नेपाल में बौद्ध कालेज खोलने को लेकर ओली ने भारत के खिलाफ उगला जहर, फिर छलका ओली का चीन प्रेम, प्रचंड को भी कोसा

उमेश तिवारी

काठमांडू/नेपाल। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली चीन की खुशामद में जुटे हैं। ऐसे में उन्होंने प्रस्तावित बौद्ध कालेज को लेकर प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड और भारत की आलोचना की है। ओली ने कहा है कि नेपाल को विदेशियों के खेल के मैदान में बदलने के लिए प्रचंड सरकार भारत को मुस्तांग में एक बौद्ध कालेज खोलने की अनुमति दे रही है। ओली ने यहां तक कह दिया कि यह योजना देश की संप्रभुता पर हमला है। हालांकि, सच्चाई यह है कि ओली के प्रधानमंत्री बनने के दौरान हुमला में नेपाली जमीन पर चीन ने कई किलोमीटर तक कब्जा कर लिया था। चीन ने नेपाल की जमीन पर स्थायी इंफ्रास्टक्चर निर्माण किया और बार्डर पिलर को उखाड़ फेंका। इसके बावजूद चीन परस्त इस नेता के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला।

ओली ने चीन को धोखा देने का लगाया आरोप

अब ओली ने प्रधानमंत्री प्रचंड पर हिमालयी क्षेत्र में बौद्ध कालेज खोलने के भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर चीन को धोखा देने का आरोप लगाया। कांतिपुर की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल सरकार चीन की सीमा से लगे मुस्तांग के प्रतिबंधित क्षेत्र में भारत को एक बौद्ध कालेज स्थापित करने की अनुमति देने की तैयारी कर रही है। बरहा गांव मुक्ति क्षेत्र ग्रामीण नगर पालिका के अनुरोध पर, भारत सरकार अपर मुस्तांग के प्रतिबंधित क्षेत्र में बौद्ध कालेज स्थापित करने के लिए 700 मिलियन रुपये से अधिक खर्च कर रही है।

भारत ने नेपाल के प्रस्ताव पर ही भरी है हामी

नेपाल के सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इस प्रस्ताव को स्थानीय बरहा गांव मुक्ति क्षेत्र ग्रामीण नगर पालिका के अनुरोध पर भारत सरकार को भेजा गया था। उन्होंने यह भी बताया कि इस पर अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। इस कालेज को खोलने की पहल मुस्तांग शाक्य बुद्ध संघ ने की थी। इसके लिए भूमि की व्यवस्था की और फिर नेपाल सरकार के माध्यम से भारतीय पक्ष से अनुरोध किया। इसके बावजूद ओली को लग रहा है कि इससे चीन नाराज हो सकता है। ओली को खुले तौर पर चीन का पिट्ठू बताया जाता है।

प्रचंड से क्यों चिढ़े हैं ओली

ओली ने प्रचंड के खिलाफ मोर्चा तब खोला है, जब उनकी पार्टी ने हाल में ही प्रचंड सरकार से अपना समर्थन वापस लिया है। गठबंधन तोड़ने का ऐलान 9 मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में प्रचंड की पार्टी का विपक्षी नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार रामचंद्र पौडे़ल को समर्थन देने का फैसला करने के बाद किया। ओली और दहाल के बीच 25 दिसंबर को हुए समझौते के मुताबिक राष्ट्रपति का पद यूएमएल को दिया जाना चाहिए था। लेकिन, 10 जनवरी को कांग्रेस ने उनकी सरकार को विश्वास मत देने के बाद दहाल ने अपना रुख बदल लिया।

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