- राजधानी लखनऊ सहित यूपी के कई जिलों की पुलिस द्वारा किए गए खुलासे के बाद सच आया सामने
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। मेहनत-मजदूरी और बड़े इंतजाम से पाई-पाई जोड़कर बनाई गई लोगों की पूंजी चोर एक ही झटके में उड़ा देते हैं। फिर शुरू होती है थाने पर फरियाद और चोरी गया सामान पा लेने की कोशिश। कभी पुलिस मेहरबान हुई तो कुछ हाथ लग गया वरना लोग हाथ मसलते रहा जाते हैं। पुलिस चोरी की एक चौथाई संपति भी बरामद नहीं कर पाती। लखीमपुर-खीरी जिले के मैगलगंज थाना क्षेत्र में बीते 25 जून 2025 को बख्तियार पुर निवासी मनोज कुमार के यहां हुई चोरी का खुलासा करते हुए आठ अगस्त 2025 को चोरों के गिरोह को पकड़कर चोरी का राजफाश कर सामान बरामद करने का दावा किया, लेकिन पीड़ित इस गुड वर्क से संतुष्ट नहीं हुए। ठीक इसी दिन इसी क्षेत्र में 24 जून की रात बेखौफ चोरों ने कोलौरा गांव निवासी सुनील के यहां लाखों की चोरी हुई थी।
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पुलिस ने दोनों घटनाओं का खुलासा किया, चोरी गया सामान बरामद नहीं कर पाई थी। इस मामले में पीड़ित परिजनों का आरोप रहा पुलिस ने चोर तो पकड़ लिया, लेकिन चोरी गया सामान कहां है। ठीक इसी तर्ज पर राजधानी लखनऊ में पिछले महीनों एसडीएम अनामिका श्रीवास्तव के घर लाखों की हुई चोरी का खुलासा कर मड़ियांव पुलिस ने तीन चोरों को गिरफ्तार कर अपनी पीठ थपथपाई, लेकिन इस खुलासे में भी झोल ही झोल दिखाई दिया था। यह तो महज बानगी भर इससे पहले भी यूपी पुलिस कई लूटकांड या फिर चोरी का राजफाश करते हुए चोरी गए पूरे सामान बरामद करने का दावा किया, लेकिन पीड़ित परिवार संतुष्ट होते नहीं दिखे। बीते कुछ महीनों पहले राजधानी लखनऊ के पूर्वी जोन में बेखौफ बदमाशों ने बैंक में धावा बोलकर लॉकर में रखे करोड़ों रुपए के गहने बटोर ले गए थे। इस मामले में पुलिस ने धड़ाधड़ एनकाउंटर आरोपियों को दबोचा, लेकिन बैंक में जमा करने वाले पीड़ित आज भी आंसू बहाने के सिवा उन्हें कुछ नहीं मिला।
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फर्जी खुलासे भी वजह
पुलिस कई बार फर्जी राजफाश करती है। कहीं अगर एक असली चोर या लुटेरा पकड़ा गया तो पुलिस इलाके में हुई तमाम दूसरी चोरियां और लूट भी उसी के मत्थे मढ़ कर केस वर्कआउट का दावा कर देती है, लेकिन सामान बरामद नहीं करवा पाती?
