लखनऊ से अधिक कमाऊ मेरठ जेल भेजने की तैयारी!

  • जेल अधीक्षक को सजा के बजाए तोहफा देने की तैयारी में जुटा शासन
  • ढाई साल के कार्यकाल में बांग्लादेशी फंडिंग समेत दर्जनो घटनाएं होने के बाद कार्यवाही नहीं

राकेश यादव


लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में आए दिन घटनाएं होने के बाद शासन जेल अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उन्हें तोहफा देने की तैयारी में है। जेल अधीक्षक को लखनऊ से हटाकर और अधिक कमाई वाली मेरठ जेल भेजने की कवायद चल रही है। इसको लेकर विभागीय अधिकारियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायतों का अंबार लगा हुआ है शासन उसके खिलाफ कार्रवाइ्रे के बजाए तोहफा देने की फिराख में जुटा हुआ है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह आदेश कभी भी हो सकता है। राजधानी की जिला जेल में तैेनात वरिष्ठï अधीक्षक आशीष तिवारी के पौन तीन साल के कार्यकाल में जेल में घटनाओं का अंबार लगा रहा। जेल प्रशासन के उत्पीडऩ से आजिज आकर करीब एक दर्जन बंदियों को आत्महत्या करने तक के लिए विवश होना पड़ा। यही नहीं जेल में बंदियों की पिटाई कर वसूली के मामले की एक शिकायत आईजी जेल तक पहुंचने के बाद आरोपी अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा जेल से बंग्लादेशी बंदियों की ढाका से फंडिंग एवं बंग्लादेशी कैदी की गलत रिहाई का मामला भी किसी से छिपा नहीं है। साइन सिटी मामले में पावर ऑफ अटार्नी जेल के बाहर जाने के मामले सुर्खियों में रहा। इन घटनाओं के बाद शासन व जेल मुख्यालय ने आरोपी जेल अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करना तो दूर सिर्फ जांच के नाम पर मामलों को दबा दिया।

यही नहीं शाइन सिटी मामले की जांच लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी ने की। इसमें उन्होंने वरिष्ठ अधीक्षक, एक जेल व डिप्टी जेलर के निलंबन की संस्तुति की। वरिष्ठ अधीक्षक ने शासन में सेटिंग-गेटिंग कर इस दंड को अल्पदंड में तब्दील कराकर मामले को ही रफादफा करा दिया। इसके अलावा लखनऊ जेल में बंदियों के कल्याण के लिए संचालित कैंटीन में मनमाने दामों पर खानपाप की वस्तुएं बेंचकर प्रतिमाह लाखों रुपए के वारे-न्यारे करने के मामले भी दोषी अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सात माह तक जेल की सलाखों में रहने वाले जबरिया रिटायर किए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने जेल कैंटीन में मनमाने दामों पर दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ खानपान की वस्तुएं बेचे जाने की शिकायत लोकायुक्त से करके इसकी जांच कराए जाने की मांग की। इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों जेल मुख्यालय ने आरोपी जेल अधीक्षक को बांदा जेल स्थानांतरित  किए जाने का एक प्रस्ताव शासन को भेजा था। अधीक्षक ने शासन में सेटिंग-गेंटिग से इस प्रस्ताव को यह कहकर वापस करा दिया कि बांदा जेेल भेजने के बजाए उन्हें निलंबित कर दिया जाएं। किंतुृ बांदा नहीं भेजा जाए। सूत्र बताते हैं कि पिछले करीब ढाई साल के कार्यकाल के दौरान जेल में तमाम घटनाएं होने के बाद कार्रवाई करने के बजाए आरोपी अधीक्षक को मेरठ जेल भेजे जाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसको लेकर विभागीय अधिकारियों में हलचल मची हुई है। उधर DIG  जेल मुख्यालय शैलेंद्र मैत्रेय ने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।

बांदा व आजमगढ़ जाने से किया इनकार

लखनऊ जेल के वरिष्ठï अधीक्षक को मेरठ स्थानांतरित किए जाने का मामला विभागीय अफसरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि प्रदेश की अतिसंवेदनशील बांदा जेल जाने से इनकार करने वाला यह अधिकारी शासन में सेटिंग-गेटिंग कर मेरठ जाने को तैयार है। वर्तमान समय में बांदा के अलावा आजमगढ़, राजधानी की आदर्श कारागार, गोंडा समेत कई जेलों में वरिष्ठ अधीक्षक तैनात नहीं है। जिस जेल पर अधिकारी तैनात है इन्हें उसी जेल पर भेजा जाना अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

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