राजेन्द्र गुप्ता
चतुर्दशी श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान आने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है। पितृ पक्ष हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने का एक विशेष समय होता है। इस दौरान, लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न प्रकार के श्राद्ध कर्म करते हैं। पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि के लिए बेहद खास मानी जाती है। जिन लोगों की इस तिथि पर मृत्य होती है उन लोगों का श्राद्ध इस तिथि पर गलती से भी नहीं करना चाहिए, नहीं तो संतान को कष्ट झेलने पड़ सकते हैं।
चतुर्दशी श्राद्ध क्या होता है?
पितृ पक्ष के दौरान चतुर्दशी श्राद्ध के दिन अकाल मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों का श्राद्ध किया जाता है। चतुर्दशी श्राद्ध को चौदस श्राद्ध या घायल चतुर्दशी भी कहा जाता है। श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चतुर्दशी श्राद्ध कब है?
पितृ पक्ष की तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। इस साल पितृ पक्ष में चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध सितंबर 20, 2025 (शनिवार) को किया जाएगा। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें दान दिया जाता है।
चतुर्दशी श्राद्ध कैसे करें?
- चतुर्दशी श्राद्ध के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद तर्पण करें।
- दोपहर में कुतुप मुहूर्त में जिनका श्राद्ध करने है उनके निमित्त धूप, दीप लगाकर भोग लगाएं। फिर पंचबलि भोग निकालें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें।
- शाम को पीपल के पेड़ में तेल का दीपक लगाकर पूर्वजों के आत्मा की शांति की कामना करें।
- श्राद्ध करने वाले जातक पहले स्वयं स्नान करके शुद्ध हो जाएं, उसके बाद श्राद्ध कर्म करने वाले स्थान को भी शुद्ध कर लें।
- कुश, जल, तिल, गंगाजल, दूध, घी, शहद की जलांजलि देने के बाद दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाएं।
- श्राद्ध से पहले पितरों का स्मरण करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
- तिल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं।
- अब पितरों की पसंद का भोजन बनाकर उसमें से गाय, कौवा, चींटी, कुत्ते जैसे जीवों के लिए एक-एक अंश निकालें।
- इस दौरान पितरों का आह्वान कर उनसे भोजन ग्रहण करने की प्रार्थना करें।
- इसके बाद ब्राह्मण को भी भोजन कराएं। श्राद्ध के अवसर पर यदि दामाद, भतीजा या भांजा भी भोजन करें, तो इससे पितृ विशेष प्रसन्न होते हैं।
चतुर्दशी श्राद्ध का महत्व
चतुर्दशी के दिन अकाल मृत्यु से मरे लोगों का श्राद्ध किया जाता है। अकाल मृत्यु का मतलब है कि किसी की मृत्यु हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना, या किसी और वजह से हुई हो। जिन लोगों की मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुई हो, उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को करना चाहिए। चतुर्दशी के दिन श्राद्ध करते समय अंगूली में दरभा घास की अंगूठी पहनी जाती है। चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और यमदेव की पूजा की जाती है। चतुर्दशी के दिन तर्पण और पिंडदान करने के बाद गरीबों को दान किया जाता है। ज्योतिषों के मुताबिक, चतुर्दशी के दिन दोपहर में कुतुप मुहूर्त में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों का तर्पण करना चाहिए।
