एक अफसर के जिम्मे बांदा समेत 15 जेलों की निगरानी

अफसरों की कमी का हवाला देकर सौंपी गई दो परिक्षेत्र के जेलों की कमान

कुमार राकेश

लखनऊ। शासन व जेल मुख्यालय में सेटिंग हो तो आप लखनऊ में बैठकर भी दो दर्जन से अधिक जेलों की निगरानी कर सकते है। ऐसा कारनामा शासन से जेल मुख्यालय के अफसरों ने कर दिखाया। इसकी पुष्टि विभागीय दस्तावेजों से की जा सकती हैे। प्रदेश की अतिसंवेदनशील बांदा जेल में पूर्व विधायक एवं माफिया मुख्तार अंसारी बंद है। अधीक्षक विहीन इस जेल की जिम्मेदारी हाल ही में प्रोन्नत पाए जेलर के हाथों में है। उधर आला अफसरों का कहना है कि विभाग में अधिकारियों की संख्या कम होने की वजह से एक-एक डीआईजी को दो-दो परिक्षेत्रों का प्रभार दिया गया है। बीते दिनों शासन ने जेल विभाग के डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी को प्रयागराज परिक्षेत्र की सेंट्रल जेल नैनी, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, हमीरपुर, चित्रकूट महोबा बांदा व अयोध्या परिक्षेत्र की अयोध्या, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर समेत कुल 15 जेलो के जिम्मेदारी सौंपी। इसके साथ ही डीआईजी संजीव त्रिपाठी को राजधानी लखनऊ स्थित सम्पूर्णानंद कारागार प्रशिक्षण संस्थान (जेटीएस) में बतौर निदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।

विभागीय सूत्रों के मुताबिक जेल मुख्यालय से प्रयागराज परिक्षेत्र के लिए भेजे गए डीआईजी जेल को प्रयागराज के साथ ही अयोध्या परिक्षेत्र का भी प्रभार दिया गया। डीआईजी ने अपने को लखनऊ में बने रहने के लिये शासन से साठ गांठ करके जेल प्रशिक्षण संस्थान से सम्बद्ध करा लिया। उन्हें इन प्रभारों के साथ कार्यवाहक निदेशक का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। सूत्र बताते है कि यह प्रभार मिलने पर डीआईजी जेल अधिकांश समय लखनऊ में ही व्यतीत करते है। आलम यह है कि सप्ताह में पांच दिन वह लखनऊ में ही बने रहते है। विभागाध्यक्ष से रेंज की किसी जेल में अनियमिता की शिकायत मिलने पर वह सिर्फ उसकी जांच करने के लिए ही प्रयागराज व अयोध्या जाते है। मजे की बात यह है जांच में भी इन्हें कोई दोषी नहीं मिलता है। उधर मुख्यालय डीआईजी जेल मुख्यालय शैलेंद्र मैत्रेय ने अफसरों की संख्या कम होने की बात कहते हुए संजीव त्रिपाठी के पास प्रयागराज, अयोध्या परिक्षेत्र के साथ जेटीएस का प्रभार होने की बात तो स्वीकार की।

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