विश्व साक्षरता दिवस आज: छः दशक पहले क्यों पड़ी इसकी जरूरत

राजेन्द्र गुप्ता

किसी भी देश की खुशहाली और विकास इस बात पर निर्भर करता है कि वहां रहने वाले लोग कितने पढ़े-लिखें हैं। ऐसे में लोगों को साक्षरता के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। भारत में भी इसको लेकर कई प्रयास किए जा रहे हैं। सर्व शिक्षा अभियान इसका एक उदाहरण है।

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस

जिस भी देश में जितने ज्यादा लोग शिक्षा ग्रहण करेंगे, उस देश का भविष्य और परिवेश उतना ही बेहतर होगा। साक्षरता शब्द साक्षर से आता है, जिसका अर्थ होता है – शिक्षित होना। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का उद्देश्य दुनियाभर की आबादी को साक्षर बनाने के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करना है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है कि दुनियाभर में ज्यादा से ज्यादा लोग शिक्षा ग्रहण करें।

कैसे हुई इस दिन की शुरूआत?

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की जड़ें 1965 में ईरान के तेहरान में आयोजित निरक्षरता उन्मूलन पर शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन से जुड़ी हैं। इस सम्मेलन ने वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने के विचार को जन्म दिया। इसके बाद, यूनेस्को ने 1966 में अपने 14वें आम सम्मेलन के दौरान आधिकारिक तौर पर 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया।
एक साल बाद, 8 सितंबर, 1967 को, दुनिया ने पहली बार इस खास दिन को मनाया, जिसने एक महत्वपूर्ण वैश्विक पालन की शुरुआत की। तब से लेकर अब तक हर साल नीति निर्माताओं, चिकित्सकों और जनता को अधिक साक्षर, न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और टिकाऊ समाज बनाने के लिए साक्षरता के महत्व की याद दिलाने के लिए हर साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है।

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