प्रतापगढ़: लालची इंस्पेक्टर जय चंद भारती आखिरकार हुए बर्खास्त

  • गिरफ्तारी के लिए अफसरों ने रखा पचास हजार का इनाम
  • इनाम घोषित होते ही पुलिस की टीमें हुईं सक्रिय
  • अपने ही विभाग के इंस्पेक्टर को खोजना पुलिस टीम के लिए चुनौती
  • कहीं हमदर्दी तो कहीं बेरहमी के बीच चल रही फरार घुसखोर इंस्पेक्टर की तलाश
  • यह तो महज बानगी भर इससे पहले भी कई पुलिसकर्मी लगा चुके हैं खाकी वर्दी पर दाग

ए अहमद सौदागर

लखनऊ। प्रतापगढ़ जिले के बिहार गंज बाजार में बीते 16 जून को चचेरे भाईयों को गोली मारने के मुख्य गैंगस्टर के आरोपी अंतू थाने के हिस्ट्रीशीटर मस्सन अली को बचाने के लिए पूर्व इंस्पेक्टर जय चंद भारती को लालच का बुखार इस कदर हावी हुआ कि वह अपने आवास पर दस लाख रुपए लेकर ले लिया था। इंस्पेक्टर द्वारा मोटी रिश्वत लेने की खबर मिलते ही पुलिस के जिम्मेदार अफसरों का पारा सातवें आसमान पहुंच गया और इस मामले की गहनता से जांच पड़ताल शुरू करवा दी। छानबीन के बाद मामला सही पाए जाने पर इंस्पेक्टर जय चंद भारती के खिलाफ भ्रष्टाचार की धारा में रिपोर्ट दर्ज हुई। मुकदमा दर्ज होने की खबर मिलते ही दागी इंस्पेक्टर जय चंद भारती आनन-फानन में फुर्र हो गया। बताया जा रहा है कि तत्कालीन इंस्पेक्टर जय चंद भारती को तत्काल प्रभाव से पहले निलंबित फिर बर्खास्त कर दिया गया। पुलिस के आलाधिकारियों ने फरार इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के लिए पचास हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। इनाम घोषित होते ही पुलिस सक्रिय हुई और उसकी तलाश में उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।

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वहीं जानकार बताते हैं कि पुलिस की टीमें कहीं हमदर्दी और कहीं बेरहमी के बीच ख़ोज रही है, लेकिन वह अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगा। कहीं लखनऊ में हुए चर्चित माज हत्याकांड के मुख्य आरोपी बर्खास्त इंस्पेक्टर संजय राय की तरह पूर्व इंस्पेक्टर जय चंद भारती अदालत में सरेंडर करने की फिराक में तो नहीं? यह सवाल फिलहाल पुलिस टीम को बेचैन कर रही है।
बताया जा रहा है कि बिहार गंज में चचेरे भाईयों की गोली मारने के मुख्य आरोपी हिस्ट्रीशीटर मस्सन अली से बचाव करने के लिए पूर्व इंस्पेक्टर जय चंद भारती ने अपने आवास पर बुलाया और हिस्ट्रीशीटर मस्सन अली से मोटी रकम ले लिया था।
बताया जा रहा है कि फरार इंस्पेक्टर के साथ चलने वाले हमराहियों से भी पूछताछ की, लेकिन कुछ नतीजा हासिल नहीं हुआ। बताया जा रहा है पुलिस की टीमें लगातार अलग-अलग दिशाओं में रवाना होकर दागी इंस्पेक्टर की खोज में जुटी हुई है।

 पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई पुलिसकर्मी खाकी वर्दी 

वर्ष 2019- सआदतगंज क्षेत्र के तेल व्यवसायी श्रवण साहू को फर्जी मुकदमे में फंसाने के लिए चार बेगुनाह युवकों को शूटर बताकर जेल भेज दिया था। इस मामले की भनक लगते ही पुलिस के आलाधिकारियों ने दरोगा धीरेन्द्र शुक्ला, अनिल सिंह व धीरेन्द्र यादव को बर्खास्त कर दिया था। यही नहीं वर्ष 2013 में अपनी प्रेमिका की चाहत में गाजीपुर इंस्पेक्टर रहे बर्खास्त इंस्पेक्टर संजय राय ने शूटरों से मासूम माज की हत्या करा दी थी। सवाल यह है कि पुलिस महकमे में कोई पहला मामला नहीं यह तो बहुत पुरानी रवायत होती चली आ रही है। कोई आंख मिचौली को लेकर खाकी वर्दी पर दाग लगाया तो कोई मोटी रकम देख डकैती डाली तो कोई सूचीबद्ध बदमाशों को बचाने के लिए बिना परवाह किए बगैर अपराध के दलदल में कूद पड़े।

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