चली रामलीला परम्परा और पौराणिक धारावाहिकों की प्रासंगिकता पर चर्चा

  • ब्रजेश पाठक ने किया अनसुने सितारे और मैं स्वयं सेवक
  • नाटककार सुशील कुमार सिंह ने बताया अपना रचना संसार

लखनऊ। साहित्य ही नहीं, इतिहास-भूगोल, विज्ञान कला हर विषय की किताबें यहां बलरामपुर गार्डन अशोक मार्ग पर चल रहे 22वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले की शान बनी हुई हैं। आज फिर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक मेले में किताबों के बीच थे। मेले में पुस्तक प्रेमी साहित्य, लोक संस्कृति, कला विषयों और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की पुस्तकें प्रकाशन विभाग दिल्ली, उप्र हिन्दी संस्थान, उर्दू अकादमी, आदिदेव प्रेस, भारतीय कला प्रकाशन के स्टाल पर पलटते और खरीदते दिखायी दिये। स्कूल कालेज के विद्यार्थियों की संख्या आज भी खूब रही। दो दिन बाद रविवार को मेला विदा हो जायेगा। मेले में आज श्रीधर अग्निहोत्री की किताब अनसुने सितारे और मनीष शुक्ल की पुस्तक मैं स्वयंसेवक का विमोचन उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, ललित कला अकादमी उपाध्यक्ष गिरीशचंद्र मिश्र व अतिथियों ने किया। इस मौके पर ब्रजेश पाठक ने कहा कि किताबों में दर्ज ज्ञान अगली पीढ़ी को हस्तांतरित होता है।

निराला, रामविलास शर्मा और अटल बिहारी वाजपेयी का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि आगरा और ग्वालियर गजेटियर में उल्लेख है कि अटल बिहारी स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे। मनीष शुक्ल की पुस्तक में राजनीति की कई करवटों का जिक्र है। श्रीधर की किताब फिल्मों के अनछुए और भुला दिए चरित्र नायकों का स्मरण है। यहां लेखकों के साथ ही पत्रकार हेमंत तिवारी, मेला संयोजक मनोज सिंह चंदेल, चंद्रभूषण ने विचार व्यक्त किये। आज के प्रमुख आयोजनों में सिंहासन खाली है, नौलखिया दीवान, बेबी तुम नादान, अलख आजादी की, काकोरी एक्शन जैसे अनेक चर्चित नाटकों के लेखक, कवि और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से निकले रंग निर्देशक सुशील कुमार सिंह के वैविध्यपूर्ण लेखन पर चर्चा हुई। लेखक ने अपने रचनाकर्म से परिचित कराते हुए नाटकों के अंशों का पाठ किया। अभिनेता डा.अनिल रस्तोगी, कला वसुधा पत्रिका के सम्पादक अशोक बनर्जी, अनिल मिश्रा गुरुजी, ललित सिंह पोखरिया, रंग संगीतकर आलोक श्रीवास्तव,कला समीक्षक राजवीर रतन ने  सिंह के नाटकों को लेकर अपने अनुभव साझा किये। वाणी प्रकाशन के सहयोग से अरुण सिंह के संचालन में चले कार्यक्रम में सुशील कुमार सिंह की दूरदर्शन सेवा काल और भारतेन्दु नाट्य अकादमी निदेशक के तौर पर किये कार्यों और उपलब्धियों की चर्चा चली।

उत्कर्ष प्रतिष्ठान व हरेला बाखई की ओर से रामलीला बनाम पौराणिक धारावाहिक के प्रस्तुतिकरण पर वक्ताओं ने विचार रखे। राजवीर रतन ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित ऐशबाग रामलीला की बदल गयी परम्परा का जिक्र किया। रजनीश राज ने अयोध्या में मंचीय रामलीला में फिल्मी कलाकारों के भाग लेने की नयी परम्परा का जिक्र किया। नवेद शिकोह ने रंगमंच और परम्परागत रामलीला पर बात रखी। हेमंत तिवारी ने कहा कि बदलते समय का असर परम्पराओं पर पड़ा है। संयोजक हरीश उपाध्याय के साथ मोहन सिंह बिष्ट, अर्जल चौधरी, गरिमा पंत, मोहनचंद लखचौरा व स्टडी हाल कालेज की प्रांशी ने विचार रखे। ज्योति किरन रतन ने राम भजन पर नृत्य प्रस्तुत किया।
आज के कार्यक्रमों की शुरुआत साहित्य साधक की गोष्ठी से हुई। आईपीएस डा.हरीश कुमार की किताब कुंभ पुलिस और पोटलीवाला पर हुई चर्चा में लेखक के संग डा.सूर्यकांत व पल्लवी ने बात रखी। शाम को रेवान्त की ओर से काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ।

आज के कार्यक्रम 13 सितंबर

पूर्वाह्न 11:00 बजे पर्यावरण चेतना व सम्मान समारोह- निखिल प्रकाशन
शाम 5:00 बजे सम्मान समारोह- पुस्तक मेला समिति
शाम 6.45 कथक- रतन सिस्टर्स ईशा-मीशा डांस ग्रुप

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