गांधी को समझ पाते इससे पहले उन्हें हमसे छीन लिया गया: वर्मा

सुमित मोहन श्रीवास्तव


आनंद नगर/महराजगंज। SDM मदनमोहन वर्मा ने कहा कि गांधी को चाहे जितना लांछित किया जाय,आरोपित किया जाय,वे सब के सब निराधार है। उन पर सबसे बड़ा दोष भारत के बंटवारे का लगता है जो सच नहीं है। भारत का विभाजन भौगोलिकीय दृष्टि से परिस्थिति जन्य था जो संयोग से भारत आजाद होने के तत्काल बाद हुआ। SDM  वर्मा बुधवार को स्थानीय चंद्रा चिल्ड्रेन पब्लिक स्कूल में एनुअल खेल कूद प्रतियोगिता में प्रतिभाग किए छात्रों के पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपना विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय परिवार को गांधी आत्मकथा पुस्तक भी भेंट की।

उन्होंने कहा कि क्या कोई ऐसा शख्स भी महान हो सकता है। जो किसी के कत्ल का गुनाहगार हो? दुर्भाग्य है आज यही हो रहा है। गांधी भारत ही नहीं दुनिया में अकेला और अजीम शख्सियत हैं जिनके समाधि पर “हे राम” लिखा हुआ है। गांधी ने कभी खुद को महान साबित करने का पाखंड नहीं किया। दुनिया ने उन्हें महान माना क्योंकि वे वाकई महान थे। और महान इसलिए थे क्योंकि वे किसी काम को कर पाने में अकेले खुद का योगदान नहीं मानते थे। वे कहते थे कि महान डाक्टर हो सकता है। जो कि बीमार की जिंदगी बचाता है,महान वह है जो जिंदगी बचाने की दवा बनाता है। महान ऐसे ही लोग होते हैं। जिनका किया हुआ एक काम हजारों लाखों के काम आता है। इस तरह दूसरे की महानता को स्वीकार कर गांधी महान हुए।

वे कहते हैं कि मदर टेरेसा मानव सेवा की प्रतिमूर्ति हैं लेकिन यह भी जानना होगा कि गांधी मानव सेवा की इबारत लिखने वाले पहले शख्सियत थे। उन्होंने एक कुष्ठ रोगी को अपने घर में रखकर उसकी सेवा अपने हाथों से की थी। वे ऐसे समाज के पक्षधर थे जहां द्वैश बैर नाम की कोई चीज न हो। वे मोची से लेकर स्वीपर तक का सम्मान करते थे और चाहते थे कि सभी ऐसा करें। आज हम मंहगी कारों में घूमते हैं,कार खराब हो गई, पहिया पंचर हो गया तो उसे कौन ठीक करता है? मिस्त्री! इस तरह वह भी समाज का सम्मानित व्यक्ति हुआ! गांधी  समाज का ऐसा चेन स्थापित करना चाहते थे जहां न कोई दुश्मन हो और न कोई ऊंच नीच!

आज समाज में गांधी के सिद्धांत और विचार को जन जन तक इस लिए पंहुचाना है क्योंकि जब तक लोग गांधी को समझ पाते उसके पहले गांधी को हमसे छीन लिया गया। गांधी को इसलिए पढ़ा जाना चाहिए। क्योंकि गांधी सिर्फ भारत के नहीं थे, गांधी पूरी क्षितिज के मानवता के देवदूत थे जिन्हें दुनिया बापू के नाम से भी जानती है। हम भारतीयों के लिए गर्व की बात है जब हम भारत के बाहर किसी भी देश में जाते हैं तो वहां हमारा सम्मान इस लिए बढ़ जाता है क्योंकि हम गांधी के देश से आए हुए होते हैं।

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