नया लुक ब्यूरो
देहरादून। छठे देहरादून अंतरराष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के दूसरे दिन आयोजित ग्रीन एनर्जी कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रदेश के ऊर्जा एवं नियोजन सचिव डॉक्टर आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को बनाया। उन्होंने बताया कि इसी पॉलिसी के आधार पर भारत सरकार ने भी जियो थर्मल पॉलिसी पर आगे काम शुरू किया।
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डॉ सुंदरम ने बताया कि 2047 तक विकसित राष्ट्र का सपना पूरा करने के लिए सबसे प्राथमिक आवश्यकता ऊर्जा की होगी और हमें ऊर्जा की वृद्धि एक्स्पोनेंशियल रूप से करनी होगी, इसी को ध्यान में रखते हुए ग्रीन ऊर्जा के ऐसे गैर परंपरागत स्रोत जिसमें कार्बन फुटप्रिंट ना हो इन पर पूरे देश में काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि सोलर एनर्जी ग्रीन एनर्जी का एक बहुत बड़ा स्रोत है लेकिन सोलर एनर्जी का उपयोग हम रात में नहीं कर पा रहे हैं।
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जैसे ही हम सोलर एनर्जी को बैटरी बेस एनर्जी के अंदर परिवर्तित करते हैं तो उसकी लागत मूल्य में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है। अभी इस पर रिसर्च चल रहा है कि किस तरह से सोलर एनर्जी को स्टोर करके रात में उसका उपयोग किया जाए, जिससे उसके लागत मूल्य में वृद्धि न हो। ओएनजीसी के मुख्य महाप्रबंधक ई संजय मुखर्जी ने बताया कि ओएनजीसी ने उत्तराखंड राज्य में 62 ऐसे जगह को चिन्हित किया है जहां पर जियोथर्मल का स्रोत है, उन स्रोत के माध्यम से जियोथर्मल एनर्जी को दोहन किया जा सकता है जिस पर काम चल रहा है। उरेडा ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से पूरे प्रदेश में सोलर एनर्जी के रूप के विकास में किए गए कार्यों के बारे में बताया। छठे देहरादून विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के दूसरे दिन कुल 9 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य रूप से स्पेस साइंस क्विज, रूरल एंटरप्रेन्योरशिप एवं स्टार्टअप कांक्लेव, मैजिक ऑफ़ मैथ्स, मॉडल रॉकेट्री वर्कशॉप, स्टेम वर्कशॉप, बायो टेक्नोलॉजी कांक्लेव, साइबर सिक्योरिटी कांक्लेव और कांस्टा कॉन्फ्रेंस शामिल थी।
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