- अब दर्जन भर से जान दे चुके सरकारी व संविदाकर्मी
- घरेलू कलह या फिर ऊपरी दबाव
- कई घरों में चीख-पुकार व फैला मातम
- फतेहपुर बिंदकी क्षेत्र निवासी लेखपाल सुधीर की मौत बनी गवाह
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। देश के करीब एक दर्जन राज्यों में SIR की प्रक्रिया जोरों पर चल रही है। समय-सीमा सीमित होने पर इलाकों में लगाए गए बीएलओ परेशान नजर आ रहे हैं और वे दबी जुबान में कहते फिर रहे हैं कि कम समय के चलते उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा। कहीं पर मतदाता मिल रहे हैं तो कहीं पर गायब मिल रहे हैं। एसआईआर का बोझ स्कूलों में कार्यरत संविदाकर्मी या फिर लेखपालों के कंधों पर रखा गया है। लापरवाही मिलने पर उन्हें बड़े अफसरों द्वारा फटकार भी लगाई जा रही है। इसी दबाव का शायद नतीजा है कि फतेहपुर के बिंदकी कोतवाली क्षेत्र स्थित खजुआ कस्बा निवासी 25 वर्षीय लेखपाल सुधीर कुमार कोरी ने खुद की शादी के एक दिन पहले खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। बताया जा रहा है कि अकेला सुधीर नहीं अबतक देश-प्रदेश में करीब दर्जन भर से अधिक बीएलओ जान दे चुके हैं। सुधीर द्वारा किए गए आत्महत्या से यही लग रहा है कि बीएलओ जिंदगी की जंग हार रहे हैं।
देश-प्रदेश में यूं भी जान देने की प्रवृति बढ़ती जा रही है। बीते दिनों सिलसिलेवार तरीके से हो रही खुदकुशी के आंकड़े पर गौर करें अधिकतर आत्महत्या बढ़ी है। इनमें सरकारी सेवा में मरने वालों की संख्या कम नहीं है। बताया जा रहा है कि हाल ही में अबतक एसआईआर भरने और मतदाताओं तक फार्म पहुंचाने वाले सुधीर सहित कई बीएलओ की जान जाना वाकई चिंतनीय है। लेखपाल सुधीर की खुदकुशी से इस मामले पर बहस शुरू हो गई है।
लेखपाल सुधीर कुमार कोरी के घरवालों का आरोप है कि शादी की तारीख तय होने के बाद भी जिम्मेदार अफसर छुट्टी नहीं दे रहे थे। आरोप है कि जान देने से एक दिन पहले कानूनगो ने सुधीर कुमार कोरी को भला-बुरा कह कर गए थे। परिजनों का आरोप है कि संबंधित अधिकारियों के दबाव से आहत होकर वह खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। फिलहाल इस मामले में संबंधित विभाग के आलाधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं इस मामले में पक्ष-विपक्ष के नेता सुधीर के घर पहुंच कर उन्हें सांत्वना देने में जुटे हुए हैं।
