम एवं एसपी चित्रकूट ने जेल में छापा मारकर इसका खुलासा किया। इस खुलासे के बाद डीजी जेल ने मामले की जांच प्रयागराज परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआईजी जेल शैलेंद्र मैत्रेय को सौंपी। जांच रिपोर्ट आने के बाद जेल मुख्यालय ने जेलर समेत सात कर्मियों को और शासन ने आनन-फानन में जेल अधीक्षक का तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। एकाएक हुई इस कार्रवाई से विभागीय अधिकारियों में खलबली मच गई। इतनी बड़ी संख्या मश एक साथ हुई कार्रवाई का लेकर कहा गय कि विभाग में ऐसा पहली बार हुआ।

अभी यह मामला चल ही रहा था कि प्रदेश के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड की साजिश बरेली जेल में रचने का खुलासा हो गया। इस खुलासे में माफिया अतीक के भाई अशरफ की नाम सुर्खियों में आया। बताया गया है कि जेल प्रशासन के सुरक्षाकर्मियों और ठेकेदार के माध्यम से अशरफ की जेल के अंदर बेतरतीब तरीके से मुलाकातें कराई जा रही थी। इसकी जानकारी होने के बाद डीजी जेल ने इसकी जांच बरेली रेंज के प्रभारी डीआईजी आरएन पांडे को सौंपी। डीआईजी की रिपोर्ट मिलने के बाद डीजी जेल ने जेलर राजीव मिश्रा समेत पांच अन्य कर्मियो को तत्काल प्रभाव से निलंबित किए जाने का आदेश जारी किया।

सूत्रों का कहना है कि जेल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस देकर मामले का रफादफा कर दिया। ऐसा तब किया गया जब जेल नियमानुसार जेल के अंदर किसी भी अप्रिय घटना के सीधे तौर पर अधीक्षक को जिम्मेदार माना गया है। अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार शासन को है। घटना का हुए करीब क माह बीते चुका है लेकिन अधीक्षक के खिलाफ आजतक कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि चित्रकूट जेल में जांच रिपोर्ट के बाद अधीक्षक समेत पांच लोगों का निलंबित कर दिया गया था। उधर जेल मुख्यालय के एक वरिष्ठï अधिकारी से जब बात की गई तो उन्होंने इस शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।


लखनऊ जेल में घटनाओं के बाद भी नहीं कोई कार्रवाई

विदेशी कैदी समेत चार बंदियों की गलत रिहाई, सनसाइन सिटी की पावर ऑफ अर्टानी जेल के बाहर जाने, जेल से कैदियो की फरारी, बंदियों की पिटाई से बंदीरक्षक की मौत, ढाका से बंगलादेशी बंदियों की फंडिंग सरीखे तमाम सनसनीखेज घटनाएं होने के बाद भी लखनऊ जेल अधीक्षक के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऊंची पहुंच और जुगाड़ की बदलौत पिछले करीब साढ़े तीन साल से अधीक्षक इसी जेल पर जमे हुए है। ऐसा तब है जब जेल में एक मामली सी घटना होने पर अधीक्षक का हटा दिया जाता है। बांदा जेल में सिर्फ अधीक्षक के प्रभार नहीं संभालने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इस जेेल में सनसाइन सिटी मामले का खुलासा होने के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए जांच अधिकारी डीआईजी को ही बदल दिया गया।

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