आशीष द्विवेदी
हम त कहऽ तानी लोकू की बेमारी के एतना खतरा लागत रहे त देश के सब गदहन के दिल्ली बोला लेवे के चाहत रहल हा, एके जगह रहला पर सुरक्षा के चिंता ना रहीत और गदहन के मीटिंगों हो जाईत। हमार त सरकार से निवेदन बा की गदहन के वैल्यू दिहल जाए। देश के राजधानी सहित सब राजयन के राजधानी में गदहन के मेला लगावल जाए। का रे बन्दरू का हाल बा। कबो कपार पर हाथ धर तारे, कबो कपार खजुवावत बाड़े, का बात ह। आंख, भौंह, लीलार त ऐसे घुमाव तारे जैसे बहुत बड़ चिंता में पड़ गइल बाड़े, हमरा त बुझाता कि चिंता के साथ चिंतन भी करऽ तारे। अरे लोकू दिमाग हमार चकरघिन्नी क गइल बा। सोचऽ तानी कि देश कईसे आगे बढ़ीऽ। अरे बन्दरू, का देशवा के चलावे का ठेका तोहरे के मिल गइल बा का कि एतना चिंता, चिंतन, ध्यान में मगन बाड़े। अरे ना लोकू, लेकिन देशवा के खातिर त सोचहीं के पड़ी ना। त बताव बन्दरू का सोचलऽ हा, कुछ न कुछ त सोचलहिं होब। तूं त डाल-डाल , पात-पात बिचरेलऽ। हर जगह टहलेलऽ, हर समाज घुमेलऽ, बुद्धि त तहरा पास खूबे बा।
अरे लोकू, गदहा के देखले बाड़ऽ, कालहऽ हम एगो गदहा के देखनी। सडक़ प आंख बंद कइके, शांत भाव से आराम से खड़ा रहे। बड़ा गौर कइके हम देखनीऽ कि ओकरा चेहरा पे चिंतन रहे, चिंता रहे और धियान भी रहे। ओकरा अगल -बगल से गाड़ी निकलऽ…तारी स लेकिन ओकरा धियान में तनकियो से गड़बड़ी ना आवत रहे। गजब के कन्सन्ट्रेशन रहे। सोचऽ… तानी कि यदि गदहा जैसन कन्सन्ट्रेशन नेता अउर लोगन में आ जाए त देश त विकास के रास्ता पर तेजी से भागे लागी। गदहा में मेहनतो के खूब गुण होला, पूरा दिन शांत भाव से काम करत रहेला, पूरी ईमानदारी से, कुछो ना बोलेला। ई सारा गुन यदि लोगन में आ जाए त देश विकास करी की ना? बोलऽ लोकू बोलऽ, सही कहऽ तानीऽ न।
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लेकिन केतना दुखद बा की केहू गदहा बने के नइखे चाहत। बल्कि गुन के खजाना होखला के बादो गदहे के लोग मूरख बता देले बा। मालूम बा लोकू सब केहू गदहन के दुश्मन बन गइल बा, गदहा केहू के सोहात नइखे। देश में गदहन के मेला लागेला। उहाँ सब गदहा चिंतन, मनन, धियान करेलन स। लेकिन एह बार गदहन के मेले पर प्रशासन रोक लगा देलस। बलिया, कुरुक्षेत्र, पुष्कर कुल्ह जगहन पर रोक लाग गइल बा। बीमारी(लमपी) गाय के भइल, ओही में गदहो पिसा गइलन स। पुरान कहावत ह -जव के साथ घुन पीसईबे करेला। गदहन के खूबी के देखत इनकर मेला यानी अंगरेजी में कॉन्फ्रेंस रद्द ना करेके चाहीं। जब सब केहू आपन-आपन मेला लगा ले ता त गदहा काहे न लगावत स। हम त कहऽ तानी लोकू की बेमारी के एतना खतरा लागत रहे त देश के सब गदहन के दिल्ली बोला लेवे के चाहत रहल हा, एके जगह रहला पर सुरक्षा के चिंता ना रहीत और गदहन के मीटिंगों हो जाईत। हमार त सरकार से निवेदन बा की गदहन के वैल्यू दिहल जाए। देश के राजधानी सहित सब राजयन के राजधानी में गदहन के मेला लगावल जाए। ई जाने ल की ना कि घर से निकलते ही गदहा लउक जाए त जतरा (शुभ होना) बन जाला।
त बन्दरू कौना निष्कर्ष पर पहुँचल तूँ? अरे लोकू, हमरा चिंतन, मनन से ई निष्कर्ष निकलल की हर नेता और आदमी यदि गदहा बन जाए त देश के 100 फीसदी विकास संभव बा। जय हो गर्दभ महाराज की। बड़ा गर्दभ महाराज के जयकारा लगाव तार बन्दरू, आपन जयकारा काहे नइख लगावत, तहरा में का कमी बा। तूं हूं त बुद्धिमाने हव। सुनऽ लोकू गर्दभ महाराज धीर, गम्भीर, शांत, चिंतन, मनन में ही सर्वश्रेष्ठ नइखन, ई देश के अर्थव्यवस्थो सम्भालेलन। मालूम बा पाकिस्तान में जब इमरान खान के शासन रहे तब ई गदहवन ही उहां के अर्थव्यवस्था संभलले रहलन स। इमरान के तीन साल के कार्यकाल में हर साल एक लाख गदहा ज्यादा पैदा होइलन स। इह मामले में पाकिस्तान गदहा पैदा करेऽ में दुनिया में तीसर देश बन गइल। ई गौरव पाकिस्ताने के हासिल बा। यदि इमरान खान गदहा नीयर सोचतन त उहां के अर्थव्यवस्था ना गड़बडाइत और गद्दियों बाचल रहित।
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पाकिस्ताने अइसन देश ह जहां गदहन के आबादी 2001 से 2022 तक हर साल एक लाख के हिसाब से बढ़ल हा। बाकी कुल्ह के आबादी स्थिर रहल। जानऽ तारऽ लोकू ई गदहवा कहां गइलन स? कुल्हिन के ड्रैगन कंट्री चीन मंगवलस। चीन इहे गदहन के कारण तेजी से विकास करताऽ। चीनी कम्पनियां गदहन के खातिर पाकिस्तान में निवेश यानी कि पैसा भी लगवले बाड़ी स। पाकिस्तान में नसल के अनुसार ई गदहन के दामों तय होगा। इनकर बड़ा इम्पारटेन्स बा , हल्के में मत लीहऽ। हर साल एक लाख नया गदहा पैदा कइके इमरान एकरा के आपन उपलब्धि बतवले रहलन। मालूम बा इनकर एतना इम्पारटेन्स बा कि इनका के एक बार पाकिस्तान के कोर्टवो में पेश कईल गइल रहल। इनका ऊपर स्मगलिंग के आरोप रहल हा। चीन सबसे अधिक गदहा पैदा करेला , एकरा बाद भी कमी पड़$ जाला त पाकिस्तान से मँगावेला। ई गदहन के कारण ही चीन विकसित होत जा ता। 2019 में पशुधन गणना के मुताबिक भारत में 2007 में 4.4 लाख गधा रहलन स। 2012 में 3.2 लाख रह गइलन स। अउर 2019 में ई घट के 1.2 लाख रह गइलन स। पता चलल की सबके चीन ले जात रहल। एही से त चीन हमसे आगे बा। समझलऽ लोकू यदि विकास करके बा तो गदहन के तरजीह देवे के पड़ीऽ। हम त चाह$ तानी की यदि बुद्धि गदहा नीयर हो जाए त धीरज, धैर्य, मनन, चिंतन सब आ जाई और हम सब विकसित हो जाइब। एक बार फिर गर्दभ महाराज की जय।
